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क्‍या है सही मार्केट कैप मिक्‍स?

आपको पोर्टफ़ोलियो में लार्ज, मिड, स्‍मॉल और माइक्रो-कैप किस अनुपात में रखना चाहिए। और इनकी खासियत क्‍या हैं?

क्‍या है सही मार्केट कैप मिक्‍स?

अपनी पिछली स्‍टोरी में हमने कई तरह की इन्‍वेस्टिंग स्‍टाइल पर बात की है। यहां हम बात करेंगे कि अलग अलग आकार की कंपनियों के बारे में कैसे अपनी समझ बनाएं।

अलग-अलग आकार में ग्रोथ की अलग-अलग संभावनाएं होती हैं। आइये, इसे समझने के लिए हर एक कैटेगरी पर गौर करते हैं।


लार्ज-कैप

लार्ज कैप कंपनियों की बात करें, यहां ग्रोथ साधारण रहने की संभावना रहती है। अगर ऐसा नहीं है, तो कंपनी के स्‍टॉक्‍स महंगे हो सकते हैं। ऐसी कंपनियों में निवेश करने के लिए आपको इन कंपनियों के स्‍टॉक्‍स गिरने का इंतजार करना चहिए।


बहुत से लार्ज-कैप धीरे धीरे बढ़ते रहते हैं। ITC इसका सटीक उदाहरण है। अपने एकाधिकार और कैश फ्लो के बावजूद कंपनी ने पिछले 10 वर्षो में सालाना लगभग 6% रिटर्न दिया है। साफ़ तौर पर, अपने शेयरधारकों को रिवार्ड देने में कंपनी के आकार ने कोई मदद नहीं की है।

इसके अलावा इस कैटेगरी के रिस्‍क के पहलू को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। बहुत सी लार्ज कैप्‍स कंपनियां हैं जो आज बियावान में पहुंच गई हैं। सुजलॉन, जयप्रकाश ऐसोसिएट्स और यस बैंक को याद रखें।

मिड-कैप

कैटेगरी ग्रोथ और स्थिरता के बीच अच्‍छा संतुलन बनाती है। मिड-कैप
स्‍टेज तक पहुंचने के लिए, कंपनियों को अपनी क्षमता साबित करनी पड़ती है।

अच्‍छी और ख़राब संभावनाओं वाली कंपनियों में अंतर करने के लिए ज़रूरी एनालिटिकल स्किल होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि ये कंपनियां कहीं छिपी हुई हैं। मिड-कैप कंपनियों को बहुत से निवेशक जानते हैं, लेकिन इनमें अब भी बढ़ने की बहुत गुंजाइश हैं। आपकी उनकी ग्रोथ की संभावनाओं को पहचानना होगा।

बहुत से निवेशक यह मान लेते हैं कि ऊंची ग्रोथ के दौर के बाद, कंपनी अब आगे और नहीं जा पाएगी। लेकिन ऐसी सोच आपके पोर्टफ़ोलियो को नुक़सान पहुंचा सकती है। उच्‍च गुणवत्‍ता की ग्रोथ वाली कंपनियों को रिप्‍लेस करना आसान नहीं है। तो अपना रिसर्च मजबूत करें और बाज़ार में कम अवधि की जो भी समस्‍याएं आती हैं उनसे निपटने के लिए खुद को तैयार करें।


स्‍मॉल-कैप

यह कैटैगरी उम्‍मीद तो बहुत लोगों को देती है लेकिन कुछ लोगों को ही ख़ास फ़ायदा मिल पाता है। स्‍मॉल-कैप यूनीवर्स में सफ़ल होने के लिए, आपको अच्‍छा जाऩकार होना चाहिए और स्‍वतंत्रत रूप से सोचने की विशेषज्ञता हासिल करें। इसके अलावा आपको लंबे समय के लिए निवेश करना होगा।

इन कंपनियों को अच्‍छे और बुरे समय में होल्‍ड करने के लिए धीरज की ज़रूरत होती है। पहले बताया जा चुका है कि उच्‍च गुणवत्‍ता वाली ग्रोथ को रिप्‍लेस करना आसान नहीं होता। बाज़ार में हमेशा ओवर वैल्‍यूएशन और अंडर वैल्‍यूएशन के दौर आएंगे। ऐसे, हालात से निपटने के लिए मानसिक तौर पर खुद को मजबूत बनाएं।

पिछले 10 वर्षों में BSE 100, BSE मिडकैप BSE स्‍मॉलकैप ने क्रमश: 12.8%, 14.5% और 15% सालाना रिटर्न दिया है। छोटी कंपनियों के लिए ये ऊंचे रिटर्न कम अवधिके बहुत तेज उतार-चढ़ाव के साथ आए हैं। BSE 100, BSE मिडकेप और BSE स्‍मॉलकैप ने क्रमश: 4.8%,5.8% और 6.7% मासिक-उतार चढ़ाव का सामना किया है।


माइक्रो-कैप

ये कंपनियां बहुत छोटे कारोबार वाली होती हैं और संस्‍थागत निवेशकों का कवरेज बहुत कम होता है। इसका नतीजा यह होता है कि जब कुछ संस्‍थागत निवेशक इस तरह की कंपनी खोज लेते हैं तो बड़ा रिवार्ड आता है।

बहुत कम या बिल्‍कुल भी पारदर्शी न होने, न्‍यूनतम सूचनाएं और ट्रैक रिकॉर्ड के अभाव में इन कंपनियों पर रिसर्च की गुंजाइश बहुत कम होती है। शानदार एनालिटिकल स्किल, बहुत सारा ग्राउंडवर्क और एक खास मिज़ाज की ज़रूरत होती है। ये बातें इस कैटैगरी को बहुत ज़्यादा जोख़ि‍म वाली और अधिकतम रिवार्ड देने वाली बनाती है।

ऐसी एक या दो कंपनियों की पहचान करना काफ़ी होता है। कम से कम 10 साल की अवधि के लिए निवेश करें।

क्‍या है सही मार्केट कैप मिक्‍स?

क्‍या है सही मिक्‍स?

लार्ज-कैप में 40-50%, मिड कैप में 30-40% का संतुलित एलोकेशन और बाकी स्‍माल कैप और माइक्रो-कैप में रक़म लगाने से अधिकतर निवेशकों को अच्‍छे नतीजे मिल सकते हैं। स्‍मॉल/माइक्रो-कैप में निवेश तभी करें जब मानसिक तौर मजबूत हों और गहन रिसर्च कर सकें।


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