New SGB series open for subscription: गोल्ड को लेकर भारतीयों का प्रेम किसी से छिपा नहीं है. लेकिन इसे ख़रीदकर घर में रखने के अपने रिस्क हैं. हालांकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम हमारे इस रिस्क को दूर करती है. दरअसल, इस स्कीम में डिजिटल गोल्ड में निवेश किया जाता है, और फ़िजिकल गोल्ड लेने की ज़रूरत नहीं होती.
इसी कड़ी में RBI ने हाल में SGB स्कीम, 2023-24 की सीरीज 2 लॉन्च की है. ये नई सीरीज़ सब्सक्रिप्शन के लिए 15 सितंबर तक खुली है. इन गोल्ड बॉन्ड्स की क़ीमत ₹5,923 प्रति ग्राम है, लेकिन इसमें ऑनलाइन अप्लाई और डिजिटल चैनलों के ज़रिये पेमेंट करने वालों को तुरंत ₹50 प्रति ग्राम का डिस्काउंट भी दिया जाता है. इस तरह, प्रति ग्राम गोल्ड की प्रभावी क़ीमत ₹5,873 पड़ती है.
भले ही पारंपरिक तौर पर, गोल्ड के प्रति भारतीयों का रुझान काफ़ी ज़्यादा रहता हो, लेकिन धनक लगातार गोल्ड को एक निवेश के तौर पर नहीं देखने की सलाह देता रहा है.
बहरहाल, अगर आप गोल्ड में निवेश करना ही चाहते हैं, तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है.
हमें अपने रीडर्स की तरफ़ से इन बॉन्ड्स में निवेश से संबंधित कई सवाल मिले हैं. यहां ज़्यादातर सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं :
आप SGBs कहां से ख़रीद सकते हैं?
SGBs प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों मार्केट में ट्रेड होते हैं. आप इन्हें RBI (बैंकों और डाकघरों के ज़रिये) या NSE और BSE जैसे एक्सचेंजों से आसानी से ख़रीद सकते हैं. RBI रिटेल डायरेक्ट भी एक विकल्प है, जो सरकारी सिक्योरिटीज़ में सीधे निवेश करने में सक्षम बनाता है.
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नए या मौजूदा SGBs किसमें निवेश करना चाहिए?
इन SGBs निवेश करने पर विचार करते समय सवाल उठता है कि क्या नए SGBs को चुना जाए या पहले से ही सेकेंडरी मार्केट में लिस्टिड SGBs को चुनें. हमेशा नए जारी किए गए SGBs की कीमतों की तुलना लगभग समान मेच्योरिटी अवधि वाले मौजूदा SGBs की क़ीमतों से करनी चाहिए. ये हो सकता है कि मौजूदा SGBs डिस्काउंट पर क़ारोबार कर रहे हों.
हालांकि, अगर आप मेच्योरिटी तक बॉन्ड रखने का इरादा नहीं रखते हैं, तो सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी का आकलन करना ज़रूरी है. ज़्यादा लिक्विडिटी होने से बेचना आसान हो जाता है. दूसरी ओर, अगर आप मेच्योरिटी तक बॉन्ड होल्ड करने की योजना बनाते हैं, तो लिक्विडिटी की ज़्यादा अहमियत नहीं रह जाती. मेच्योरिटी पर, बॉन्ड को भुनाया जाएगा और भारत सरकार द्वारा इसके एवज में भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा, बॉन्ड की अवधि आठ साल है, 5वें साल के बाद कूपन पेमेंट डेट्स पर सरकार के माध्यम से जल्दी रिडेम्शन संभव है.
यहां पर कुछ बॉन्ड्स की तुलना की जा रही है. इनका मेच्योरिटी पीरियड लगभग एक समान है.
SGB ट्रैंच की डिटेल
SGB ट्रैंच | सब्सक्रिप्शन पीरियड | इश्यू डेट | इश्यू प्राइस (₹) | बाकी साल (लगभग) | ताजा प्राइस (₹) |
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2023-2024 सीरीज I | 19-23 जून, 2023 | 27/06/2023 | 5876 | 7.8 | 5875 |
2022-2023 सीरीज IV | 06-10 मार्च, 2023 | 14/03/2023 | 5561 | 7.5 | 5916 |
2022-2023 सीरीज III | 19-23 दिसंबर, 2022 | 27/12/2022 | 5359 | 7.3 | 5975 |
2022-2023 सीरीज II | 22-26 अगस्त, 2022 | 30/08/2022 | 5147 | 7 | 5902 |
2022-2023 सीरीज I | 20-24 जून, 2022 | 28/06/2022 | 5041 | 6.8 | 5860 |
इश्यू प्राइस में ₹50 के डिस्काउंट को एडजस्ट किया गया है. 12 सितंबर, 2023 तक का प्राइस. |
टेबल से पता चलता है कि SGBs की तुलना में क़ीमत में ख़ास अंतर नहीं है. भले ही मौजूदा इन्वेस्टर अपने बॉन्ड्स को प्रीमियम प्राइस पर सेकेंडरी मार्केट में बेचने और प्राइमरी मार्केट में उन्हें कम क़ीमत पर ख़रीदने के बारे में सोच सकते हैं. हालांकि, उन्हें सेकेंडरी मार्केट में बेचते समय संभावित कैपिटल गेन टैक्स (capital gains taxes) को लेकर सतर्क रहना चाहिए.
मेच्योरिटी पर कैसे टैक्स लगता है?
चाहे आप प्राइमरी मार्केट से SGB ख़रीदें या सेकेंडरी मार्केट से, मेच्योरिटी पर हुआ कैपिटल गेन पर टैक्स से छूट मिलती है.
हालांकि, अगर आप एक साल के भीतर बॉन्ड बेचने का विकल्प चुनते हैं, तो इससे मिलने वाला कोई भी फ़ायदा आपकी सालाना इनकम में जोड़ा जाएगा और आप पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाएगा. अगर आप एक साल के बाद SGB बेचते हैं, तो इंडेक्सेशन बेनेफ़िट (indexation benefits) के हिसाब से कैपिटल गेन पर 20 फ़ीसदी टैक्स लगाया जाएगा.
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क्या SGBs को इंडेक्सेशन बेनेफ़िट मिलता है?
हां, इंडेक्सेशन बेनेफ़िट SGBs पर लागू होते हैं. फिर भी, अगर आपका इरादा मेच्योरिटी तक इन बॉन्ड्स को रखने का है, तो इंडेक्सेशन की अहमियत कम हो जाती है. दरअसल, मेच्योरिटी पर कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है.
हमें जो दूसरे सवाल मिले हैं वे स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिये SGBs को ख़रीदने के संबंध में हैं.
मुख्य सबक़
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अगर आप गोल्ड में निवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो फ़िज़िकल गोल्ड और गोल्ड ETFs की तुलना में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक शानदार विकल्प है.
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सेकेंडरी मार्केट से ख़रीदते समय, ऊंची लिक्विडिटी वाले बॉन्ड्स को प्राथमिकता दें.
- टैक्स बचाने के लिए बॉन्ड्स को मेच्योरिटी तक होल्ड करने की कोशिश करें.