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मैक्रो इन्वेस्टमेंट का सबसे बड़ा उस्ताद!

हमारी पीढ़ी के सबसे अच्छे निवेशकों में से एक रे डालियो की इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी समझना बेहद ज़रूरी है

मैक्रो इन्वेस्टमेंट का सबसे बड़ा उस्ताद!

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तेज़ी के दौर में सही तरीक़े से अग्रेसिव रहना और मंदी से निपटने के लिए अच्छी तरह से डाइवर्स होना - ये हमारे दौर के महानतम निवेशकों में से एक रे डालियो (Ray Dalio) की इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी का सीधा और संक्षिप्त रूप है.

रे डालियो ने 1975 में न्यूयॉर्क के अपने दो बेडरूम अपार्टमेंट से ब्रिजवॉटर असोसिएट्स (Bridgewater Associates) की स्थापना की और उसे दुनिया का सबसे बड़ा हेज फ़ंड (Hedge Fund) बना दिया. मई 2023 तक, फ़ंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) $124 बिलियन था.

मगर निवेश की दुनिया में उनका योगदान उनकी मार्केट की सफलता से कहीं बड़ा है. डालियो मैक्रो इन्वेस्टिंग (macro investing) के सबसे बड़े पथ प्रदर्शक हैं. ये एक ऐसी इन्वेस्टमेंट अप्रोच है जिसमें इन्वेस्टमेंट के मौक़ों को पहचानने के लिए और रिस्क का अंदाज़ा लगाने के लिए मैक्रोइकनॉमिक्स (macroeconomics) के ट्रेंड्स को देखा जाता है.

मैक्रोइकनॉमिक्स से डालियो रिस्क कैसे कम करते हैं
उन्होंने रिस्क पैरिटी (risk parity) के सिद्धांत की शुरुआत की. इसका मतलब होता है रिस्क को बैलेंस करने के लिए इन्वेस्टमेंट को ऐसी कई एसेट क्लास में डाइवर्सिफ़ाई (diversify) करना, जिनका आपस में कोई सीधा संबंध नहीं दिखाई देता.

पूरी अर्थव्यवस्था तो अक्सर उतार-चढ़ाव से गुज़रेगी ही. आखिर, जब तेज़ी का दौर होता है तब इक्विटी (equity) और इक्विटी से जुड़ी एसेट क्लास (asset class) चमक जाती है. इसके उलट, फ़िक्स्ड-इनकम (fixed-income) वाले निवेश, अर्थव्यवस्था में मंदी के दौर में निवेश का बेहतर विकल्प बन जाते हैं.

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डालियो सुझाते हैं कि अगर आप इक्विटी और फ़िक्स्ड इनकम एसेट क्लास में काफ़ी डाइवर्सिफ़ाई करते हैं, तो आपके पोर्टफ़ोलियो (portfolio) का इक्विटी वाला हिस्सा तेज़ी के दौर में ऊपर की ओर भागेगा, और आपका फ़िक्स्ड-इनकम वाला हिस्सा मंदी के गिरते हुए बाज़ार का असर कम कर देगा.

डालियो ने डाइवर्सिफ़िकेशन का सबक़ कैसे सीखा
हाल ही में, एक पॉडकास्ट में हमने डालियो के पहले बड़े सेटबैक के बारे में सुना जिससे उन्हें डाइवर्सिफ़िकेशन की अहमियत का पाठ पढ़ाया.

डालियो ने भविष्यवाणी की थी कि मैक्सिको के डेट क्राइसिस (Mexican Debt crisis) के बाद, यूएस की अर्थव्यवस्था क्रैश कर जाएगी. हालांकि, इसका ठीक उलटा हुआ और ब्राइटवॉटर को बड़ा नुक़सान उठाना पड़ा. उन्हें अपने क़रीब आधे कर्मचारियों को निकालना पड़ा. डालियो के प्रोफ़ेशनल करियर का ये पहला बड़ा सेटबैक था जिसने उन्हें सिखाया कि रिस्क को क़ाबू करने के लिए डाइवर्सिफ़िकेशन एक अहम कड़ी है.

इस घटना का ज़िक्र करते हुए डालियो ने इस पॉडकास्ट में कहा:

"और इसने मुझे असल में सिखाया कि मुझे अपने दांव किस तरह से डाइवर्सिफ़ाई करने हैं. इन्हें डाइवर्सिफ़ाई करके, मैं अपना रिटर्न कम किए बिना अपना रिस्क काफ़ी कम कर सकता था. और ये बात ने मुझे जीवन को समझने में भी मदद की".

आपके काम की बात
मौजूदा दशक के बाद के हिस्से ने एक क्रैश कोर्स की तरह समझाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कितनी अप्रत्याशित हो सकती है. डालियो की रिस्क पैरिटी वाली अप्रोच, आज, मैक्रो के संदर्भ में एक अहम नज़रिया है. हालांकि, डाइवर्सिफ़िकेशन तो इस पहेली का एक हिस्सा भर है. पोर्टफ़ोलियो बनाने की आपकी अप्रोच चाहे जो हो, आपका निवेश, आपकी रिस्क लेने की क्षमता, और आपके निवेश के लक्ष्य के आधार पर होना चाहिए. मिसाल के तौर पर, एक ऐसा पोर्टफ़ोलियो बनाना, जिसका आधार फ़िक्स्ड-इनकम इन्स्ट्रुमेंट (fixed-income instrument) हैं, आपको आर्थिक मंदी के दौर में मदद करेगा, पर अगर आप लंबे समय के दौरान अपने लिए बड़ी पूंजी बनाना चाहते हैं, तो ये आपके लिए काफ़ी नहीं होगा.

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