एविएशन में एक जानी-पहचानी कहावत है: टेक-ऑफ़ ऑप्शनल है, पर लैंडिंग मैंडेटरी. ये पायलटों के लिए सुरक्षा से जुड़ा सूत्र है, जो कहता है कि अगर आपको कुछ गड़बड़ लगे, तो आप कभी भी उड़ान को कुछ देर के लिए रोक सकते हैं या फिर उसे पूरी तरह से कैंसिल कर सकते हैं. हालांकि, एक बार आपने टेक-ऑफ़ कर लिया, तो आपके पास कोई विकल्प नहीं है—आपको लैंड करना ही होगा.
निवेश पर भी यही बात लागू होती है, और मैं समझता हूं कि आपने अंदाज़ा लगा लिया होगा कि: ख़रीदना वैकल्पिक है, पर बेचना अनिवार्य. इससे पहले कि आप कोई भी निवेश करें, आपके पास अपना मन बदलने का, और निवेश न करने का विकल्प हमेशा रहता है. मगर, एक बार निवेश कर दिया तो आपको अपना निवेश रिडीम करना ही होगा. क्यों? क्योंकि निवेश का लक्ष्य ही यही है कि कभी-न-कभी उसे बेचकर मुनाफ़ा कमाया जाए. आख़िर निवेश पैसे कमाने का तरीक़ा है और निवेश का फ़ायदा तभी होता है, जब उसे मुनाफ़े के लिए बेचा जाता है. निवेश अपने अंतिम नतीजे पर तभी पहुंचता है जब निवेश बेचने का बाद उसे कैश में बदल दिया जाता है.
इस अंतिम सत्य के बाद, ये विडंबना ही लगती है कि ज़्यादातर निवेशक बेचने के बजाए ख़रीदने पर ज़्यादा फ़ोकस करते हैं. हालांकि, इसमें सबसे अहम बात तो असल में शामिल ही नहीं है, और वो है: टैक्स देना मैंडटरी है. डेट फ़ंड (debt funds) के टैक्स में हाल में किया गया बदलाव ने इस बात को और पुख़्ता कर दिया है. जैसा कि आप इस बार के म्यूचुअल फ़ंड इनसाइट के अंक में पढ़ सकते हैं कि टैक्स में जो बदलाव किए गए हैं, उन्हें लेकर म्यूचुअल फ़ंड निवेशक के तौर पर आपको अपने निवेश की स्ट्रैटजी में कुछ बदलाव करने की ज़रूरत हो सकती है. वरना, यही निवेश आपके टैक्स का बिल बढ़ा सकता है, और इससे भी बुरा तब हो सकता है जब कई साल बाद अचानक आपको बढ़ा हुआ टैक्स बिल मिले, जब आप इन बदलावों के बारे में भूल चुके हों.
टैक्स को कभी भुलाया नहीं जा सकता
दुखद ये है कि आमतौर पर कम ही म्यूचुअल फ़ंड निवेशक अपने निवेशों पर टैक्स कम करने पर ध्यान देते हैं. कमोबेश, वो अपने-अपने निवेश के लॉजिक के मुताबिक़ ख़रीदते-बेचते हैं, और जब निवेश बेचने के समय, उस साल के टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने का समय आता है, तो उनका अकाउंटेंट जितने भी पैसे टैक्स में देने के लिए कहता है, वो अदा कर देते हैं. ये असल में बेकार तरीक़ा है और फ़ायदे का सौदा बिल्कुल नहीं है.
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किसी को भी टैक्स की चोरी नहीं करनी चाहिए, मगर हां, अपने निवेशों का चुनाव इस तरह से करना चाहिए कि आपका उचित टैक्स कम-से-कम हो. टैक्स का कम होना आपकी अपने प्रति ज़िम्मेदारी है. इसके अलावा, ये सिर्फ़ मुनाफ़े की बात नहीं है. कुछ और भी बातें हैं जिन्हें निवेशक नहीं समझते हैं—मिसाल के तौर पर, कंपाउंडिंग. अक्सर आप एक फ़ंड से दूसरे में स्विच करते हैं. हर स्विच पर आप जितना कम टैक्स देते हैं, उतना ही ज़्यादा पैसा भविष्य में कंपाउंडिंग के लिए आपके पास बचता है. इसके अलावा, टैक्स देनदारी कम करना (tax efficiency), एसेट एलोकेशन के समय ही तय किया जाना चाहिए. रिटर्न के तीन तरीक़े—कैपिटल गेन्स, डिविडेंड, और ब्याज पर अलग-अलग तरीक़े से टैक्स लगता है और तीन अलग अनुपात में ये तीन अलग तरह के एसेट के लिए होता है. इसे भी एसेट एलोकेशन के समय ही तय किया जाना चाहिए.
