मान लीजिए कि आपके दादा जी या नाना जी ने 30 साल पहले किसी कंपनी के शेयर ख़रीदे थे. और उन शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ हाल ही में आपके हाथ लगे हैं. आप ये देख कर ख़ुश होंगे कि अचानक हाथ लगे ये शेयर अब अच्छी-ख़ासी क़ीमत के हैं और आप एक दम से करोड़पति बन बन गए हैं. मगर एक बात आपको परेशान कर रही है के ये शेयर सर्टिफ़िकेट कागज़ के तौर पर हैं, यानि, ये शेयर आपके डीमैट खाते (Demat Account) में दर्ज नहीं हैं, बल्कि शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ों की मूल प्रति हैं. आप को लग सकता है कि आप इन शेयरों को कभी बेच नहीं पाएंगे. मगर ये कितना सुखद होगा अगर इन्हें बेच सकें? हालांकि, आज शेयरों का डीमैट के तौर पर होना एक आम बात है, मगर ऐसा हो सकता है कि अब भी किसी के पास शेयर सिर्फ़ कागज़ों के सर्टिफ़िकेट के तौर पर ही मौजूद हों. आइए उन सरल स्टेप्स के बारे में जानते हैं, जिनसे शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ों को आप डीमैट में बदल सकते हैं.
शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ात को डीमैट शेयरों में बदलने के स्टेप:
- डिपॉज़ेटरी पार्टिसिपेंट (DP) वाला एक डीमैट अकाउंट खोलें. DP आपके बीच और डिपॉज़टरी पार्टिसिपेंट के बीच एक इंटरमीडियेरी या मध्यस्थ का काम करते हैं जैसे - CDSL या NSDL, और SEBI के साथ रजिस्टर्ड होते हैं. ज़ीरोधा एक डिपॉज़िटरी पार्टिसिपेंट है. ICICI, HDFC, SBI जैसे बैंक भी DP होते हैं और अपनी सहूलियत के मुताबिक़ आप अपना डीमैट अकाउंट इनमें से किसी के साथ खोल सकते हैं.
- एक बार आपका डीमैट अकाउंट खुल जाए, तो अपने DP से डी-मटीरियलाईज़ेशन रिक्वेस्ट फ़ॉर्म या DRF मांगे और इस फ़ॉर्म को भर लें. फ़ॉर्म भरने के बाद इसे अपने DP के पास शेयर सर्टिफ़िकेट और भरा हुआ फ़ॉर्म जमा कर दें और साथ ही दूसरे कागज़ात, अगर ज़रूरत हो. हर शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ पर डी-मअटीरिएलाईज़ेशन के लिए सरेंडर्ड (Surrendered for dematerialization) लिखना न भूलें.
- इसके बाद DP जमा किए गए डॉक्यूमेंट्स को वेरिफ़ाई करेगा और फिर रजिस्ट्रार और ट्रांसफ़र एजेंट को एक अनुरोध पत्र भेजेगा जिसके शेयर के सर्टिफ़िकेट आपके पास है. वो एक बार फिर आपके शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ों की जांच करेंगे.
- वेरीफ़िकेशन हो जाने के बाद, शेयर सर्टिफ़िकेट के कागज़ों को नष्ट कर दिया जाएगा और आपके डीमैट अकाउंट में कंपनी के शेयर चढ़ा दिए जाएंगे.
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मिसाल के तौर पर, अगर आप ज़ीरोधा के साथ अपना अकाउंट खोल रहे हैं या ज़ीरोधा में आपका डीमैट अकाउंट है, तो आप इन बताए गए स्टेप्स से DRF पा सकते हैं, कि कहां फ़ॉर्म, सर्टिफ़िकेट या और कोई ज़रूरी डॉक्यूमेंट आपको भेजना है.
डी-मटिरिएलाईज़ेशन बेहतर क्यों है?
1997 से पहले, शेयर कागज़ों के सर्टिफ़िकेट के तौर पर रखे जाते थे. इसमें फ़्रॉड होने की काफ़ी गुंजाइश थी और सुरक्षा का मसला हमेशा बना रहता था. क्योंकि शेयर कागज़ों के तौर पर होते थे, इसलिए इनके रख-रखाव और संभालने की ज़रूरत भी बनी रहती थी. शेयर के ट्रांसफ़र में समय लगता था और इधर-से-उधर लाने-ले-जाने में कागज़ों के खोने का डर भी बना रहता था. कागज़ों के सर्टिफ़िकेट कई बार नकली भी बना लिए जाते थे.
शेयरों के डी-मटीरयलाईज़ेशन ने इन सभी मुश्किलों को हल कर दिया. शेयर डिजिटल तरीक़े से ट्रांसफ़र किए जाने लगे और इनकी सत्यता को लेकर चिंता करने की ज़रूरत भी ख़त्म हो गई, क्योंकि डीमैट का हर शेयर ISIN द्वारा सत्यापित किया जाता है. कागज़ के न होने पर रख-रखाव और संभालने की ज़रूरत भी ख़त्म हो गई.
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