सेंसेक्स, 15 सितंबर से 26 अक्तूबर तक क़रीब 7 फ़ीसदी गिरा और 67,900 से 63,100 के आसपास आ गया. इसकी कई वजह हैं जिनमें पिछले महीने शुरू हुआ इज़रायल-हमास युद्ध भी शामिल है. फ़िलहाल सेंसेक्स 65,000 के आसपास मंडरा रहा है.
अब, आपके और मेरे जैसे निवेशकों के मन में सवाल उठता ही है कि अगर बाज़ार की किसी बड़ी गिरावट के वक़्त हम क्या करें? क्या निवेश बेच कर प्रॉफ़िट या लॉस बुक कर लें, या फिर ज़्यादा निवेश किया जाए क्योंकि शेयर के दाम गिर गए हैं. इसी विषय पर, वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने कई अहम बातें कहीं, जो किसी भी लॉन्गटर्म निवेशक के लिए एक फ़ायदे का मंत्र हो सकता है.
शेयर बाज़ार पर दबाव क्यों है?
इस समय बाज़ार पर जो दबाव है उस पर बोलते हुए धीरेंद्र कुमार ने कहा कि इसकी वजह, पश्चिमी देशों में ब्याज़ दरों का बढ़ना है, और अगर महंगाई ऊंचे स्तर पर ही रही, तो ब्याज दर आगे भी बढ़ती रहेगी. यही लोगों की चिंता का काणर है और इसीलिए विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाज़ार से पैसा निकालना शुरू कर दिया.
उन्होंने ये भी कहा कि बाज़ार जब गिरने लगता है तो लोगों की चिंता ज़्यादा बढ़ जाती है. लोगों के बीच नुक़सान कम करने की होड़ से बाज़ार पर दबाव भी बढ़ता जाता है.
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SIP से लॉन्ग-टर्म निवेश करने वाले क्या करें
ऐसी गिरावट की स्थिति में धीरज रखना ज़रूरी है. अब सवाल उठता है कि संयम कैसे रखा जाए? जब पैसे तेज़ी से कम होते दिखाई देते हैं, और टीवी और इंटरनेट लगातार एक तथाकथित बड़े नुक़सान की न्यूज़ ब्रेक कर रहे होते हैं, तो इंसान क्या करे.
इस विषय पर धीरेंद्र ने जो कहा उसका संबंध निवेश से ज़्यादा आपके मन से है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो निवेशकों को टीवी कम देखना चाहिए. दरअसल, इससे उनका कोई फ़ायदा नहीं होता बल्कि तनाव ही बढ़ता है. आपकी सोच नेगेटिव हो जाती है. किसी भी लॉन्ग-टर्म निवेशक के लिए टीवी देखने से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला. और, निवेशकों को हर रोज़ अपना पोर्टफ़ोलियो भी नहीं देखना चाहिए.
जल्दबाज़ी में कुछ करके पछताने के बजाए ज़्यादातर लोगों को इससे बचने के लिए धीरेंद्र कुमार की एक ही सलाह है कि लोग - कुछ भी न करें. अगर आपका पैसा लंबे समय के लिए इक्विटी में लगा है, और आपकी आमदनी बनी हुई जिससे आपकी SIP भी जारी है, तो बाज़ार के उतार-चढ़ाव को देख कर कुछ करने की ज़रूरत नहीं है.
मार्केट के उतार-चढ़ाव में रिटायर लोग क्या करें
अगर आप रिटायर हो चुके हैं और म्यूचुअल फ़ंड में लगे पैसे से पेंशन के लिए निकाल रहे थे, तो पेंशन से कम पैसे निकालने के बारे में सोचना चाहिए. अगर 6-7 फ़ीसदी पैसा निकाल रहे थे, तो इसे कुछ समय के लिए आप कम कर सकते हैं. और, ये कोई बड़ा बदलाव नहीं है. मार्केट में उतार-चढ़ाव को लेकर हम और आप जैसे लंबे-समय के निवेशक क्या करें इस सवाल पर धीरेंद्र कुमार की आख़िरी सलाह ये है कि आपको धबराहट या पैनिक में न तो ख़रीदना चाहिए, और न ही बेचना चाहिए.
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