फरवरी माह। टैक्स बचाने का मौसम फिर आया है। उन लोगों के लिए नहीं, जो यह काम फाइनेंशियल ईयर की शुरूआत यानी अप्रैल से ही कर रहे हैं। यह मौसम उन लोगों के लिए आया है, जो टैक्स के इस दर्द को साल के आखिरी दिनों तक संभाल कर रखे हुए हैं। ऐसे लोग तादाद में कम नहीं हैं। आपके आस-पास, यहां तक की ऑफिस में आपकी सीट के बगल में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे,जो फरवरी के इस दर्द ए टैक्स से जूझ रहे हैं।
दर्द-ए-टैक्स का इलाज है ELSS
अगर आपने इस दर्द को अभी तक संभाल कर रखा है तो बेहतर है कि इसका इलाज कुछ इस तरह से किया जाए कि दर्द भी दूर हो और साथ में कुछ और फायदा भी मिले। टैक्स सेविंग फंड यानी ELSS फंड आपके इस दर्द का कारगर इलाज है। वैसे इसका पूरा नाम इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम है। नाम से ही साफ है कि यह फंड 100 फीसदी रकम इक्विटी में निवेश करता है। यानी प्योर इक्विटी फंड है।
अब इस बात पर आते हैं कि हम आपको ELSS में ही निवेश की सलाह क्यों दे रहे हैं। इस फंड में ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं। पहली बात तो यह है कि ELSS में आप एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपए तक निवेश करके इस रकम पर टैक्स छूट पा सकते हैं। यह छूट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत मिलती है। यानी टैक्स का आपका जो दर्द है, उससे आपको काफी हद तक राहत मिल सकती है।
दूसरी बेहद अहम और फायदे की बात यह है कि आपने टैक्स बचाने के लिए जो रकम निवेश की है वह किसी गढ्ढे में नहीं डाल दी है। आपकी यह रकम आपको हर साल अच्छा रिटर्न देगी। अच्छा रिटर्न यानी कम से कम महंगाई दर से ऊपर रिटर्न। और यह बात हम डाटा के आधार पर कह रहे हैं। आप भी देखिए कि पिछले 10 साल में ELSS फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है।
आप सिर्फ ELSS फंड के 5 और 10 साल के सालाना रिटर्न पर गौर करें। यह क्रमश: 13.57 प्रतिशत और 14.80 प्रतिशत है। हम जानबूझ कर 1 साल और 3 साल के रिटर्न पर फोकस नहीं कर रहे हैं क्योंकि इक्विटी फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि इक्विटी में कम अवधि के लिए निवेश करने पर जोखिम बढ़ जाता है और लंबी अवधि में यह जोखिम काफी कम हो जाता है। इसके अलावा एक और अच्छी बात यह है कि ELSS में लॉक इन पीरियड 3 साल है। ऐसे अगर कोई नया निवेशक है तो 3 साल में उसे इस बात का भरोसा होने लगता है कि उसकी रकम सही जगह पर है और उसे रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है।
कहीं और नहीं मिलेगा ऐसा रिटर्न
अब अगर दूसरे टैक्स सेविंग ऑप्शन की बात करें जैसे PPF, सुकन्या समृद्धि योजना तो यहां ELSS की तुलना में काफी कम यानी 7-8 फीसदी रिटर्न ही मिल रहा है। इसके अलावा इन ऑप्शन में लॉक-इन पीरियड बहुत लंबा है। यानी किसी वजह से अचानक आपको पैसों की जरूरत पड़ गई तो यह रकम आपके काम नहीं आएगी। वहीं ELSS में 3 साल के बाद आप कभी भी रकम निकाल सकते हैं। ऐसे में फायदों के लिहाज से ये ऑप्शन ELSS के आगे कहीं नहीं ठहरते हैं।
मुनाफे पर टैक्स
अब बात करते हैं ELSS से मिले रिटर्न यानी मुनाफे पर टैक्स की। तो ELSS पर सालाना 1 लाख रुपए तक के रिटर्न पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। रिटर्न इससे ज्यादा होने पर 10 फीसदी की दर से कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन यहां भी आपके लिए एक राहत की बात है। यह है इंडेक्सेशन बेनेटिफ। यानी आपके कुल मुनाफे से महंगाई को घटाया जाएगा। और फिर जो मुनाफा बचेगा उस पर 10 फीसदी कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।