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क्या सोने के सुनहरे दिन आने वाले हैं?

हर तरफ़ बात हो रही है कि क्या युद्ध और उसके प्रतिबंधों ने गोल्ड इन्वेस्टमेंट को ज़्यादा फ़ायदे का सौदा बना दिया है

क्या सोने के सुनहरे दिन आने वाले हैं?

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चाहे सार्वजनिक हों या निजी, निवेश की बातों में गोल्ड फ़ैशन की तरह आता-जाता है और ये फ़ैशन इसके उठते गिरते दामों के साथ बदलता रहता है. आप गोल्ड को अच्छे या बुरे, दोनों तरह के निवेश के तौर पर दिखा सकते हैं क्योंकि इसका दारोमदार इस पर होता है कि आप ये दाम कब से कब तक देख रहे हैं. हालांकि, अगर आप काफ़ी लंबे अरसे को देखेंगे, तो पाएंगे कि इसका सिर्फ़ एक ही निष्कर्ष निकल सकता है.

लंबे अरसे में, बढ़ते हुए गोल्ड के दाम ये भ्रम पैदा करते हैं कि उनसे अच्छा फ़ायदा मिला है. अब, आप क़रीब 40 साल का समय लीजिए, 1980 से आज तक का. इस दौरान, गोल्ड के दाम 33 गुना बढ़े और ₹1800 प्रति 10 ग्राम से क़रीब ₹60,000 तक पहुंच गए. इस तरह से क़ीमत का बढ़ना प्रभावित करने वाला है. हालांकि, आप इसी दौरान सेंसेक्स का प्रदर्शन देखेंगे, तो आपका नज़रिया सिरे से बदल जाएगा. इसी अवधि में सेंसेक्स ने, 173 प्वाइंट से शुरुआत की और 62,500 प्वाइंट ऊपर आ गया. ये छलांग 361-गुना की रही. इसलिए, जहां इन चार दशकों में गोल्ड के दामों का बढ़ना काफ़ी अच्छा रहा है, वहीं इक्विटी निवेश के मुनाफ़े के सामने ये बौना साबित होता है.

हालांकि, मीडिया और ऑनलाइन मीडिया ने सोने की कहानी में कुछ नए मोड़ डाल दिए हैं. हम सभी जानते हैं, 2022 की शुरुआत में अमेरिका और उसके पिछलग्गुओं ने पश्चिमी बैंकों में जमा रूस के सेंट्रल बैंक के एसेट ज़ब्त करने का फ़ैसला किया था. मेरा आज का विषय ये नहीं है कि इसका रूस की अर्थव्यवस्था पर क्या असर हुआ. फिर भी, बाक़ी दुनिया पर इसका ये असर हुआ कि उन्हें एहसास हो गया कि राष्ट्रीय रिज़र्व के डॉलरों को पश्चिमी देशों के कंट्रोल वाले बैंकों में रखना कितना जोख़िम वाला है. तब से, दुनिया के तक़रीबन हर सेंट्रल बैंक ने अपने राष्ट्रीय रिज़र्व के डॉलरों को गोल्ड में बदलना शुरू कर दिया, जिसमें ज़ाहिर है चीनी सबसे आगे रहे. और हां, ये काम बहुत तेज़ी से भी नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे आपकी होल्डिंग की वैल्यू घट जाएगी. मगर इस समय ये ट्रेंड काफ़ी साफ़ नज़र आ रहा है.

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वैसे आज के मेरे सवाल का जिओपॉलिटिक्स से कोई लेना-देना नहीं है. इसके बजाए, मैं तो उन सारी सलाहों को देख रहा हूं जिनकी इस समय चौतरफ़ा झड़ी लगी हुई है. इसमें कहा जा रहा है कि जियोपॉलिटिक्स ने जो करवट ली है उसमें मुझे और आपको गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहिए, और लंबे समय तक करते रहना चाहिए. क्या आपको इस बात का कोई सिर-पैर समझ आता है? दरअसल इस सवाल का जवाब उस वजह में छुपा है जिस वजह से कुछ लोग और देश सोना ख़रीदते हैं. सोना एक निवेश हो सकता है, यानी, अपनी बढ़ती हुई क़ीमत की वजह से ये ख़रीदा जा सकता है. और जैसा कि मैंने पहले कहा, एक उतार-चढ़ाव वाली एसेट के तौर पर इसका प्रदर्शन काफ़ी कमज़ोर है.

हालांकि, आप ये भी सुनेंगे कि गोल्ड 'वैल्यू का स्टोर' है. इसे समझने के लिए, मैं इस वाक्य को थोड़ा बदल कर इस तरह कहूंगा कि 'गोल्ड उस वैल्यू का स्टोर है जो कि किसी भी मॉनिटरिंग, फ़िस्कल या लीगल सिस्टम से आज़ाद है'. इसीलिए देश इसे अपने रिज़र्व के तौर पर रखते हैं और अब ज़्यादा-से-ज़्यादा रखने लगे हैं. अमेरिकी सरकार के बॉन्ड से उलट, ये आपके नेशनल रिज़र्व का ऐसा वैल्यू का स्टोर है, जिसे यूं ही ज़ब्त नहीं किया जा सकता. इसीलिए सेंट्रल बैंक निवेश के तौर पर गोल्ड के प्रदर्शन की परवाह किए बिना ही अपने पास रखेंगे. वो वैल्यू का ऐसा स्टोर चाहते हैं जिसे अमेरिकी सरकार बरबाद न कर सके. अगर गोल्ड 20 प्रतिशत गिर भी जाए, तो भी ये ज़ीरो हो जाने से तो बेहतर ही होगा जैसा कि पश्चिमी बैंकों में जमा रूस के डिपॉज़िट के साथ हुआ.

सवाल ये है कि एक शख़्स के तौर पर क्या आपकी भी यही स्थिति है? हालांकि कुछ लोगों की ऐसी ही स्थिति हो सकती है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सुनने में आ रहा है कि आप ₹2,000 के नोटों के साथ कितना भी गोल्ड ख़रीद सकते हैं. आपसे कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा अगर आप ₹72,000 प्रति 10 ग्राम का रेट देते हैं. पर ये वो लोग हैं, जिन्हें दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों की तरह, ऐसी वैल्यू का स्टोर चाहिए जो किसी भी मॉनिटरी, फ़िस्कल या लीगल सिस्टम से आज़ाद हो. हालांकि, हममें से ज़्यादातर लोगों के लिए, इस तरह की वैल्यू वाले स्टोर की ज़रूरत नहीं है. हमें हमारी बचत और निवेशों को सही तरीक़े से करने और उन्हें बढ़ाने की ज़रूरत होती है जिसका इस्तेमाल हम क़ानूनी दायरे में ही कर सकें.

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ग्लोबल इकनॉमिक और जिओपॉलिटिकल उठा-पटक के बावजूद पिछले कुछ दशकों में, लंबे समय के दौरान गोल्ड का प्रदर्शन इतना बुरा है कि जिओपॉलिटिक्स से चाहे इसे जितना भी फ़ायदा मिले, ये एक बुरा निवेश बना ही रहेगा. इसमें कोई शक़ नहीं कि एक स्थिर वैल्यू के स्टोर के तौर पर गोल्ड का लंबा इतिहास रहा है. मगर फिर इसका इतना ही लंबा इतिहास एक ख़राब निवेश होने का भी तो हुआ. ख़ैर, आप जानने समझने के बाद अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ फ़ैसला करें.


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