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म्यूचुअल फ़ंड्स के लिए डीमैट अकाउंट सही नहीं

अगर आप अपने म्यूचुअल फ़ंड्स डीमैट अकाउंट में रखते हैं तो नुक़सान कम करने के लिए ये ज़रूर पढ़ें

म्यूचुअल फ़ंड्स के लिए डीमैट अकाउंट सही नहीं

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जब आप म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करते हैं, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं: अपनी यूनिट्स को स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट्स में (SoA) रखें या फिर अपने डीमैट अकाउंट (Demat Account) में. दोनों ही डिजिटल हैं, जिनमें पेपर सर्टिफ़िकेट की ज़रूरत नहीं होती.

SoA का विकल्प म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स को होल्ड करने का ज़्यादा पारंपरिक तरीक़ा रहा है. इसमें, आप एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से सीधे डील करते हैं. जब यूनिट अलॉट की जाती हैं तो AMC आपकी फ़ंड होल्डिंग्स का एक स्टेटमेंट जारी करती हैं.

दूसरी तरफ़, एक डीमैट में, एक डिपॉज़िटरी पार्टिसिपेंट (DP) होता है, जैसे कि सेंट्रल डिपॉज़िटरी सर्विस और नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉज़िटरी, जो आपकी म्यूचुअल फ़ंड यूनिट होल्ड करता है. डीमैट यूनिट्स को आपके ब्रोकर, या आपके DP के ज़रिए ख़रीदा और बेचा जा सकता है.

क्या बेहतर है: Demat या SoA?

पहले डीमैट अकाउंट्स में आपके सभी निवेशों को एक ही जगह देखने की सुविधा थी. मगर, अब CAS (कंसॉलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट) में भी ये सुविधा है, और इसलिए आपको डीमैट की ज़रूरत नहीं है.

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नीचे दी गई टेबल आपके म्यूचुअल फ़ंड्स को होल्ड करने के लिए डीमैट अकाउंट और स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट के इस्तेमाल का अंतर साफ़ कर देगी:

डीमैट अकाउंट में म्यूचुअल फ़ंड्स स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट में म्यूचुअल फ़ंड्स
1. ख़र्च कई डीमैट डिपॉज़िटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) के शामिल होने की वजह से, सालाना तौर पर म्यूचुअल फ़ंड्स के चार्ज के अलावा मेंटेनेंस, ट्रांज़ैक्शन, अकाउंट खोलने की फ़ीस लेते हैं. एक DP आपकी सिक्योरिटीज़ को इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से मैनेज करता है. SoAs कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लेते, क्योंकि इसमें DP शामिल नहीं होता.
2. STP/SWP फ़ैसिलिटी कुछ ऐसे डीमैट अकाउंट हैं जो ये सुविधा नहीं देते. जो लोग जल्द रिटायर होने वाले हैं उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए. SoAs दोनों फ़ीचर देते हैं.
3. डायरेक्ट प्लान में निवेश क्योंकि अक्सर DP फ़ंड डिस्ट्रिब्यूटर का काम भी करते हैं, इसलिए वो आपको सिर्फ़ रेग्युलर फ़ंड्स में ही निवेश की इजाज़त देते हैं SoAs आपको डायरेक्ट फ़ंड्स में निवेश करने देते हैं. यानी, अगर आप जानते हैं कि आपको कहां निवेश करना है, तो आप ज़्यादा रिटर्न पा सकते हैं.
4. ट्रांज़ैक्शन में फ़्लेक्सेबिलिटी अपने निवेश के लेनदेन के लिए या निवेश को निकालने के लिए आपको अपने डीमैट अकाउंट में लॉग-इन करना होगा आप कई तरीक़े से ट्रांज़ैक्श कर सकते हैं (म्यूचुअल फ़ंड वेबसाइट, RTA का ऑफ़िस, MF यूटिलिटी, MF सेंट्रल, आदि)
5. AMC से संपर्क AMC आपके सवालों को वापस DP को भेजता है किसी समस्या के लिए SoA निवेशक सीधे AMC से बात कर सकते हैं
6. नॉमिनेशन की फ़्लेक्सेबिलिटी डीमैट अकाउंट के नॉमिनी को सभी निवेशों का नॉमिनी माना जाता है एक निवेशक अलग-अलग फ़ंड के लिए अलग-अलग नॉमिनी रख सकता है
7. म्यूचुअल फ़ंड कवरेज सभी म्यूचुअल फ़ंड उपलब्ध नहीं होते. ये हर DP पर अलग-अलग निर्भर करता है सभी म्यूचुल फ़ंड उपलब्ध हैं
8. प्रोसेसिंग का समय कुछ केस में, आपके रिडीम किए हुए पैसों को डीमैट अकाउंट में आने में थोड़ा ज़्यादा समय लगता है SoA का प्रोसेस ज़्यादा तेज़ है

देखने से ही पता लग जाता है कि ज़्यादातर निवेशकों के लिए, SoA ज़्यादा सही है, ये म्यूचुअल फ़ंड्स होल्ड करने का सीधा और सरल तरीक़ा है.

आपको क्या करना चाहिए

SoA पर स्विच करें. इससे आपके पैसे बचते हैं, क्योंकि ये ज़्यादा तेज़ और ज़्यादा फ़्लेक्सिबल है.

अगर आपका एक डिस्ट्रीब्यूटर है जो आपका पैसा हैंडल कर रहा है, तो उन्हें फ़ोन करें और पूछें कि क्या आप अपने फ़ंड्स डीमैट अकाउंट में होल्ड करते हैं. अगर ऐसा है, तो उसे स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट (SoA) में कन्वर्ट करवा लें.
अगर वो आपको डीमैट अकाउंट बेचने की कोशिश करते हैं, तो अपना डिस्ट्रीब्यूटर बदल दीजिए (हो सकता है वो ब्रोकरेज ले रहे हों).
सिर्फ़ ETFs (एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड्स) ख़रीदने के लिए आपको डीमैट अकाउंट की ज़रूरत होती है. बाक़ी के सभी फ़ंड्स के लिए, SoA बेहतर रहता है.

डीमैट अकाउंट को कैसे कन्वर्ट किया जाता है

स्टेप 1 : आप अपने DP (जो आपका डीमैट अकाउंट मैनेज करते हैं) के पास एक साइन किया हुआ रि-मटीरियलाइज़ेशन रिक्वेस्ट फ़ॉर्म (RRF) सबमिट कीजिए. ये फ़ॉर्म आपको DP से ही मिलेगा.

स्टेप 2 : DP फ़ॉर्म को वेरिफ़ाई करेगा और उसे RTA को भेजेगा, जो म्यूचुअल फ़ंड्स के रिकॉर्ड रखने वाली संस्था है.

स्टेप 3 : RTA आपका निवेश SoA को ट्रांसफ़र करेगा.

बस इतना ही करने की ज़रूरत है. आपको सिर्फ़ RRF फ़ाइल करना है जिसके लिए अपना आधार और पैन अपने साथ रखें.

स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट (SoA) को चुनने के बाद, सबसे पहला फ़ायदा तो यही है कि आपके रिटर्न ज़्यादा हो जाएंगे और फ़ीस के तौर पर आपको एक्स्ट्रा पैसा नहीं देना होगा.

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