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वॉरेन बफ़े ने क्यों कहा कि उतार-चढ़ाव रिस्की नहीं

आपकी इन्वेस्टमेंट गाइड-बुक से उलट Warren Buffett मानते हैं कि शेयर की क़ीमतों में उतार-चढ़ाव से निवेश के रिस्की होने का फ़ैसला नहीं होता, क्यों

वॉरेन बफ़े ने क्यों कहा कि उतार-चढ़ाव रिस्की नहीं

उतार-चढ़ाव का मतलब रिस्की नहीं है! ये कहना है हमारे जमाने के सबसे महान इन्वेस्टर वॉरेन बफ़े का.

वित्तीय क्षेत्र के जानकार दावा करते हैं कि अगर एक स्टॉक ज़्यादा वॉलेटाइल है, तो ये एक रिस्की इन्वेस्टमेंट है. वो बीटा (high beta stocks) के इस्तेमाल से इस रिस्क की पहचान करते हैं. बीटा एक ऐसा पैमाना है, जो पूरे बाज़ार की वॉलेटिलिटी की तुलना में स्टॉक की क़ीमत के उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है.

इसका मतलब है कि बीटा जितना ज़्यादा है, स्टॉक उतना ही जोख़िम भरा होगा. हालांकि, बफ़े इस बात से सहमत नहीं हैं.

अपने एक सेमिनार में उन्होंने कहा, “बेहद ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाले बाज़ार का मतलब होता है कि समय-समय पर मज़बूत कंपनियों की क़ीमत में बिना किसी वाजिब वजह के चलते कमी आएगी. हालांकि, ऐसा असंभव है कि इन क़ीमतों से ऐसे निवेशक के लिए ख़तरा बढ़े जो बाज़ार को अनदेखा करके या इन बेवकूफियों का फ़ायदा उठाने के लिए पूरी तरह से आज़ाद है.”

ये महज़ फ़िजूल की बात नहीं. बाज़ार से मिले अनुभवों ने बफ़े को सिखाया है कि उतार-चढ़ाव और जोख़िम को एक ही नहीं समझा जा सकता.

वाशिंगटन पोस्ट की कहानी
Washington Post: 1973 में, वाशिंगटन पोस्ट मुश्किल में था. उसके वाटरगेट स्कैंडल (Watergate Scandal) से जुड़े कवरेज के चलते तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इसके साथ ही कुछ मैक्रो फ़ैक्टर्स के चलते कंपनी बाज़ार से काफ़ी हद तक बाहर हो गई थी.

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वाशिंगटन पोस्ट के शेयरों की क़ीमतें ख़ासी गिर गईं और उसका बीटा आसमान को छू रहा था. इस तरह से, अगर आप बीटा पर ग़ौर करते और उसे रिस्क मान लेते तो वाशिंगटन पोस्ट में निवेश आर्थिक तबाही को घर बुलाने जैसा लगता.

हालांकि, उसके फ़ाइनेंशियल अच्छे थे. कंपनी की अच्छी ग्रोथ की संभावनाएं बनी हुई थी. उसके शेयर 80 मिलियन यूएस डॉलर की मार्केट वैल्यू पर ट्रेड हो रहे थे, जबकि उसके एसेट 400 मिलियन डॉलर के थे. ये साफ़ था कि कंपनी के शेयर भारी डिस्काउंट पर ट्रेड हो रहे थे.

वॉरेन बफ़े ने क्या किया?
ऐसे में, बफे़ ने बीटा पर कोई ध्यान नहीं दिया और वाशिंगटन पोस्ट में निवेश किया, जो उनके सबसे सफल बिज़नस में से एक के रूप में सामने आया.

ओरेकल ऑफ़ ओमाहा के तौर पर चर्चित बफ़े का हमेशा से मानते रहे हैं कि रिस्क एक कंपनी की फ़ाइनेंशियल हेल्थ, उसकी वैलुएशन और उसकी शेयरहोल्डर के लिए वेल्थ जेनरेट कर की क्षमता पर निर्भर करता है. बाज़ार वर्तमान में किसी स्टॉक के बारे में कैसा महसूस करता है, इसका लंबी अवधि में कम ही असर होता है.

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हमने क्या पाया
भले ही हमें बफ़े पर भरोसा है, लेकिन हम उनकी मान्यताओं की परीक्षा करना चाहते हैं.

किसी स्टॉक के बीटा से संकेत मिलता है कि एक स्टॉक, बेंचमार्क इंडेक्स की तरह ही वॉलेटाइल होता है. इसलिए, अकादमिक और कई बाजार पेशेवर एक से अधिक बीटा को जोखिम भरा मानते हैं (दरअसल, उनके लिए, अस्थिर का मतलब जोख़िम भरा है). इसी प्रकार हमने ऐसी कंपनियों के लिए BSE 200 इंडेक्स पर ग़ौर किया, जिन्होंने एक से ज़्यादा बीटा होने के बावजूद अच्छा रिटर्न दिया.

यहां 10 साल के बीटा के आधार पर टॉप 10 कंपनियों की लिस्ट दी गई है, जिन्होंने पिछले दशक के दौरान 15 फ़ीसदी से ज़्यादा रिटर्न दिया है.

आपके लिए सबक
हम बफ़े से सहमत हैं. इसकी वजह उनका महान शख्सियत होना नहीं, बल्कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि उतार-चढ़ाव सिर्फ शोर-शराबा है. अगर आप लंबी अवधि के इन्वेस्टर हैं , तो इस तरह के शोर-शराबे से आपके रिटर्न पर ख़ास असर नहीं पड़ेगा. मार्केट शॉर्ट टर्म के लिए वेल्थ क्रिएटर्स को देखने के लिए बदनाम है. एक इन्वेस्टर्स के रूप में, हमें सिर्फ उन मज़बूत फ़ंडामेंटल वाली कंपनियों पर ग़ौर करना चाहिए, जो अच्छे डिस्काउंट पर बिक रही हों.

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