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International debt funds: क्या इनमें निवेश सही?

जानिए, आप इंटरनेशनल डेट फ़ंड्स में निवेश करें या नहीं

International debt funds: क्या इनमें निवेश सही?

International Debt Funds: अंतर्राष्ट्रीय डेट मार्केट में पिछले साल काफ़ी उथल-पुथल देखी गई. इसकी बड़ी वजह रही, साल 2022 के बाद से दुनिया भर में ब्याज़ दरों का बढ़ना. जिसके चलते, अमेरिका के ट्रेज़री बॉन्ड (US Treasury bond) की यील्ड बढ़कर 16 साल के हाई पर पहुंच गई, जो इससे पहले साल 2007 में देखने को मिला था.

तीन FoF हुए लॉन्च

इन घटनाओं के चलते, बीते आठ महीनों में तीन फ़ंड ऑफ़ फंड्स (FoFs) लॉन्च किए गए हैं. इनमें बंधन US ट्रेज़री बॉन्ड 0-1 ईयर FoF, आदित्य बिड़ला सन लाइफ़ US ट्रेज़री 1-3 ईयर बॉन्ड ETFs FoF और आदित्य बिड़ला सन लाइफ़ US ट्रेज़री 3-10 ईयर बॉन्ड ETFs FoF शामिल हैं. उन्होंने अभी तक कुल मिलाकर क़रीब ₹341 करोड़ जुटाए हैं.

मार्च 2023 में लॉन्च हुआ पहला फ़ंड बंधन का FoF, जो एक साल के भीतर मेच्योर होने वाले अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड में निवेश पर केंद्रित है. इसके बाद आए आदित्य बिड़ला के दो फ़ंड्स, जो US ट्रेज़री बॉन्ड जैसी सिक्योरिटीज़ से संबंधित ETF में निवेश करते हैं. जो क्रमशः एक से तीन साल और तीन से 10 साल की मेच्योरिटी वाले US ट्रेज़री बॉन्ड जैसी सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं.
US ट्रेज़री यील्ड के दशक के उच्चतम स्तर को देखते हुए, सवाल उठता है: क्या इन फ़ंड्स में निवेश का कोई ठोस तर्क है? आइए इसे गहराई से समझते हैं.

US ट्रेज़री बॉन्ड्स में निवेश करना क्यों सही लगता है?

डाइवर्सिफ़िकेशन (Diversification): निवेश के सबसे ज़रूरी और सुरक्षित साधन समझा जाता है, US ट्रेज़री बॉन्ड उन निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हैं, जो अपने फ़िक्स्ड इनकम (fixed income) पोर्टफ़ोलियो को क्षेत्र के आधार पर ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन का लक्ष्य रखते हैं.

यील्ड का अंतर कम होना: परंपरागत रूप से, भारत की सरकारी सिक्योरिटीज़ ने अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड की तुलना में ज़्यादा यील्ड की पेशकश की है, और वे अभी भी ऐसा कर रहे हैं. हालांकि, अमेरिका में, हाल ही में ब्याज़ दरों में भारी बढ़ोतरी से यील्ड का अंतर कम हो गया है. इसलिए, जहां भारतीय सिक्योरिटीज़ अपनी बढ़त बनाए हुए हैं, वहीं, अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड भारतीय निवेशकों के लिए पहले से कहीं ज़्यादा लुभावने हो गए हैं.

अंतर कम होने के बावजूद, इन निवेशों से जुड़े करंसी रिस्क का आकलन करना महत्वपूर्ण है.

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करंसी रिस्क

अगर आप इन फ़ंड्स में निवेश करते हैं, तो आपका रिटर्न अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपये के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होगा. ऐतिहासिक रूप से, लंबी अवधि में रुपया कमज़ोर हुआ है, ऐसा पिछले दशक में 10 में से नौ बार देखने को मिला है.

ऐतिहासिक रूप से, रुपये के कमज़ोर होने से रिटर्न बढ़ा है, जो आम तौर पर 10 साल के दौरान 3-4 फ़ीसदी रहता है. हालांकि, रुपये के मज़बूत होने से रिटर्न में कमी आ सकती है, जो 2017 में हुआ था जब रुपये में 6.4 फ़ीसदी की मज़बूती देखने को मिली थी. अगर आपने 2017 में एक साल के अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड में निवेश किया था तो आपको इसके चलते लगभग 5.2 फ़ीसदी का नुक़सान हुआ होता.

हमारी राय

ये फ़ंड उन लोगों के लिए सही हैं, जो अपने मुख्य फ़िक्स्ड इनकम पोर्टफ़ोलियो में क्षेत्रीय आधार पर डाइवर्सिफ़िकेशन चाहते हैं. अमेरिकी इंटरेस्ट रेट और करंसी रिस्क सहित अलग-अलग फ़ैक्टर्स के कारण सावधानी बरतते हुए मामूली निवेश पर विचार करें.

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