Anand Kumar
"पहला सिद्धांत है कि आप ख़ुद को मूर्ख न बनाएं—और आप सबसे आसानी से मूर्ख बन सकते हैं."
ये बात, प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री रिचर्ड फ़िनमैन ने 1974 के अपने कैलटैक यूनिवर्सिटी के भाषण में कही थी. हालांकि उनकी बात केवल साइंस और सांइसदानों की दुनिया को लेकर थी, मगर उसका सार, रिसर्च और अनालेसिस से जुड़े किसी भी काम पर लागू किया जा सकता है. इसमें इन्वेस्टमेंट रिसर्च भी शामिल है, फिर चाहे निजी तौर पर की जाने वाली रिसर्च हो या पेशेवर रिसर्च.
निवेश में ये समस्या और भी बड़ी इसलिए हो जाती है, क्योंकि आमतौर इसमें ऐसे लोग होते हैं, जो लोगों को मूर्ख बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. असल में, अब ये एक पूरी इंडस्ट्री बन गई है और इसका असर इतना बड़ा है कि रेग्युलेटर को अपनी बंदूक की नाल इस दिशा में मोड़ने की ज़रूरत है. मैं यहां तथाकथित फ़िनफ़्लुएंसर (finfluencer) समस्या की बात कर रहा हूं.
हालांकि, ये समस्या रेग्युलेटर या पॉलिसी के नज़रिए से, और एक आम निवेशक के नज़रिए से काफ़ी अलग है. रेग्युलेटरी नज़रिए से, समस्या ये है कि जो भी कोई सलाह दे रहा है उसे रेग्युलेट किया जाना चाहिए. हालांकि, एक आम निवेशक को इसकी परवाह नहीं होती. हम सभी को काफ़ी बुरे और शर्मनाक ढंग से अपने ही हितों के लिए काम करने वाली रेग्युलेटेड इंटरमीडियेरी की सलाहों और ग़लत प्रोडक्ट बेचे जाने का सामना करते रहे हैं. निवेशक को इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि सलाह देने वाले इन लोगों के पास कोई सर्टिफ़िकेट है या फिर कोई क़ागज़ का टुकड़ा है. जो सलाह पाता है, उसके लिए ये सलाह चाहे किसी यू ट्यूब के फ़िनफ़्युएंसर से आए या बैंक के 'रिलेशनशिप' मैनेजर से, दोनों से एक जैसा नुक़सान होता है. तो, प्रैक्टिकल नज़रिया अपनाते हैं, और इस मनगढ़ंत कहानी को छोड़ देते हैं कि एक रेग्युलेटेड संस्था ख़राब सलाह नहीं दे सकती. अगर हम और आप एक ऐसा तरीक़ा बना लें, जिससे ख़राब सलाह को पहचाना जा सके और उसे नज़रअंदाज़ किया जा सके, तो ये हमारे लिए अच्छा होगा फिर चाहे सलाह देने वाला कोई भी हो. ये उस कहावत की तरह है जिसमें किसी को मछली पकड़ना सिखाने की बात कही जाती है.
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ये निवेश को समझने और सीखने की समस्या को नए सिरे से परिभाषित करना हुआ, या जैसा किसी ने कहा था, ये बात है वित्तीय साक्षरता की. मगर ये भी सही है कि उन निवेशकों को बचाना संभव नहीं, जिन्हें निवेश की समझ नहीं है और जो अपने-आप को सुरक्षित रखने के तरीक़े सीखना नहीं चाहते. इसका मतलब हुआ कि ज़्यादातर लोगों को वित्तीय साक्षरता की ज़रूरत है, और आमतौर पर ये समझा जाता है कि ये साक्षरता आपको बताती है कि आप अपने पैसे के साथ क्या करें और ये निवेश की दुनिया का चाल-चलन समझने की बात है. समझा जाता है कि वित्तीय साक्षरता का मतलब है कि आप अलग-अलग तरह के निवेशों को समझें कि वो किसके लिए काम के हैं, कैसे निवेशक की आर्थिक ज़रूरत में फ़िट बैठते हैं और इसी तरह की तमाम बातें वित्तीय साक्षरता के दायरे में आती हैं. ये सभी अच्छी बातें हैं, और निवेशकों को इसे सीखना ही चाहिए. हालांकि, ये वो बात नहीं जिसे लेकर निवेशक ग़लती करते हैं.
