Carlos Alcaraz: कार्लोस अल्कारेज़ दुनिया में अचानक चर्चा में आ गए हैं. उन्हें प्यार से कार्लिटो बुलाया जाता है. तो, कार्लिटो ने साबित कर दिया कि पिछली पीढ़ी के खिलाड़ियों के बजाए वही असली विजेता हैं. (बीते साल, उन्होंने यूएस ओपन जीता था, लेकिन विंबलडन की घास पर मिली ये बड़ी जीत बेहद ख़ास है).
विंबलडन (Wimbledon) के फ़ाइनल में बेहद मज़बूत और महान खिलाड़ी नोवाक जोकोविच (Novak Djokovic) को हराकर, स्पेन के कार्लोस अल्कारेज़ ने टेनिस की दुनिया में सनसनी फैला दी है. SW19 कोर्ट की हरी घास पर 20 साल के इस खिलाड़ी को उत्साह से झूमते हुए देखना मज़ेदार और सुकून भरा था. ये इसलिए भी सुकून से भरा था, क्योंकि टेनिस के फ़ैन सदियों से एक अच्छे खिलाड़ी की चाहत रखते हैं. मज़ेदार इसलिए क्योंकि उनकी विंबलडन सफलता हमें निवेश के कुछ सबसे बुनियादी - लेकिन ज़रूरी - सिद्धांतों को याद दिलाता है.
तो चलिए, 20 वर्षीय खिलाड़ी की जीत को कुछ पुराने निवेश के सिद्धांतों पर परखते हैं.
डर के आगे जीत
पिछले महीने फ़्रेंच ओपन के सेमीफ़ाइनल में जोकोविच से हारने के तुरंत बाद अल्कारेज़ ने कहा, “नोवाक (जोकोविच) के ख़िलाफ खेलना आसान नहीं. अगर कोई कहता है कि वो जोकोविच के ख़िलाफ़ खेलते हुए नर्वस नहीं है, तो वो झूठ बोल रहा है.” “मैच के तनाव” के कारण “पूरे शरीर में ऐंठन” होने से पहले अल्कारेज़ एक-एक सेट जीत कर बराबरी पर थे.
दरअसल, जोकोविच के साथ खेलना डराने वाला है, क्योंकि वो अभी तक सिर्फ़ जीते ही हैं. रिकॉर्ड की बात करें, तो जोकोविच 2016 के बाद से एक भी विंबलडन सेंटर कोर्ट मैच नहीं हारे थे. उन्होंने अपने पिछले 18 स्लैम में से 11 जीते थे. इससे भी बुरी बात यह है कि टेनिस की दो मिनी जनरेशन के खिलाड़ी- दिमित्रोव/ निशिकोरी ब्लॉक और उसके बाद मेदवेदेव/ सितसिपास/ ज्वेरेव के समूह - ने कोशिश की और उनमें से ज़्यादातर असफल रहे.
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इन सब बातों को ध्यान में रखें तो, जब अल्कारेज़ ने पहला सेट बड़े अंतर से गंवा दिया तो सब और साफ़ होने लगा था.
लेकिन, सभी महान कहानियों की तरह इसमें भी नया मोड़ आया और अल्कारेज़ ने मैच से पहले किए अपने वादे को पूरा किया. उन्होंने कहा था “शांत रहो और भूल जाओ कि मैं नोवाक के ख़िलाफ़ फ़ाइनल खेलने जा रहा हूं.”
जब मार्केट में उथल-पुथल मचती है तो हम भी ठीक यही काम करना भूल जाते हैं. जैसे ही हालात मुश्किल हो जाते हैं, हम डिब्बे के मेंढकों से भी ज़्यादा झुंझलाने लगते हैं और पैसों के बारे में जल्दबाज़ी में फ़ैसला लेने लगते हैं.
इस तरह की जल्दबाज़ी को कार्ल रिचर्ड्स (Carl Richards) ने ‘द बिहेवियर गैप: सिंपल वेज़ टू स्टॉप डूइंग डंब थिंग्स विद मनी’ (The Behaviour Gap: Simple Ways to Stop Doing Dumb Things with Money) में समझाया है. क़िताब में, उन्होंने ज़िक्र किया है कि निवेश पर मिले रिटर्न और निवेशकों को मिले रिटर्न के बीच अंतर क्यों है. हालांकि इसके कई कारण हैं, एक तो ये कि निवेशक मार्केट की उथल-पुथल से घबरा जाते हैं और जल्दबाज़ी में अपने निवेश से बेच देते हैं.
इसलिए, निवेश करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को जान लीजिए. उदाहरण के लिए, आपको इक्विटी में तभी ज़्यादा पैसे लगाने चाहिए, जब आप इसमें शॉर्ट टर्म में आने वाले उतार-चढ़ाव का सामना कर सकें. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो इक्विटी एलोकेशन कम करें. हालांकि, अगर आपकी उम्र 35 से कम है तो लगभग 75-25 रेशियो में इक्विटी-डेट पोर्टफ़ोलियो रखें.
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लचीलापन
Adaptability: चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने कहा था कि ये दुनिया “सर्वाइवल ऑफ़ द फ़िटेस्ट” (survival of the fittest) पर आधारित थी. ज़िंदा रहने के लिए एक और चीज़ की ज़रूरत है. और वो है अडैप्टेबिलिटी यानी लचीलापन, जो हमें विंबलडन फ़ाइनल के दौरान अल्कारेज़ के परफ़ॉर्मेंस में काफ़ी अच्छे से देखने को मिला.
