हमारे पाठकों में से एक श्री अमित कुलकर्णी ने हाल ही में हमसे पूछा कि "मैं म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने के लिए अपने एडवाइज़र की मदद लेना चाहता हूं. क्या ये एक अच्छा विचार है?"
भारत में, क़रीब 79 प्रतिशत भारतीय 'रेगुलर' इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, जिसका मतलब है कि वे अपना पैसा एडवाइज़र्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के ज़रिये फ़ंड में डालते हैं. वहीं, पांच में से केवल एक ही व्यक्ति ख़ुद 'डायरेक्ट' इक्विटी फ़ंड में निवेश करता है.
लेकिन क्या डिस्ट्रीब्यूटर्स और एडवाइज़र्स के ज़रिये निवेश करना एक अच्छा आइडिया है, इसका कोई सीधा जवाब नहीं है.
ये एक अच्छा आइडिया है अगर ...
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आप म्यूचुअल फ़ंड में नए हैं
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आप नहीं जानते कि म्यूचुअल फ़ंड कैसे काम करते हैं
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आप ख़ुद म्यूचुअल फ़ंड नहीं चुन सकते
- आपके पास यह जानने का समय और स्किल नहीं है कि म्यूचुअल फ़ंड कैसे काम करते हैं
दूसरी ओर, ये अच्छा आइडिया नहीं है अगर ...
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आप जानते हैं कि किस म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना है
- आप ज़्यादा खर्च करने से बचना चाहते हैं. (रेगुलर फ़ंड्स में आमतौर पर डायरेक्ट फ़ंड्स के मुक़ाबले एक्सपेंस रेशियो 1 प्रतिशत ज़्यादा होता है).
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ख़र्च कैसे आपकी पूंजी खा सकता है?
ये समझने के लिए कि लंबे समय में एक्सपेंस रेशियो कैसे आपकी वेल्थ को खा सकता है, आइए 'रेगुलर' और 'डायरेक्ट' फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड में निवेश का एक उदाहरण लेते हैं.
मान लीजिए कि आपने पराग पारिख फ़्लेक्सी कैप फ़ंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़रिये ₹50,000 का निवेश किया है, तो 10 साल के बाद आपका अंतिम निवेश मूल्य होगा:
10 साल के अंत में निवेश की वैल्यू | |
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रेगुलर | ₹ 1.55 करोड़ |
डायरेक्ट | ₹ 1.63 करोड़ |
इसलिए, किसी एडवाइज़र या डिस्ट्रीब्यूटर के ज़रिये 'रेगुलर' फ़ंड में निवेश करने पर आपको 10 साल में ₹8 लाख और खर्च करने पड़ सकते हैं, जो लगभग ₹80,000 प्रति वर्ष होते हैं.
भले ही, नए निवेशकों के लिए 'रेगुलर' फ़ंड में निवेश करना बेहतर है, लेकिन काफ़ी तज़ुर्बे वाले निवेशक ज़्यादा कॉस्ट-एफ़ीशिएंट 'डायरेक्ट' फ़ंड पर विचार कर सकते हैं.
हालांकि, इसके लिए आपको जानना होगा कि कहां और किस फ़ंड में निवेश करना सही है.
क्या है समाधान
अगर उसमें कोई मार्केटिंग दिख रही थी, तो केवल इसलिए क्योंकि ये आपकी वेल्थ के लिए अच्छा है.
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आपको सलाह दी जाती है कि आपके गोल, रिस्क प्रोफ़ाइल और निवेश समय के हिसाब से कौन-से फ़ंड ख़रीदने चाहिए.
- पोर्टफ़ोलियो एनालिसिस: समय के साथ, आपको अपने फ़ंड के परफ़ॉरमेंस पर नज़र रखने और कहां-कहां सुधार करना है, इसकी पहचान करनी होगी. इसमें ये सेक्शन आपकी मदद करेगा.
ये सब आपको एक साल के लिए ₹5,841 रुपये में उपलब्ध है - जो लॉन्ग टर्म में एक एडवाइज़र/ डिस्ट्रीब्यूटर के ज़रिये 'रेगुलर' म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने के लिए आपके द्वारा उठाए जाने वाले ख़र्च से काफ़ी कम है. तो चलिए अब शुरू कीजिए.
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