स्टॉक और इक्विटी फ़ंड्स पर 10 प्रतिशत लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स दोबारा शुरू किया गया. अब इस वजह से निवेशक ऐसे तरीक़े तलाश रहे हैं, जिनसे उनका ये टैक्स कम हो सके. तो, हम इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इन्वेस्टमेंट्स के लॉन्ग-टर्म गेन्स टैक्स को कम करने के चार तरीक़े आपको बताते हैं.
अपनी 1 लाख की छूट का इस्तेमाल समझदारी से करें
निवेशकों को अपने इक्विटी शेयर या इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड्स की यूनिट्स बेचने पर हर साल लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में ₹ 1 लाख तक की बेसिक छूट की इजाज़त होती है.
तो, अगर आपको एक साथ अपने सारे निवेश निकालने की ज़रूरत नहीं है, तब आप इसे कई फ़ाइनेंशियल ईयर के दौरान निकालें. इस तरह से आप अपना टैक्स कम कर पाएंगे.
उदाहरण के लिए: मान लेते हैं कि आपके इक्विटी शेयरों का ₹2 लाख का लॉन्ग-टर्म गेन्स हैं. आप अपना टैक्स कम करने के लिए एक साल में ₹1 लाख ही कैश निकालें. टैक्स बचाने के लिए बाक़ी बचे ₹1 लाख को अगले फ़ाइनेंशियल ईयर में रिडीम करने का इंतज़ार करें. अगर आप एक साथ सारा पैसा निकालेंगे, तो आपको टैक्स के तौर पर ₹10,000 देने पड़ेंगे [(2 लाख - 1 लाख)*10 प्रतिशत].
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लॉस रियलाइज़ करने के बारे में सोचिए
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल में नुक़सान या लॉस को सेट ऑफ़ करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. आपके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स पर बेसिक छूट लागू करने के बाद, अगर ये रक़म ₹1 लाख से ज़्यादा हो, तो आप साल के अंत में कुछ लॉस सेट ऑफ़ करने के बारे में सोच सकते हैं. इससे असरदार तरीक़े से आपका टैक्स कम हो जाएगा.
मिसाल के तौर पर, मान लीजिए कि आपके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स ₹1.4 लाख के हैं और कैपिटल लॉस ₹40,000 का है. ऐसे में, आपको LTCG पर टैक्स देना होगा, जो नीचे टेबल में दिखाया गया है. पर अगर आप गेन्स की एवज़ में इसे सेट ऑफ़ करने का फ़ैसला करते हैं, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसे समझने के लिए नीचे दी टेबल देखें.
कंडीशन | टैक्स |
---|---|
अगर लॉस नहीं रियलाइज़ किया जाता | (1.4 लाख - 1 लाख)*10% = 4,000 |
अगर लॉस रियलाइज़ किया जाता है | (1.4 लाख - 1 लाख - 40,000)*10% = 0 |
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सही निवेश चुनें
कैपिटल गेन्स टैक्स कम करने के लिए, आपके निवेश का चुनाव काफ़ी मायने रखता है. एक डेट-हेवी (debt-heavy) पोर्टफ़ोलियो में, आपको आपको डेट-फ़ीचर वाले प्रोडक्ट चुनने चाहिए, जैसे इक्विटी सेविंग फ़ंड्स , जिनमें इक्विटी की ही तरह टैक्स के फ़ायदे मिलते हैं. डेट या डेट-ओरिएंटेड फ़ंड्स में सीधे निवेश करने से बचें, क्योंकि इनमें टैक्स ज़्यादा होता है (ख़ासतौर पर तब, अगर अगर आप 20 प्रतिशत से ऊपर के टैक्स ब्रैकेट में हैं).
डेट और इक्विटी के मिक्स्ड पोर्टफ़ोलियो के लिए, दोनों पर अलग तरह से टैक्स लागू होता है. आपको इक्विटी-ओरिएंटेड हाइब्रिड फ़ंड्स पर स्विच करने के बारे में सोचना चाहिए, जो दोनों एसेट क्लास में एक्सपोज़र ऑफ़र करता है और इस पर टैक्स इक्विटी की तरह ही लगता है. इक्विटी के लिए 60 प्रतिशत और डेट पोर्टफ़ोलियो के लिए 40 प्रतिशत, और इक्विटी हाइब्रिड फ़ंड्स जिनमें 65 प्रतिशत से ज़्यादा एलोकेशन इक्विटी में होता है, उनके गेन्स में आप 10 प्रतिशत का कम स्तर की टैक्स दर मेनटेन कर सकते हैं.
सेक्शन 54F (घर ख़रीदने के लिए)
सेक्शन 54F के तहत आपको कैपिटल गेन्स टैक्स से बचने या उसे कम करने में मदद मिल सकती है. इस तरह से:
स्टेप 1: ऐसा एसेट बेचें, जो नॉन-प्रॉपर्टी हो (ये स्टॉक इन्वेस्टमेंट या गोल्ड कुछ भी हो सकता है)
स्टेप 2: लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स का इस्तेमाल करें:
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घर ख़रीदने के लिए (ये पक्का करें कि आप इसे एक साल पहले ख़रीदें या नॉन-प्रॉपर्टी एसेट को बेचने के दो साल के भीतर)
- घर बनवाएं (ये पक्का करें कि नॉन-प्रॉपर्टी एसेट को बेचने के तीन साल के भीतर घर बनवाएं)
54F के बारे में ज़्यादा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
कृपया नोट करें कि 1 अप्रैल 2023 से, इस सेक्शन के तहत छूट की अधिकतम सीमा ₹10 करोड़ है.
ये कुछ ऐसे स्मार्ट तरीक़े हैं जिनसे आप असरदार तरीक़े से अपना लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स का बोझ कम कर सकते हैं. अपने विकल्पों को अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ चुनें ताकि बेवजह आपको ज़्यादा टैक्स न देना पड़े . याद रखें, जो पैसा आप बचाते हैं वो पैसा आप कमाते हैं!
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