अनजान लोगों के लिए, अल्कारेज़ के पास फ़ोरहैंड की बैलिस्टिक मिसाइल है. लेकिन पहले सेट में जोकोविच ने ताक़त के बजाय गहराई और दिशा को तरजीह दी. इस स्ट्रैटजी को चुनकर, उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को कोर्ट के हर कोने तक खींच लिया, जिससे उन्हें अपना मनी शॉट खेलने का कोई मौक़ा नहीं मिला. निराश होकर, स्पेन के युवा खिलाड़ी ने अपने फ़ोरहैंड को मुश्किल एंगल्स से बौछार की जिससे पहले सेट में छह फ़ोरहैंड में ग़लतियां हुईं.
हालांकि, तीसरे सेट तक अल्कारेज़ ने अपने खेल में सुधार कर लिया था. उन्होंने अपना खेलने का तरीक़ा बदला और जोकोविच की तरह, ज़्यादा हाई-परसेंटेज स्ट्रोक मारने का फ़ैसला किया. तीसरे सेट में अल्कारेज़ ने अपने फ़ोरहैंड पर केवल दो ग़लतियां कीं, वहीं, जोकोविच ने 12 ग़लतियां कीं. एक समय जब वो जोकोविच को आउट कर रहे थे. तभी मैच में पासा पलट गया.
इसी तरह, हमें अपने निवेश के मामले में भी बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है. यहीं पर एसेट एलोकेशन की भूमिका सामने आती है.
एसेट एलोकेशन ऐसा तरीक़ा है, जो आपके पैसे को इक्विटी और डेट में फैलाने में मदद करती है क्योंकि ये एक दूसरे से उलट होते हैं. इसका मतलब यह है कि इक्विटी गिरने पर आमतौर पर डेट अच्छा परफ़ॉर्म करता है, और इसके उलट, डेट के गिरने पर इक्विटी अच्छा परफ़ॉर्म करती है. यानी जब इक्विटी/ मार्केट में गिरावट आती है तो आपको पैसे का नुक़सान नहीं होता.
इसलिए, अपने पैसे को इक्विटी और डेट में फैलाकर, आप बाज़ार के हर तरह के हालात के लिए तैयार रखते हैं.
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अब तक के डेटा से एसेट एलोकेशन की ख़ूबी का भी पता चलता है. उदाहरण के लिए, 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट में, 100 फ़ीसदी इक्विटी पोर्टफ़ोलियो में आपका आधे से ज़्यादा पैसा डूब गया होगा. वहीं, 75-25 रेशियो वाले इक्विटी-डेट पोर्टफ़ोलियो में एक तिहाई से थोड़ा ज़्यादा का नुक़सान हुआ होता.
इसके दो निष्कर्ष हैं: एक, हो सकता है घाटे का अंतर बहुत ज़्यादा न लगे, लेकिन अगर 2008 में आपका मार्केट में ज़्यादा पैसा लगा होता तो अंतर लाखों में होता. और दूसरा, भले ही घाटा अभी भी काफी है, लेकिन एक मिला-जुला, लचीला पोर्टफ़ोलियो एक क्रैश-प्रूफ सॉल्यूशन है.
मज़बूत इरादा
अल्कारेज़ स्पेन के एल पालमार गांव में टिरो डी पिचोन (Pigeon Strike) के मिट्टी के कोर्ट पर तैयार हुआ था. शुरुआत से ही, Pigeon Strike क्लब के सदस्य अल्कारेज़ की क्षमता से हैरान थे. लेकिन उनके ड्रॉप शॉट लविंग गेम के प्रोफ़ेशनल टेनिस की हाई लेवल दुनिया में फ़िट होने को लेकर चिंताएं थीं.
उनके आने से पहले तक, ड्रॉप शॉट धोखा देने की एक चाल थी जिसका इस्तेमाल बहुत कम किया जाता था. ज़्यादातर मामलों में, ड्रॉप शॉट से आपके प्वाइंट्स कम होते थे. और संडे के शो में यही हो रहा था. अल्कारेज़ पहले चार सेटों में ड्रॉप शॉट पॉइंट पर छह में से केवल एक पर पहुंचे थे, लेकिन अपने जीवन के सबसे बड़े सेट में अगले छह में से पांच जीत गए. इसके लिए बहुत ज़्यादा दृढ़ संकल्प की ज़रूरत होती है.
इसी तरह, निवेशकों के तौर पर, हमें अपने लंबे समय के लक्ष्यों को जानना और उन पर क़ायम रहना होगा. दरअसल, दुनिया में ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिससे आपका निवेश हमेशा पैसा कमाता रहे.
आइए आपको इस अनाम स्टॉक का एक उदाहरण देते हैं (समझदार पाठक इसका स्टॉक को सही-सही पहचान सकते हैं) और कैसे दृढ़ संकल्प वाले निवेशकों ने भरपूर प्रॉफ़िट कमाया. जब इस स्टॉक ने नेगेटिव रिटर्न दिया तो ये दौर छह साल लंबा चला और कई निवेशकों का इस पर से भरोसा उठ गया और उन्होंने इन्हें बेच दिया. लेकिन, देखिए, अगले छह सालों में इस स्टॉक में 700 फ़ीसदी की ग्रोथ हुई, जिससे उन निवेशकों को अच्छा रिवॉर्ड मिला जिन्होंने इन्हें नहीं बेचा.
हालांकि ये कहानी एक बानगी है, और आप बाक़ी मामलों में पैसा खो सकते हैं. यहां मुद्दा ये है कि अगर किसी कंपनी का स्टॉक अच्छा है, तो बड़ा क़दम उठाने से पहले मज़बूती से भरोसा किया जा सकता है. ठीक वैसे ही जैसे लंदन में रविवार की शाम को युवा कार्लिटो ने किया.
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