फ़र्स्ट पेज

अपने बच्चों को इन बहलाने-फुसलाने वालों से बचाएं

कंज़्यूम करने में मज़ा है लेकिन ज़्यादा कंज़्यूम करने के लिए बरगलाया जाना बड़ा ख़राब है

अपने बच्चों को इन बहलाने-फुसलाने वालों से बचाएंAnand Kumar

back back back
5:40

क्या आप जानते हैं 'मेनू इंजीनियरिंग' (menu engineering) क्या है? मुझे हाल ही में तब पता चला, जब मेरे साथ एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की गई. ये बारीक़, मगर बड़ी असरदार क़िस्म की चालबाज़ी है जिस पर रेस्तराओं के मेनू डिज़ाइन किए जाते हैं. इसका मक़सद कस्टमर्स को सबसे मुनाफ़े वाले आइटम का ऑर्डर देने के लिए गाइड करना होता है. मेनू का ले-आउट और उसकी भाषा, डिज़ाइन और सौंदर्यशास्त्र के बारे में नहीं होता, बल्कि चालाकी से रचा गया धोखा होता है. हाई-मार्जिन वाले आइटम एक स्ट्रैटजी के तहत ऐसी जगहों पर रखे जाते हैं, जहां लोगों का ज़्यादा ध्यान जाए. कम मुनाफ़े वाले आइटम से ध्यान हटाने के लिए उन्हें डिज़ाइन की कलाकारी से कम दिखाई देने वाला बनाया जाता है. खाने के प्राइस की स्ट्रैटजी भी इसी हेरफेर का हिस्सा होती है. करंसी के निशान का न होना और खाने के आइटम को ₹100 के बजाए ₹98.5 या ₹94.5 रखना किसी अच्छे डिज़ाइन का हिस्सा नहीं, बल्कि ख़र्च कम करके दिखाने की मनोवैज्ञानिक चालें हैं. हालांकि, मॉडर्न मार्केटिंग की चालाकियां सिर्फ़ मेनू इंजीनियरिंग तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि मॉडर्न मार्केटिंग की एक बड़ी थीम का दिलचस्प हिस्सा भर है.

हम सूचनाओं के ऐसे माहौल में रहते हैं जहां लगभग हर एक चीज़ या तो सक्रिय तौर पर आपको ज़्यादा ख़र्च करने के लिए प्रोत्साहित करती है या निष्क्रिय तौर पर ज़्यादा ख़रीदने और ज़्यादा चीज़ों का मालिक होने की इच्छा पैदा करती है. अगर, वयस्क होने पर भी, आप और मैं इस माहौल के लालच में फंसते हैं, तो सोचिए कि ये वातावरण एक बच्चे के बढ़ते और विकसित हो रहे दिमाग़ पर क्या असर डालता होगा. हो सकता है कि मैं ग़लत हूं, लेकिन ये बात बिल्कुल स्पष्ट है कि कंज़्यूम करने को सजग रह कर टालना - जो बचत और निवेश में बहुत ज़रूरी है - आज के बच्चों और युवाओं के लिए पहले के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा मुश्किल है.

क़रीब दो दशक पहले, मैंने लिखा था कि अगर आप किसी बच्चे से तुरंत एक आइसक्रीम खाने या एक दिन बाद आइस्क्रीम खाने के बीच चुनने के लिए कहेंगे, तो वो निश्चित तौर पर तुरंत ही एक आइसक्रीम खाना चुनेगा. लेकिन अगर आप बच्चे को अगले दिन एक आइसक्रीम या उसके अगले दिन दो आइसक्रीम के बीच चुनाव करने का विकल्प देंगे, तो लगभग सभी बच्चे एक दिन इंतजार करना और एक के बजाय दो आइसक्रीम लेना पसंद करेंगे. मुझे लगता है कि सभी माता-पिता ये जानते हैं. मुझे भी ये बात तभी पता चली जब मेरी बेटी चीज़ें मांगने लायक़ बड़ी हो गई.

