'सादगी को समझना सबसे आसान काम है' - लिओनार्डो दा विंची
सामान्य काम करना कितना मुश्किल है? अगर हम कुछ बुनियादी कामों को सही तरीके से और लगातार करते हैं, तो हममें से ज़्यादातर लोग ठीक रहेंगे. हममें से ज़्यादातर को फिट रहने के लिए बस थोड़ी एक्सरसाइज, अच्छी नींद और अच्छे खान-पान की ज़रूरत होती है. कहा जाता है, ये मज़ेदार नहीं है और इससे जल्दी रिजल्ट भी नहीं मिलते हैं. फिर, हम इसके बजाय, लगातार एक जादुई दवाई खोजते रहते हैं और कुछ 'नए' पर रिसर्च करने में ज़्यादा समय लगाते हैं. चाहे वो खान-पान हो या एक्सरसाइज की नई सनक हो, मेरा हर जानने वाला यही करता है. यह अथक खोज ही हम सबको 'तब और अब' की तस्वीरों वाली मार्केटिंग की चालबाज़ियों में फंसाती है. एक ख़ासा चर्चित मंत्र है, "मुझे कुछ और चाहिए, और वो भी दूसरों से तेज़."
ज़िन्दगी के हर मामले में यहां तक कि पर्सनल फ़ाइनांस में भी, ऐसा ही होता है.
रोज़ की तरह, एक दिन मैं एक क्लाइंट से मिली. बहुत ही मधुर स्वाभाव के व्यक्ति थे. विदेश में आइवी लीग में शामिल यूनिवर्सिटीज में से एक में स्कूली शिक्षा हासिल की. एक अनुभवी निवेशक. एक बेहतरीन प्रोफ़ेशनल होने के साथ ही, उन्होंने शेयरों में अच्छा इन्वेस्टमेंट कर रखा था. वो अब निवेश के एक नए आइडिया पर चर्चा करना चाहते थे. मैंने उनसे अपने निवेश की लिस्ट मुझे भेजने को कहा, ताकि मैं ये जान सकूं कि शुरुआत कहां से करनी है.
उन्होंने पांच से छह AIF और इतने ही PMS खातों में निवेश कर रखा था. मैंने पूछा, "क्या पोर्टफ़ोलियो बनाने के लिए मुझसे कोई ख़ास बात कहना चाहते हैं?" जवाब मिला- जी नहीं.
वे बस अच्छे सॉल्युशंस और व्यवस्थित पोर्टफ़ोलियो चाहते थे. उन्होंने मुझे लॉन्ग-शॉर्ट, क्रॉसओवर, अपसाइड पार्टिसिपेशन आदि स्ट्रैटजी के बारे में बताया. मैंने उनसे पूछा कि क्या वे अपने निवेश विकल्पों से संतुष्ट हैं. साफ़ तौर पर वे नहीं थे. असल में, वे अपने लगभग 40 फ़ीसदी निवेश आइडिया से खुश नहीं थे. वे दूसरे भरोसेमंद विकल्प चुनना चाह रहे थे.
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मैंने उनसे एक 'सीधा सा' सवाल पूछ लिया कि क्या आपके पास म्यूचुअल फ़ंड्स हैं. मैं उनके हाव-भाव बदलते देख सकती थी. उनका चेहरे पर स्पष्ट सवाल दिख रहा था: "क्या जिस शख्स से मैं बात कर रहा हूं, उसे एक HNI (हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल) की साइकोलॉजी के बारे में भी पता है? यह एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसका ऐडवर्टाइज़मेंट हर जगह होता है. यहां तक कि मेरे ड्राइवर के पास भी SIP है."
लेकिन मेरी गाड़ी दो बातों पर अटक गई. पहली तो ये कि म्यूचुअल फ़ंड जैसे सरल प्रोडक्ट आम जनता, मिडिल क्लास और एलीट क्लास सभी के लिए थे. दूसरी बात, रिटर्न हमेशा सभी पोर्टफ़ोलियो के लिए हाई नहीं हो सकता.
