Mutual Fund: हाल में हमें अपने एक रीडर से एक सवाल मिला, जिसमें पूछा गया था कि म्यूचुअल फ़ंड हाउस एक्सपेंस रेशियो (expense ratios) कैसे वसूलते हैं. इसका जवाब देने से पहले आइए समझते हैं कि एक्सपेंस रेशियो क्या है और ये आपके म्यूचुअल फ़ंड निवेश को कैसे प्रभावित करता है.
एक्सपेंस रेशियो क्या है
सीधे शब्दों में कहें तो ये एक एनुअल फ़ीस है, जो फ़ंड हाउस अपने इन्वेस्टर्स से वसूलते हैं. इसमें उनकी सालाना ऑपरेटिंग कॉस्ट शामिल होती है, जिसमें मैनेजमेंट फ़ीस, एडमिनिस्ट्रेशन फ़ीस और यहां तक कि एडवर्टाइजिंग और प्रमोशन खर्च आदि आते हैं.
आपके लिए जानना जरूरी है कि भले ही एक्सपेंस रेशियो एक एनुअल फ़ीस है, लेकिन ये हर साल एक बार में वसूल नहीं की जाती है. इसके बजाय, इसे फ़ंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में से रोजाना काटा जाता है.
चूंकि, एक्सपेंस रेशियो एक आंतरिक ख़र्च है, जो NAV से अपने आप ही कट जाता है. यही वजह है कि इसकी आपको रसीद नहीं मिलती है. ख़ास बात ये है कि भले ही फ़ंड का प्रदर्शन पॉजिटिव हो या निगेटिव, आपसे फ़ीस वसूल की जाती है.
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आपके निवेश पर कैसे लागू होता है एक्सपेंस रेशियो
आइए, एक उदाहरण देखते हैं. मान लीजिए, आपने एक फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड में ₹50,000 की रक़म निवेश की और होल्डिंग पीरियड एक साल है.
दूसरे निवेश की तुलना में, इस पर भी कुछ चार्ज लगते हैं. इन्हीं में से एक है सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT), जो सिक्योरिटीज की ख़रीद या बिक्री पर लगने वाला एक डायरेक्ट टैक्स है.
चलिए, मान लेते हैं कि STT 0.005 फ़ीसदी है. इसका मतलब है कि फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड में जा रहा कुल निवेश ₹50,000 नहीं होगा, बल्कि यह ₹49,997.5 (₹50,000 - ₹2.5) होगा. आगे, मान लेते हैं कि एक्सपेंस रेशियो 1.5 फ़ीसदी है.
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अगर आप अपने पैसे को ठीक 12 महीने के लिए निवेश करते हैं, तो आपसे 1.5 फ़ीसदी एक्सपेंस फ़ीस वसूल की जाएगी.
हालांकि, अगर आप नौ महीने के लिए निवेश बनाए रखते हैं तो आपसे 365 दिन के बजाय 273 दिन के लिए फ़ीस ली जाएगी. इस मामले में, आपको 1.125 फ़ीसदी एक्सपेंस रेशियो देना होगा.
निश्चित रूप से एक्सपेंस रेशियो को शामिल करने पर एक साल के निवेश पर वास्तविक फ़ायदा 10 फ़ीसदी नहीं, बल्कि 8.35 फ़ीसदी होगा.
इन बात को रखें ध्यान
- भले ही रोजाना होने वाली कटौती कम है, लेकिन एक्सपेंस रेशियो से आपका रिटर्न घट जाता है.
- भले ही एक फ़ंड को चुनते समय कम एक्सपेंस रेशियो आकर्षक लग सकता है, लेकिन फ़ंड को चुनने की सिर्फ यही एक वजह नहीं होनी चाहिए.
- इसके बजाय, आपको फ़ंड के पांच साल, 10 साल के रिटर्न, फ़ंड मैनेजर के अनुभव के साथ-साथ इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि आपकी रिस्क उठाने की क्षमता और निवेश के लक्ष्यों के लिहाज से स्कीम कितनी अनुकूल है.
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