फ़र्स्ट पेज

आपको पैसा बनाना है या स्मार्ट दिखना है?

निराशावादी कौन हैं और वो क्यों ज़्यादा स्मार्ट लगते हैं, और कैसे आशावादी लोग ज़्यादा पैसा बना पाते हैं, आपको तय करना है कि आप क्या हैं और क्या होना चाहेंगे?

आपको पैसा बनाना है या स्मार्ट दिखना है?

back back back
5:08


निराशावादी स्मार्ट लगते हैं, लेकिन आशावादी पैसा बनाते हैं. 'म्यूचुअल फंड इनसाइट' के अप्रैल 2023 अंक की कवर स्टोरी आशावादी निवेशकों के बारे में विस्तार से बात कर रही है. यो हमारी दूसरी किसी भी कवर स्टोरी से काफ़ी हद तक अलग है. आशावादी होना या नहीं होना, निवेश का तरीक़ा नहीं है, बल्कि उससे कुछ गहरी बात है. दरअसल, ये इक्विटी इन्वेस्टिंग का एक व्यापक और बुनियादी सिद्धांत कहा जा सकता है और इसीलिए इक्विटी निवेश का एक मात्र तरीक़ा है.

हमारी स्टोरी कई दशकों की बात कर रही है, और इसमें कुछ नया नहीं बल्कि हम तो 2014 से ही यही बात कहते आ रहे हैं. फ़िलहाल देश जिस तेज़ी से और जिस स्तर पर बदल रहा है, तो ये महज़ ख़याली आशावाद की बात नहीं, बल्कि एक हक़ीक़त की बात है. हमने ये कवर स्टोरी इसलिए की, क्योंकि जब आप अलग-अलग तरह के तथ्य इकट्ठा करते हैं, तभी आप अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देख पाते हैं. तभी आपको पता चलता है कि देश किस दिशा में जा रहा है और कितना आगे जा सकता है.

निश्चित तौर पर, आलोचकों की संख्या अच्छी-ख़ासी है. कई लोग ठोस, क़ारगर, कानों को अच्छी लगने वाली बातों से आपको बताएंगे कि क्यों हक़ीक़त इतनी खुशनुमा नहीं. इसकी एक वजह ये है कि हर कोई एक ही सुर में बोलता है. वो युद्ध, महंगाई, ब्याज दरों, एनर्जी की क़ीमतों और इसी तरह की बहुत सी बातें करते हैं. ये सभी बातें सही भी हैं और बेहद अहम भी. पर, याद रखें, किसी ने कहा था: निराशावादी स्मार्ट लगते हैं, और आशावादी पैसा बनाते हैं. पर निराशावादी स्मार्ट क्यों लगते हैं? क्योंकि उनके पास ऐसे भरपूर तथ्य, आंकड़े और ट्रेंड्स जैसे हथियार होते हैं, जिनका मैंने अभी-अभी ज़िक्र किया.

आशावादी भी ऐसा करते हैं, जिसकी बात हमने अपनी कवर स्टोरी में भी की है. लेकिन वो निकट भविष्य से परे सिद्धांतों और इंसानी कोशिशों पर ज़्यादा भरोसा दिखाते हैं. निराशावादी कहेंगे - ब्याज दरें X दर से बढ़कर Y हो जाएंगी, और Z फ़ीसदी कंपनियों के फाइनेंस का ख़र्च W रुपये तक बढ़ जाएगा. अब ये बातें सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं. पर जब एक आशावादी कहेगा तो वो कुछ इस तरह होगा, कि हां! ये बात बिल्कुल सही है, लेकिन क्या तुम यह बात जानते हो, अच्छे मैनेजमेंट वाली कंपनियां इससे निपटने का रास्ता खोज लेंगी और आगे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगी. क्योंकि अतीत में भी उन्होंने ऐसा किया है.

निराशावादी ग्रोथ की उस सीमा की बात करेंगे, जो इंफ्रास्ट्रक्चर के ज़रिये आ सकती है. वहीं, आशावादी कहेंगे कि कमज़ोर इंफ्रास्ट्रक्चर से ग्रोथ सीमित होती है, इसलिए बेहतर इंफ्रा. से इसे गति मिलेगी.

हक़ीक़त में आशावादी यहां नादान लगते हैं. जैसे कि एक शख़्स, जिसके पास पूरी जानकारी या तथ्य नहीं हैं, वो सिर्फ़ शोर मचा रहा हो. 'म्यूचुअल फंड इनसाइट' के अप्रैल 2023 अंक की कवर स्टोरी से ऐसा लग सकता है कि बिज़नसमैन और इक्विटी इन्वेस्टर दोनों के रूप में आशावादी ज़्यादा सही हो सकते हैं, और ज्यादा पैसे बना सकते हैं. शॉर्ट-टर्म के लिए रियलिस्ट यानी यथार्थवादी होना चाहिए, और लॉन्ग-टर्म के लिए आशावादी होना चाहिए. ये वो फ़ॉर्मूला है जो आपको कभी असफल नहीं होने देगा.

चाहे राजनीति हो या अर्थव्यवस्था, या फिर कुछ और, भारत में आलीशान टावरों में रहने वाले एक्सपर्ट्स, हर विषय पर उनकी बातों के ग़लत साबित होने की पुरानी परंपरा रही है. एक तरफ़ तो एक्सपर्ट, फ़िक्स्ड इनकम इन्वेस्टर्स को पसंद करते हैं, वहीं बेहतर भविष्य के लिए काम करने वाला मौज़ूदा नेतृत्व और दूसरे सामान्य लोग, इक्विटी इन्वेस्टर्स को पसंद करते हैं. पिछले तीन दशकों में ये साबित हुआ है कि भारतीय कंपनियों को सही दिशा में जाने की ज़रूरत है और ऐसा होता है तो हम शानदार ग्रोथ हासिल कर सकते हैं.

एक इक्विटी इन्वेस्टर के तौर पर बुनियादी है कि इन्वेस्टर आशावादी हो. वहीं, पूरी तरह से फ़िक्स्ड इनकम इन्वेस्टर का मतलब निराशावादी होना होता है. इक्विटी इन्वेस्टर्स जानते हैं कि सफ़र में कई उतार-चढ़ाव आएंगे. ऐसे कई दिन, महीने और यहां तक कि साल होंगे, जब अमीर बनने के बजाय उनकी पूंजी कम हो जाएगी. हालांकि, वे इस बात को भी जानते हैं कि अगर वो अपने निवेश में बने रहे, तो एक विजेता साबित होंगे.

यही सोच, सही सोच है, जो एक देश के तौर पर इस वक़्त हममें दिखाई दे रही है और यही आशावाद हमें आगे ले जाएगा.


टॉप पिक

उतार-चढ़ाव वाले मार्केट के लिए बेहतरीन म्यूचुअल फ़ंड

पढ़ने का समय 3 मिनटPranit Mathur

म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को कैसे गिरावट से सुरक्षित करें?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

वैल्यू रिसर्च एक्सक्लूसिव: मल्टी-कैप फ़ंड्स पर हमारी पहली रेटिंग जारी!

पढ़ने का समय 4 मिनटआशीष मेनन

चार्ली मंगर की असली पूंजी

पढ़ने का समय 5 मिनटधीरेंद्र कुमार

लंबे समय के निवेश के लिए म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुनें?

पढ़ने का समय 2 मिनटरिसर्च डेस्क

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

AI तो है, पर AI नहीं

ऑटोमेटेड, मशीन से मिलने वाली फ़ाइनेंस पर सलाह कैसी होनी चाहिए.

दूसरी कैटेगरी