इसमें मुश्किल इस बात को समझने की है कि आप अपने निवेश और रिडेम्शन के असर का सही-सही पता कैसे लगाएंगे? म्यूचुअल फ़ंड्स के लिए, टैक्स का प्रतिशत, फ़ंड की इक्विटी होल्डिंग तय करती है. उससे भी बुरी बात है कि ये वक़्त के साथ बदलते रहते हैं. इक्विटी फ़ंड्स में, जब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 2018 में वापस लागू कर दिया गया, तो निवेशकों के लिए एक मुश्किल कैलकुलेशन करने का काम बढ़ गया था. किसी भी निवेश में, उस दिन तक के गेन्स टैक्स फ़्री हुआ करते थे और उसके बाद, उन पर टैक्स लगता था. मगर उस पर सालाना टैक्स-फ़्री अलाउंस भी मिलता था. इन नए टैक्स नियमों से लिए कैलकुलेशन करने की मुश्किल बढ़ जाएगी.
धनक पर आपकी टैक्स रिपोर्ट कैसी होगी?
हमेशा की तरह, धनक का रोल यहीं से शुरु होता है. ख़ासतौर पर, वो ‘टैक्स रिपोर्ट’ जो धनक प्रीमियम सर्विस के मेंबरों को मिलती है.
इस यूनीक रिपोर्ट में आपको मिलता है:
- किसी भी साल के लिए आपकी टैक्स देनदारी का पूरा अनुमान.
- इसमें हर तरह के निवेश का टैक्स, कैपिटल गेन्स, डिविडेंड और ब्याज की इनकम को शामिल किया जाता है.
- धनक प्रीमियम पर ट्रैक किए जाने वाले सभी तरह के निवेशों के साथ बढ़िया तरीक़े से काम करता है इसमें स्टॉक, म्यूचुअल फ़ंड, सभी तरह के डिपॉज़िट, NPS के अलावा निवेश के कई और तरीक़े शामिल हैं.
- आप चुन सकते हैं कि आपको किस साल की फ़ाइनेंशियल रिपोर्ट की ज़रूरत है.
- आप ये भी चुन सकते हैं कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं ताकि हम आपके ब्याज की इनकम पर लगने वाले टैक्स का अंदाज़ा भी लगा सकें.
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ये अनोखे तरीक़े से टैक्स में मदद करने वाला टूल है जो हमारे मेंबरों के लिए उपलब्ध है. अगर आप अपने निवेश के टैक्स को किफ़ायती तरीक़े से मैनेज करना चाहते हैं, तो इसका दूसरा विकल्प ये है कि आप किसी अनुभवी पर्सनल अकाउंटेंट को पैसे दें और अपने टैक्स कैलकुलेट करवाएं. कहने की ज़रूरत नहीं कि इसकी ज़रूरत बहुत थोड़े लोगों को ही होती है या कम ही लोग उसका ख़र्च उठा सकते हैं.
इसके अलावा और भी बहुत कुछ है धनक प्रीमियम पर
और हां, धनक प्रीमियम पर और भी बहुत कुछ हैं. धनक प्रीमियम पर कुछ ऐसे शानदार टूल हैं, जो किसी भी म्यूचुअल फ़ंड इन्वेस्टर को और कहीं नहीं मिलेंगे. आपको हमारी प्रीमियम सर्विस में और क्या मिलेगा उसका एक संक्षिप्त परिचय कुछ इस तरह है:
पोर्टफ़ोलियो प्लानर: ये कस्टम पोर्टफ़ोलियो हैं जो आपकी प्रीमियम मेंबरशिप के तहत आपको मिलते हैं. हमारी एल्गोरिदम में कई फ़ैक्टर शामिल होते हैं, जैसे - आपके गोल, इनकम और बचत की क्षमता आदि.
पोर्टफ़ोलियो अनालेसिस: हमारे कुछ ही मेंबर ऐसे होते हैं जो अपना निवेश एकदम शुरुआत से करते हैं. आपमें से ज़्यादातर लोगों के लिए बड़ा सवाल ये होता है कि क्या उनके मौजूदा निवेश उनके लक्ष्य से मेल खाते हैं या नहीं. अक्सर इस सवाल का जवाब देना मुश्किल होता है क्योंकि पुराने निवेश से नए में स्विच करने के कई नतीजे हो सकते हैं, जिनमें टैक्स भी शामिल है. प्रीमियम सिस्टम में, आपको जो हमारी टीम के एक्सपर्ट के आकलन और सुझावों की एक लिस्ट भी मिलती है.
एनेलिस्ट की पसंद: अक्सर, निवेशक चाहते हैं कि वो अपने निवेश के किसी ख़ास मक़सद के लिए अपने फ़ंड ख़ुद चुनें. इसके लिए हमारे पास 1,500 से ज़्यादा फ़ंड मौजूद हैं, और हमारे रेटिंग सिस्टम की मदद के बावजूद सही फ़ंड्स के सेट पर पहुंचने के लिए काफ़ी काम की ज़रूरत होती है. मगर, आपके लिए ये कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि, आप एक प्रीमियम मेंबर हैं, और इसलिए आपको एनेलिस्ट की पसंद की लिस्ट मिलती है. इसलिए बजाए 39 ऑफ़िशियल फ़ंड्स के, हमने निवेशकों की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए आठ कैटेगरी बनाईं हैं जो आपके फ़ाइनेंशियल गोल से मेल खाती हैं. इनमें से हरेक के लिए हमारे एनेलिस्ट ने काफ़ी सोच-समझ कर कुछ फ़ंड चुने हैं जो आपको सबसे अच्छे नतीजे दे सकें.
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