"मैं ग़लत था." ये एक सरल सा विचार है जो न तो उतना सुनने में आता है और न ही उतना महसूस किया जाता है जितना किया जाना चाहिए. इसके बजाए लोग अपने सही होने पर अड़ जाते हैं और अपनी ग़लतियों को भूलने की कोशिश करते हैं, या फिर ख़ुद के सही होने के अपने भुलावे में ही यक़ीन कर बैठते हैं.
पर वॉरेन बफ़ेट नहीं. बर्कशायर हैथवे के शेयरधारकों को लिखी अपनी ताज़ा चिट्ठी में वॉरेन बफ़ेट ने कहा है: पिछले कुछ साल में, मैंने कई ग़लतियां कीं. नतीजतन, हमारे बिज़नस के इस बड़े समूह में कुछ ही शानदार कंपनियां हैं जो असली इकोनॉमिक्स वाली हैं, कई ऐसी हैं जिनकी फ़ाइनेंशियल ख़ूबियां काफ़ी अच्छी हैं, और एक बड़ा ग्रुप ऐसा है जो हाशिए पर है. इस सब के बीच, कई और बिज़नस रहे जिनमें मैंने निवेश किया और जो ख़त्म हो गए, उनके प्रोडक्ट लोगों को पसंद नहीं आए.
इस चिट्ठी में, वो एक बार और इसी बात पर लौटते हैं और लिखते हैं: इस प्वाइंट पर, मेरा एक रिपोर्ट कार्ड देना सही होगा: बर्कशायर मैनेजमेंट के 58 साल में, कैपिटल-एलोकेशन के फ़ैसले ठीक-ठाक (so-so) से ज़्यादा अच्छे नहीं रहे. कई बार, मेरे ख़राब फ़ैसलों से डूबते-डूबते बच जाने में क़िस्मत का बड़ा हाथ रहा. (क़रीब-क़रीब बर्बाद होने से बच जाने वाले USAir और Salomon याद हैं? मुझे तो बख़ूबी याद हैं.) हमारे संतोषजनक नतीजे क़रीब दर्जन भर अच्छे फ़ैसलों का नतीजा रहे हैं - जो हर पांच साल में एक ही रहा होगा.
याद रखें, उन्हें अपनी ग़लतियां गिनाने की ज़रूरत नहीं है, इस तरह से उस पर विचार-विमर्श की तो बात ही छोड़ दें. इस चिट्ठी में लिखी बातों पर कोई उनसे सफ़ाई नहीं मांग रहा है, तो फिर वो बार-बार अपने ख़राब फ़ैसलों की बात क्यों करते हैं? क्या ये ख़ुद को दर्द देने की आदत है? मुझे नहीं लगता. मैं मानता हूं कि अपनी ग़लतियों के बारे में बात करके, बफ़ेट निवेशकों के लिए एक मिसाल क़ायम कर रहे हैं और दिखा रहे हैं कि बेहतर निवेश के फ़ैसले कैसे लिए जाते हैं. टेक्नोलॉजी स्टॉक्स को उनके अच्छे दिनों में न ख़रीदना बर्कशायर की एक बड़ी ग़लती रही जिसे दोनों बुज़ुर्ग बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार करते हैं.
हममें से ज़्यादातर लोग, निवेशक के तौर पर और अपनी ज़िंदगी के दूसरे पहलुओं में भी अपने ख़राब फ़ैसलों पर तर्क-वितर्क करते रहते हैं या फिर उन्हें भूल जाते हैं. प्रोफ़ेशनल फ़ंड मैनेजर और बिज़नस मैनेजर, अपनी नौकरियां बनाए रखने के लिए अपनी ग़लतियों को ढकने में लगे रहते हैं. पर इतने बरसों में मैंने, मंगर और बफ़ेट को ऐसा करते नहीं देखा. न सिर्फ़ वो अपनी ग़लतियां ख़ुद स्वीकार करते हैं, बल्कि अपनी ग़लतियों पर विस्तार से बात भी करते हैं.
जिस बात को बफ़ेट कह रहे हैं, वो ये है कि अपने हर निवेश में आपको सफलता न भी मिले, तो भी आप एक निवेशक के तौर पर काफ़ी अच्छा कर सकते हैं. उनके मुताबिक़-आप कई सारे ठीक-ठाक (so-so) फ़ैसले कर सकते हैं-और जब कुछ फ़ैसले क़ारगर रहते हैं, या क़िस्मत के धनी होते हैं, तो उस कहानी का अंत अच्छा ही रहता है. उनका इशारा एक चौंकाने वाले क़ुबूलनामे की तरफ़ है कि-बर्कशायर की इतनी ज़बर्दस्त सफलता क़रीब दर्जन भर अनूठे फ़ैसलों का नतीजा है!
ग़लतियां स्वीकार करने का सबसे बड़ा फ़ायदा है कि इससे ख़ुद को बेहतर बनाने का रास्ता साफ़ हो जाता है जिससे अंत में आप बेहतर नतीजे पाते हैं. ग़लतियां मानना, आपकी बेइज़्ज़ती नहीं है, बल्कि ऐसा करके आप ख़ुद को बेहतर फ़ैसलों की तरफ़ ले जाते हैं. और, इस तरह से, ज़्यादा पैसे बनाने के रास्ते भी खुलते हैं. ये हमें बेहतर निवेशक बनाता है. व्यक्तिगत तौर पर, और वैल्यू रिसर्च की इन्वेस्टमेंट रिसर्च में, पिछले कई सालों के दौरान हम कुछ ग़लत फ़ैसले भी किए. मगर हर बार, हमने ख़ुद के प्रति सचेत रहते हुए अपनी ग़लतियों का विश्लेषण किया है, और ये पक्का किया है कि ग़लतियां दोहराई न जाएं. ख़ुद के प्रति ईमानदार रहने की बात के अलावा, अपनी ग़लतियां मानने का ये एक ठोस नतीजा होता कि वो दोहराई नहीं जातीं. बफ़ेट के पार्टनर चार्ली मंगर ने एक बार कहा था, "अगर आप अपनी समझ बढ़ाने की कोशिश में हैं तो अपनी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करना एक भयानक भूल है... ऐसे में क्यों नहीं मूर्खता का उत्सव ही मना लेते!"
सच में, क्यों नहीं मना लेते. ये एक अच्छा आइडिया है निवेश से ज़्यादा पैसे बनाने के लिए.