ये भी पढ़िए- वॉरेन बफ़े और चार्ली मंगर: क्या सीख सकते हैं इन महान निवेशकों से

क्या आज इसमें बदलाव आ गया है? मुझे शक है कि ऐसा हुआ है. समस्या ये है कि हममें से ज़्यादातर लोग बच्चों को पैसों के बारे में कुछ नहीं सिखाते. मुझे लगता है कि बड़े बच्चों, यहां तक कि किशोरों को भी इस बारे में कोई वास्तविक जानकारी नहीं है कि पैसा कैसे काम करता है. वो न केवल कमाई, बचत और निवेश के बारे में नहीं जानते, बल्कि उन्हें समाज में होने वाले पैसे के फ़्लो के बारे में भी कोई जानकारी नहीं होती. लोग शिक्षित होते हैं, नौकरी पाते हैं और पैसा कमाना शुरू कर देते हैं, मगर पर्सनल फ़ाइनांस की ज़रूरी बातें सीखने की उनकी ज़रूरत पूरी नहीं होती.

ये सब सिखाना एक माता-पिता की उतनी ही ज़िम्मेदारी है जितना बच्चों को कुछ और सिखाना. जब आप कुछ ख़रीदते हैं तो क्या होता है? बैंक असल में आपके पैसे के साथ क्या करता है? टैक्स कैसे काम करते हैं? निवेश क्या हैं? निवेश कैसे बढ़ता है? पैसा कैसे बनता है? समय के साथ निवेश की वैल्यू क्यों बढ़ती है जबकि कार या फ़ोन की वैल्यू घटती है? अतीत में चीज़ों की क़ीमतें कम क्यों थीं? भविष्य में वो ज़्यादा क्यों होंगी?

माता-पिता के तौर पर, हम बच्चों को पैसे के बारे में बहुत ज़्यादा सोचने से बचाते हैं. ये एक गंभीर ग़लती है. अपने बच्चों पर ख़र्च करना अच्छी बात है, लेकिन उन्हें पैसे के बारे में पढ़ाना एक ऐसी चीज़ है जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. पर्सनल फ़ाइनांस के बारे में ये सबसे महत्वपूर्ण बात है, जिसे बहुत से लोग कभी महसूस नहीं करते कि बचत मुख्य रूप से रिटर्न और ब्याज दरों के गणित जैसी चीज़ों के बारे में नहीं है, बल्कि सोचने का एक तरीक़ा, एक आदत है. भले ही आपको लगता है कि ये प्रासंगिक नहीं है, भले ही आप इतने पैसे वाले हैं कि अपने बच्चों के लिए कुछ भी ख़रीद सकते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें बचत शुरू करने के लिए प्रेरित ज़रूर करें.

एक व्यक्ति जो हर महीने ₹500 की मामूली रक़म बचाता है, वो ऐसा न करने वाले व्यक्ति की तुलना में बुनियादी तौर पर अलग क़िस्म का शख़्स है. अपने बच्चों को उस तरह का इंसान बनाएं.

ये भी पढ़िए- लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग क्या है: कितना लंबा निवेश सुरक्षित?


टॉप पिक

क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का बोनस शेयर इश्यू वाक़ई दिवाली का तोहफ़ा है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAbhinav Goel

म्यूचुअल फ़ंड, ऑटो-पायलट और एयर क्रैश

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार

मल्टी-एसेट फ़ंड आज दूसरी सबसे बडी पसंद हैं. क्या इनमें निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटपंकज नकड़े

क्या आपको इस मोमेंटम इंडेक्स फ़ंड में निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 1 मिनटवैल्यू रिसर्च down-arrow-icon

Stock Update: 20 शानदार स्टॉक की इस हफ़्ते की लिस्ट

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

वैल्यू रिसर्च धनक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

NPS की त्रासदी

नया यूनीफ़ाइड पेंशन सिस्टम दो दशकों के दौरान नेशनल पेंशन सिस्टम के खोए हुए अवसरों का नतीजा है.

दूसरी कैटेगरी