रिटर्न ऑन इक्विटी ROE कंपनियों की तुलना करने में इस्तेमाल किया जाने वाला एक आम मीट्रिक है। यह काफी सरल है और कुल इक्विटी को नेट इनकम से भाग देकर कैलकुलेट किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ, रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) का कैलकुलेशन ऑपरेटिंग प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स को कैपिटल एम्प्लॉयड से भाग देकर किया जाता है। कैपिटल एम्प्लॉयड फिक्स्ड असेट्स यानी फैक्ट्री, मशीन, बिल्डिंग आदि और वर्किंग कैपिटल इन्वेंट्रीज, अकाउंट्स रिसीवेबल आदि का जोड़ होता है।
दोनो रेशियो का इस्तेमाल कैपिटल एम्प्लॉयड की मात्रा के सापेक्ष कंपनी के ऑपरेशंस की क्षमता को समझने के लिए किया जाता है। ROE जहां शेयर होल्डर के फंड यानी नेट इनकम और कुल इक्विटी के संबंध में कुल अकाउंटिंग प्रॉफिट का इस्तेमाल करता है, वहीं ROCE ऑपरेटिंग प्रॉफिट्स और कुल असेट्स, डेट और इक्विटी दोनों पर फोकस की वजह से बेहतर पैमाना माना जाता है। यह ROCE को उन कंपनियों की क्षमता का आकलन करने में खास तौर पर उपयोगी है जहां डेट कैपिटल स्ट्रक्चर का अहम हिस्सा है।
ROCE का इस्तेमाल जहां ज्यादा सेक्टर्स के लिए किया जा सकता है, लेकिन फाइनेंस कंपनियों के लिए यह सही नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों का बिजनेस खुद लेवरेज पर बेस्ड है। इन कंपनियों के लिए रिटर्न ऑन असेट्स बेहतर मेट्रिक होगा। हालांकि ROE का इस्तेमाल किसी भी कंपनी के लिए किया जा सकता है। लेकिन अगर कोई कंपनी प्रॉफिट में नहीं बना रही है तो इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
इस केस पर गौर करें: चंबल फर्टिलाइजर्स
चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स का 38.1 % (वित्त वर्ष20) ROE शानदार लग सकता है। लेकिन इसका ROCE 14.38 फीसदी काफी कम है। कंपनी का डेट टू इक्विटी 2.85 है। इसलिए, डेट कंपनी के कैपिटल स्ट्रक्चर का बड़ा हिस्सा है। ऐसे में अगर आप चंबल का सिर्फ ROE देखते हैं तो यह गुमराह करने वाला हो सकता है।