दूसरे जटिल प्रोडक्ट्स की तुलना में म्यूचुअल फ़ंड्स के कई फायदे हैं. वे टैक्स और कॉस्ट के लिहाज से ख़ासे किफायती, अच्छी तरह से रेगुलेटेड, ट्रांसपरेंट और प्रोफेशनली मैनेज्ड हैं; उनके पास एक ख़ास स्ट्रैटजी है, खर्च पर एक सीमा है और निवेश पर एक थ्रेसहोल्ड भी है. इसके अलावा, फ़ंड का उद्देश्य स्पष्ट होता है और एसेट ऐलोकेशन के लिए कई ऑप्शन हैं. अगर कोई सेक्टोरल एक्सपोजर चाहता है, तो म्यूचुअल फ़ंड के पास वो विकल्प भी है. कुल मिलाकर, म्यूचुअल फ़ंड कई विकल्पों की पेशकश करते हैं.
तो, इतने आसान विकल्प के होते हुए और क्या चाहिए? क्या ये अनुभव आधारित हकीकत है कि जटिलता से ही अल्फा तैयार होता है? क्या एक PMS प्रबंधक के पास कुछ ऐसी ख़ास चीज़ है जो केवल अपने निवेशकों के लिए ही है और बाकी लोगों के लिए नहीं है? अगर हम ऑपरेशनल कॉस्ट और कुछ मामलों में, प्रॉफ़िट-शेयरिंग अरेंजमेंट को जोड़ते हैं तो क्या वे ज़्यादा महंगे प्रोडक्ट नहीं हैं?
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एक तरफ़ तो क्लाइंट रेग्युलर स्कीम में कॉस्ट की चिंता करते हैं और वहीं, वे महंगे जटिल स्ट्रक्चर के शिकार हो जाते हैं.
मेरे ख़्याल से इंसान की साइकोलॉजी ऐसी ही होती है. दूसरों की ओनरशिप (पब्लिक पढ़ें) वाले पोर्टफ़ोलियो की तुलना में जटिल स्ट्रक्चर्स को ज़्यादा कारगर माना जाता है.
एक पार्टी में ये दावा करना एक स्टेटस सिम्बल बन जाता है कि फलां-फलां फ़ंड मैनेजर हाल में स्ट्रैटजी शेयर करने के लिए मेरे घर आया था. इससे किसी भी पार्टी को ये शेख़ी बघारने का मौका मिलता है कि फलां-फलां फंड मैनेजर ने हाल ही में (एक नई-नई) स्ट्रैटजी बताने के लिए उनसे मुलाकात की थी. उनसे मैं पूछती हूं: "अगर ये एक अच्छी स्ट्रैटजी है, तो मैनेजर उस आइडिया से बच क्यों रहे थे?" दरअसल, अगर मैं किसी स्ट्रैटजी से खुश हूं, तो मैं उस स्ट्रैटजी में और ज़्यादा इन्वेस्ट करूंगी. तो अब कुछ हट के करने की कोशिश क्यों की जाए? ये मसला ही अलग है. लगभग सभी निवेशक हमेशा रिटर्न के पीछे भागते हैं. वे इस बात को समझे बिना भेड़ चाल में फंस जाते हैं कि प्रोडक्ट अपने साइकिल में कहां पर है. वे सिर्फ सबसे तेज गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर चाहते हैं."
मौजूदा डेटा ये बात साबित होती है कि सरल डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड्स ने शानदार प्रदर्शन किया है. लेकिन क्या इसमें कोई ख़ास बात है? मैं पूरे यक़ीन से कहती हूं कि पोर्टफोलियो में मुख्य रूप से सरल प्रोडक्ट शामिल होने चाहिए. बाक़ी तामझाम तो उसके बाद भी किए जा सकते हैं. इसलिए, मैंने क्लाइंट को सलाह दी थी कि नए 'किलर आइडिया' को खोजने के बजाय सिम्पल स्ट्रैटजी पर ध्यान दें और एक म्यूचुअल फ़ंड कॉर्पस बनाएं मुझे लगता है कि मैं उनका आइडिया किलर बन गई.
श्यामली 20 साल से ज़्यादा वक़्त से एसेट मैनेजमेंट की दुनिया से जुड़ी हुई हैं, जो बेहद अमीर निवेशकों से लेकर नए निवेशकों तक, सभी के साथ काम कर रही हैं. निवेश के मानवीय पहलू को समझने और निवेशकों के साथ सहानुभूति रखने की उनमें ख़ूबी है, जिससे उनके लेख दूसरों से अलग नज़र आते हैं. उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है.
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