वो ग़लती तब करते हैं, जब उन्हें ऊपर से सजा-धजा कर, अच्छा बता कर, कोई ख़राब फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट टिकाया जाता है, और शिकार को पता ही नहीं चलता कि उसके साथ क्या हो रहा है. अगर आप भी फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट के मार्केट में हैं, तो देर-सबेर, आपके साथ कोई ऐसी ही हेराफेरी की कोशिश करेगा ही—ये कोई अपवाद नहीं बल्की शत प्रतिशत लागू होने वाला नियम है. देर सबेर, हर किसी को नुक़सान पहुंचाने वाले फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट बेचने की कोशिश की जाती है. तो, लोगों के लिए ये कहीं ज़्यादा काम की बात ये होगी कि वो ये सीख जाएं कि उन्हें अपने पैसे के साथ क्या नहीं करना है. आमतौर पर इस तरह की वित्तीय साक्षरता कहीं नहीं मिलती. असल में, इसे कड़वे अनुभवों से गुज़र कर ही सीखना पड़ता है.
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मैं आपको एक ताज़ा उदाहरण देता हूं जिसे मैंने ख़ुद देखा. मेरे एक दोस्त को उसके बैंक के 'अकाउंट मैनेजर' का फ़ोन आया, जो उसे सीधे बैंक से म्यूचुअल फ़ंड निवेश शुरू करने के लिए अक्सर फ़ोन करता रहता था. सेल्समैन ने मेरे दोस्त से कहा कि आपने सुना ही होगा कि डायरेक्ट इन्वेस्टिंग फ़ायदेमंद रहती है, तो ये आपके लिए एक मौक़ा है कि आप डायरेक्ट अपने बैंक अकाउंट से निवेश कर सकते हैं. जब मेरे दोस्त ने पूछा कि क्या ये इन्वेस्टमेंट म्यूचुअल फ़ंड के डायरेक्ट प्लान का है, तो वो बैंक वाला टालमटोल कर गया और उन्हें सीधा हां या न में जवाब नहीं दिया. तो बात ये है कि सेल्समैन ने 'डायरेक्ट' शब्द को आम अंग्रेज़ी में तो काफ़ी इस्तेमाल किया, मगर डायरेक्ट प्लान कहने से वो बचता रहा. मैं समझता हूं कि आप समझ ही गए होंगे कि ये कहानी किस दिशा में जा रही है. ज़्यादा ख़र्चीले प्लान, जो डायरेक्ट फ़ंड के नहीं है उन्हें पिच किया जाता है, मगर किसी तरह डायरेक्ट शब्द क़रीब-क़रीब हर वाक्य में जोड़ दिया जाता है.
इससे भी बड़ी बात मुझे ये लगती है कि ये ट्रिक काफ़ी इस्तेमाल की जाती होगी और सेल्स वाले लोग काफ़ी सतर्क होते हैं कि वो ऐसा कुछ न कहें जो तकनीकी तौर पर झूठ हो या उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही किए जाने लायक़ हो. हालांकि, इस तरह की पूरी सेल्स पिच ही बेईमानी वाली हैं और फ़्रॉड के इरादे से की गई होती हैं. इन चालबाज़ों के मुक़ाबले, तो कई यू ट्यूब फ़िनफ़्लुएंसर मासूम बच्चे लगते हैं.
तो आपका क्या ख़याल है? आपको इन चालबाज़ियों के ख़िलाफ़ किस तरह की वित्तीय साक्षरता या इन्वेस्टर एजुकेशन की मदद चाहिए?
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