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ब्याज देने वाले फ़ंड आपकी पूंजी पर कैसे असर डालते हैं?

ये एक बड़ा सवाल है कि जो फ़ंड आपके निवेश की एवज में ब्याज देते हैं वो आपकी पूंजी पर क्या असर डालते हैं जानना चाहते हैं तो ये लेख ज़रूर पढ़िए

ब्याज देने वाले फ़ंड आपकी पूंजी पर कैसे असर डालते हैं?

मैं अगर ₹10 लाख एचडीएफ़सी बैलेंस्ड अडवांटेज फ़ंड (HDFC Balanced Advantage Fund ) में निवेश करता हूं, और मुझे उस पर हर महीने ब्याज मिलता है। तो क्या इससे मेरा कैपिटल कम होता है या फिर कैपिटल बढ़ता ही रहेगा? - अज्ञात

आप शायद इस फ़ंड के इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम (और) कैपिटल विथड्रॉल प्लान (IDCW) की बात कर रहे हैं। पहले इसका नाम (हालांकि गुमराह करने वाला) एक डिविडेंड प्लान था। बदला गया नाम सही है, जो बताता है कि ऐसे प्लान में निवेश करने से आपके पैसों का क्या होता है - दरअसल इस प्लान में, फ़ंड आपको एक ख़ास रक़म देता है (जिसे आपने "ब्याज" कहा), और ये रक़म आपकी जमा की हुई पूंजी में से ही होती है, साथ ही इसमें वो पैसा भी शामिल होता है जो फ़ंड के प्रदर्शन के आधार पर घटता-बढ़ता रहा है।

ये कुछ इस तरह काम करता है

मिसाल के तौर पर, अगर आपने ₹10,000 एक IDCW फ़ंड प्लान में जमा किए, जिसकी नेट एसेट वैल्यू (NAV) ₹100 प्रति यूनिट है, तो आपके पास उस फ़ंड की 10,000 यूनिट हुईं। जब फ़ंड 5 प्रतिशत का पे-आउट अनाउंस करता है, जो ₹5 प्रति यूनिट का पेमेंट है, तो आपको, आपकी 10,000 यूनिट के ₹50,000 मिलते हैं। हालांकि, ये पेमेंट आपके कैपिटल के बेस की क़ीमत को ₹50,000 कम कर देगा, जिससे फ़ंड का NAV ₹5 प्रति यूनिट गिर जाएगा और ₹95 हो जाएगा।

तो हां, "ब्याज" देने वाले फ़ंड आपके कैपिटल का बेस कम करते हैं।

इसके कई कारण हैं कि आपको IDCW फ़ंड प्लान से बचना चाहिए:
-वो AMC है, आप नहीं, जहां ये तय होता है कि कब और कितना पे-आउट आपको मिलेगा। इससे आपके फ़ंड का NAV कम होता है, और इसलिए आपकी निवेश की हुई पूंजी भी उसी अनुपात में कम हो जाती है।
;ऐसे पे-आउट, जिनकी आपको ज़रूरत हो या न भी हो, समय के साथ-साथ आपके निवेश की कंपाउंडिंग पर भी असर डालते हैं और आपके निवेश के बढ़ने ताक़त कम हो जाती है।
-इसके अलावा, जो पे-आउट आपको मिलते हैं, वो इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं। आपको मिलने वाला पूरा पे-आउट पर, आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। हो सकता है कि ये टैक्स उससे ज़्यादा हो जब आप अपने फ़ंड से ख़ुद पैसा निकालें। इसकी वजह है कि ख़ुद पैसा निकालना टैक्स के लिहाज़ से ज़्यादा बेहतर रहता है (मौजूदा टैक्स नियमों के मुताबिक़) क्योंकि रिडेम्शन होने पर सिर्फ़ मुनाफ़े पर ही कैपिटल गैन्स टैक्स लगता है।

ज़्यादातर मामलों में, हम यही सुझाव देते हैं कि बजाए IDCW म्यूचुअल फ़ंड प्लान के, ग्रोथ प्लान में निवेश करना चाहिए। इसके अलावा, अगर आपको रेग्युलर आमदनी चाहिए, तो आपको अपने IDCW प्लान में निवेश के फ़ैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। कारण ये है कि ग्रोथ प्लान में निवेश करके, सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान (SWP) के ज़रिए अपनी किसी भी ज़रूरत के लिए पैसे निकालना कहीं बेहतर रहता है।
अगर किसी ने पहले ही IDCW प्लान में निवेश कर रखा है और अब वो अपने पैसे को ग्रोथ प्लान में डालना चाहता है, तो ऐसा करने में आने वाले पूरे ख़र्च को ज़रूर समझ लेना चाहिए, जैसे - कैपिटल गेन्स टैक्स और IDCW प्लान से बाहर निकलने पर लगने वाला एग्ज़िट लोड।

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