Brokerages: महामारी के दौर के बाद रिटेल निवेश में अचानक ग्रोथ बढ़ने से कई लोग मानने लगे थे कि ब्रोकरेज कंपनियां आने वाले कुछ समय तक ऊंची उड़ान भरती रहेंगी. हालांकि, फ़ाइनेंशियल ईयर-23 में आठ बड़ी ब्रोकरेज कंपनियों में से सात के मुनाफ़े (टैक्स के बाद) में गिरावट दर्ज की गई. अब ये कहा जा सकता है कि जश्न का दौर कुछ थम गया है.
यहां हम इस बात पर ग़ौर करने की कोशिश कर रहे हैं कि ब्रोकरेज कंपनियों के लिए अपना मुनाफ़ा बढ़ाना मुश्किल क्यों हो रहा है.
तेज़ी का दौर ख़त्म
महामारी के बाद, तेज़ी का एक दौर शुरू हुआ था. दरअसल, अर्थव्यवस्था में मज़बूती आने के साथ निवेश करने वालों की तादाद तेज़ी से बढ़ी थी. यही वजह रही कि फ़ाइनेंशियल ईयर-22 में नए डीमैट अकाउंट (demat accounts) में 141 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. ज़्यादा डीमैट अकाउंट का मतलब है, ज़्यादा ट्रेडिंग और इसीलिए ब्रोकरेज कंपनियों के रेवेन्यू में तगड़ी ग्रोथ दर्ज की गई.
ये भी पढ़िए- क्या आपको बैकिंग और फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ फ़ंड्स में निवेश करना चाहिए?
हालांकि, हर बार की तरह जल्द ही रिटेल निवेश में कमज़ोरी देखने को मिली. इसकी बड़ी वजह फ़ाइनेंशिल ईयर-23 में मार्केट का सपाट प्रदर्शन रहा. इस साल सेंसेक्स का रिटर्न महज 0.8 फ़ीसदी रहा था. इसका ब्रोकरेज की कमाई पर ख़ासा असर पड़ा.
प्रतिस्पर्धा
महामारी के बाद रिटेल निवेशकों की संख्या में इज़ाफ़े के साथ, तेज़ी से बढ़ते बाज़ार में ज़्यादा हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कॉम्पीटीशन भी बढ़ गया. इसके चलते कई कंपनियों को अपना मार्केट शेयर भी गंवाना पड़ा.
आप देख सकते हैं कि फ़ाइनेंशियल ईयर 20 से 23 के बीच, एंजिल वन को छोड़कर सभी बड़ी ब्रोकरेज के मार्केट शेयर में गिरावट देखी गई.
बढ़ी मार्जिन ट्रेडिंग
महामारी के बाद मार्केट में दस्तक देने वाले नए निवेशकों में ज़्यादातर की उम्र 20-30 साल के बीच थी और उनमें रिस्क की भूख भी ज़्यादा थी. हक़ीक़त में फ़ाइनेंशियल ईयर 19-22 के बीच 20-30 साल तक उम्र के रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या में 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
ये भी पढ़िए- पता करें कौन सी कंपनी हो सकती है दिवालिया?
ज़्यादा रिस्क की भूख वाले निवेशकों के बढ़ने से कैश ट्रेडिंग (इक्विटीज़ में ख़रीद और बिक्री) में गिरावट रही और मार्जिन ट्रेडिंग (डेरिवेटिव्स में ख़रीद और बिक्री) ख़ासी बढ़ गई. फ़ाइनेंशियल ईयर 23 में सभी ब्रोकरेज कंपनियों के कैश सेगमेंट के टर्नओवर में लगभग 19 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
लिस्टिड ब्रोकरेज की बात करें, तो कई के रेवेन्यू में कैश सेगमेंट की एक बड़ी हिस्सेदारी होती है. इसलिए, उनके रेवेन्यू को झटका लगा है. हक़ीक़त में, इस ट्रेंड का सबसे ज़्यादा फ़ायदा एंजिल वन को हुआ, क्योंकि डेरिवेटिव सेगमेंट उसके लिए रेवेन्यू का प्रमुख स्रोत है.
आपके लिए सबक
हम नहीं कह सकते कि ब्रोकरेज के लिए भविष्य में क्या छिपा है. हालांकि, ब्रोकरेज इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति याद दिलाती है कि हर इंडस्ट्री में तेज़ी और गिरावट के दौर आते रहते हैं. इसलिए, आपको सिर्फ़ एक निश्चित समय में इंडस्ट्री के प्रदर्शन के आधार पर ही किसी बिज़नस पर दांव नहीं लगाने चाहिए. आपको ऐसी कंपनियों की पहचान पर ज़ोर देना चाहिए जो किसी भी गिरावट के दौर में क़ायम रहें और तेज़ी के दौर में फ़ायदा उठा सकें.
देखिए ये वीडियो- SIP के लिए सबसे सही तारीख़ कौन सी?