Wire and Cable stocks: वायर और केबल कंपनियों के शेयरहोल्डर्स ख़ासे ख़ुश नज़र आ रहे हैं. बीते पांच साल के दौरान, वायर और केबल इंडस्ट्री सालाना 12 फ़ीसदी की ग्रोथ रेट से बढ़ रही है. दिलचस्प बात ये हैं कि सभी बड़ी कंपनियों की प्रॉफ़िटेबिलिटी और टॉपलाइन में दमदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
पांच साल का प्रदर्शन
पॉलिकैब और KEI प्रॉफ़िट ग्रोथ और मार्केट रिटर्न के मामले में सबसे आगे रहीं
कंपनी | मार्केट कैप (करोड़ ₹) | 5 साल में रेवेन्यू में ग्रोथ (% प्रति वर्ष) | 5 साल में PAT ग्रोथ (% प्रति वर्ष) | 5 साल का एवरेज ROE (%) | 5 साल का रिटर्न (% प्रति वर्ष) |
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हैवेल्स | 82041 | 15.7 | 10.1 | 19.5 | 12.7 |
पॉलिकैब | 74984 | 15.8 | 28.8 | 20 | 59.4* |
KEI इंडस्ट्रीज | 23598 | 14.8 | 27 | 21 | 45 |
फिनोलेक्स केबल्स | 16478 | 9.7 | 8.8 | 14.5 | 13.6 |
प्राइस डेटा 25 अगस्त, 2023 तक का है. *रिटर्न अप्रैल 2019 में लिस्टिंग के बाद का है. FY23 तक के फ़ाइनेंशियल्स हैं. |
वायर मैन्युफैक्चरर्स को मौजूदा ग्रोथ रेट के फ़ाइनेंशियल ईयर 27 (स्रोतः KEI इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट) तक जारी रहने की उम्मीद है. मार्केट ने भी इस ट्रेंड पर ग़ौर किया है और ज़्यादातर वायर और केबल कंपनियों के शेयरों की कीमतों में दमदार रैल देखने को मिली है. वास्तव में, अगर आपके पोर्टफ़ोलियो में टॉप 4 वायर और केबल मैन्युफैक्चरर स्टॉक्स (इक्वल वेटेज- फिनोलेक्स केबल्स, हैवेल्स, KEI इंडस्ट्रीज and पॉलिकैब) होते तो पिछले पांच साल में आपका निवेश चार गुना हो गया होता.
आइए, इन स्टॉक्स में जारी रैली की वजह जानते हैं.
कैपेक्स में बढ़ोतरी
भारतीय इकोनॉमी में वर्तमान में जारी तेजी के चलते सरकारी और निजी दोनों सेक्टरों से इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़्यादा ख़र्च देखने को मिल रहा है. इससे वायर और केबल्स की खपत बढ़ी है और ये बात शीर्ष कंपनियों के रेवेन्यू में बढ़ोतरी से भी ज़ाहिर होती है.
बनाई अलग पहचान
टॉप कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों की पहचान करने और सेगमेंट के भीतर अगुआई करने में सक्षम हैं. इससे भारी प्रतिस्पर्धा के बावजूद इस क्षेत्र में एक समान विकास हुआ है.
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उदाहरण के लिए, हैवेल्स को अपने वायर और केबल्स का अधिकांश रेवे्यू घरेलू उपयोग वाले वायर से हासिल होता है. इसी तरह, फिनोलेक्स केबल्स का इंडस्ट्रियल और टेलीकम्युनिकेशन पर वर्चस्व है और KEI को ओवरहेड इलेक्ट्रिसिटी वायर्स के लिए जाना जाता है.
ज़्यादा संगठित इकोनॉमी की ओर रुख
इकोनॉमी को फॉर्मलाइज बनाने के सरकार के प्रयासों से ज़्यादातर क्षेत्रों में संगठित कंपनियों को मदद मिली है. केबल और वायर बनाने वाली शीर्ष कंपनियों ने इस बदलाव की पहचान की और डिस्ट्रीब्यूशन और एडवर्टाइजमेंट पर अपना ख़र्च बढ़ा दिया, जिससे रिटेल सेगमेंट (एक ऊंचे मार्जिन वाला सेगमेंट) में ख़ासी ज़्यादा बिक्री हुई.
FMEG में ग्रोथ
कई वायर और केबल बनाने वाली कंपनियों ने ऊंचे मार्जिन वाले FMEG सेगमेंट (फैन, लाइट आदि.) पर अपना जोर बढ़ा दिया, जो बीते पांच साल से सालाना आधार पर 10 फ़ीसदी (सोर्सः KEI इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट) की दर से बढ़ा है. हकीकत में, हैवेल्स इंडिया के लिए FMEG यानी फास्ट मूविंग इलेक्ट्रॉनिक गुड्स सबसे ज़्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला सेगमेंट रहा है.
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आपके लिए सबक
इस सेगमेंट की ग्रोथ के पीछे एक बड़ा फ़ैक्टर भारत की मौजूदा मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ रही है. साथ ही, भारत पर आशावादी बने रहने के पर्याप्त कारण भी मौजूद हैं. वहीं, फाइबर ऑप्टिक्स, रिन्युएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स आदि से जुड़ी इंडस्ट्रीज के उभरने से नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
हालांकि, प्रत्येक इकोनॉमी पर मंदी का असर होता है. किसी भी इंडस्ट्री में चल रहे रुझानों के आधार पर निवेश करना आपके पोर्टफ़ोलियो के लिए खतरनाक हो सकता है. निवेश का सीक्रेट बुनियादी रूप से से मजबूत कंपनियों की पहचान करने में निहित है जो अपसाइकल के दौरान फल-फूल सकती हैं और डाउनसाइकिल के दौरान जमीनी स्तर पर पर पकड़ बनाए रख सकती हैं. इसलिए, निवेश करने में जल्दबाजी करने से पहले हमेशा अपनी तरफ से पूरी मेहनत कर लें.