पिछली स्टोरी में हमने ओल्ड इकोनॉमी और न्यू एज कंपनियों पर बात की थी। ये स्टोरी सरकारी कंपनियों में निवेश के बारे में जानकारी देती है।
आपको PSU कंपनियों में निवेश के बारे में कैसे सोचना चाहिए? क्या ये आपके पोर्टफ़ोलियो में एक अच्छा इज़ाफ़ा साबित होंगी।
PSU स्टॉक्स P/E मल्टिपल्स के लिहाज से हमेशा आकर्षक लगते हैं। इसके अलावा इन कंपनियों को सरकार का समर्थन भी होता है। आम तौर पर माना जाता है कि सरकार इनको फेल नहीं होने देगी। आप खुद देख सकते हैं कि सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों में कितनी बार पूंजी डाली है।
डिविडेंड का लालच
अच्छ डिविडेंड देने वाले PSU अच्छी संख्या में हैं । BSE PSU इंडेक्स में 57 कंपनियां हैं, जिनमें से 29 का डिविडेंड पेआउट रेशियो 30% से अधिक का है, जबकि 19 कंपनियों का डिवीडेंड यील्ड 5% से अधिक रहा है (22 जुलाई, 2022) । तो यहां, डिविडेंड का लालच भी है।
इन कंपनियों के पास बड़े असेट्स और संसाधन भी होते हैं। इनका आकार और कुछ कंपनियों के पास जो जमीन है, उसकी मार्केट वैल्यू आपकी सोच से कहीं अधिक हो सकती है। इसके बाद आता है कॉरपोरेट गवर्नेंस। प्राइवेट कंपनियों की तुलना में यहां कॉरपोरेट गवर्नेंस में चूक के मामले काफ़ी कम हैं। बहुत से PSU स्ट्रैटैजिक सेक्टर में हैं, जैसे डिफ़ेंस। अगर आप इस सेक्टर पर दांव लगाना चाहते हैं तो शायद आप PSU पर गौर करेंगे ही।
यह सही कि अधिकांश PSU की ग्रोथ रेट बहुत ज़्यादा नहीं होगी, लेकिन सस्ती वैल्यूएशन और हाई डिविडेंड यील्ड की वजह से यह बुरा सौदा नहीं दिखता। क्या सच में ऐसा है?
इंडेक्स में खराब प्रदर्शन
ऊपर आए सवाल का जवाब है, नहीं। अपनी सभी खूबियों के बावजूद ये कंपनियां मुश्किल से बारगेन हैं। बारगेन का मतलब ऐसे स्टॉक्स से हैं जो काफ़ी कम कीमत पर ट्रेड कर रहे हैं। लेकिन ये कंपनियां स्टॉक मार्केट में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती।
पिछले 10 वर्षों के दौरान, BSE PSU इंडेक्स में 42 कंपनियों में से सिर्फ 6 कंपनियों ने सेंसेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया। पिछले 5 वर्षों में इंडेक्स में 45 में से सिर्फ 3 कंपनियों ने सेंसेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया।
ख़राब प्रदर्शन PSU कंपनियों के लिए आम है। वास्तव में, कुछ PSU को छोड़ कर अधिकतर फ़ंडामंटेल के मोर्चे पर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करते। सवाल उठता है कि ऐसा क्यों है?
क्यों परफॉर्म नहीं करती PSU कंपनियां?
प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों से तुलना करें तो ऐसा लगता है कि मैनेजमेंट की परफॉर्म करने की चाहत एक वजह है। नौकरी गंवाने का डर पब्लिक सेक्टर में नहीं है। इसके अलावा मैनेजमेंट का बिज़नेस में कुछ भी दांव पर नहीं लगा है।
एक और वज़ह प्रोत्साहन हो सकता है। ऐसा नहीं है कि यहां काम सही तरीके से नहीं होता। लेकिन बेहतर परफॉर्म करने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है।
नौकरशाही एक और वज़ह हो सकती है। PSU में नौकरशाही की कई लेयर होती हैं और किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में लंबा समय लगता है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर में चीजों पर बहुत तेजी से अमल किया जाता है। और भी वजहें हो सकती हैं लेकिन ये साफ़ दिखती हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
आपको इनसे परहेज करना चाहिए। हाई डिविडेंड आकर्षक लगता है लेकिन पूंजी के नुक़सान से सब बराबर हो जाएगा। स्ट्रैटेजिक सेक्टर में कुछ PSU की पोजीशन लगभग एकाधिकार वाली है। इसके बारे में कोई कॉल लेना मुश्किल है। खराब प्रदर्शन की हिस्ट्री को देखते हुए यह बेहतर है कि कहीं और देखा जाए। लेकिन अगर आप जानकार निवेशक हैं और यह जानते हैं कि क्या करने जा रहे हैं, तो शायद इन्हें अपने पोर्टफ़ोलियो में टैक्टिकल कॉल के तौर पर शामिल कर सकते हैं।