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क्‍या है कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग

कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग एक्टिविटीज कैश फ्लो स्‍टेटमेंट के तीन घटक में से एक है। आइये देखते हैं कि यह क्‍या है और इसे कैसे तैयार किया गया है

क्‍या है कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग

कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग एक्टिविटीज कैश फ्लो स्‍टेटमेंट के तीन घटक में से एक है। आइये देखते हैं कि यह क्‍या है और इसे कैसे तैयार किया गया है

अब निवेशक कैश फ्लो स्‍टेटमेंट के पहले दो सेक्‍शन यानी कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस (CFO) और कैश फ्लो फ्रॉम इन्‍वेस्‍टमेंट्स (CFI) के साथ परिचत हो चुके हैं। अब यह समय है कि कैश फ्लो स्‍टेटमेंट के तीसरे और अंतिम भाग यानी कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग CFF पर फोकस किया जाए।

कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग

कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग कंपनी की पूंजी के लिहाज से सभी कैश ट्रांजैक्‍शन को कवर करता है। इक्विटी और डेट किसी कंपनी के लिए पूंजी के दो सोर्स हैं, ऐसे में सभी ट्रांजैक्‍शन जिससे कंपनी के पास उपलब्‍ध पूंजी की कुल मात्रा में जो बदलाव होता है उसे कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग के तहत कवर किया जाता है। इन कैश फ्लो को एक साथ समूह में रखा जाता है जिससे रीडर्स प्रत्‍येक कैटेगरी में कुल रकम जान सकें।


फाइनेंसिंग एक्टिविटीज से होने वाले कैश फ्लो के कुछ उदाहरण हैं:
1- शेयर जारी करने से मिलने वाली कैश प्रोसीड्स
2 - शेयर वापस खरीदने के लिए किया गया कैश भुगतान
3 -डिबेंचर जारी करने से मिलने वाले कैश प्रोसीड्स, लोन, नोट्स, बांड और दूसरी कम अवधि की या लंबी अवधि की उधारी
4- उधार ली गई रकम का कैश रीपेमेंट
5- कैश इंटरेस्‍ट का भुगतान
6- कैश डिवीडेंड का भुगतान

हमेशा की तरह ग्रॉस कैश फ्लो को निवेशकों को नेट कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग देने के लिए जोड़ा जाता है। इसे निवेशकों को नेट कैश फ्लो देने के लिए कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस और कैश फ्लो फ्रॉम इन्‍वेस्‍टमेंट्स के साथ जोड़ा जाता है। नेट कैश फ्लो अंतिम रकम होती है जिसके द्वारा कंपनी के कैश में बदलाव हुआ है। नेगेटिव नंबर कैश जाना बताता है जबकि पॉजिटिव नंबर्स कैश का आना बताता है।
एक काल्‍पनिक कंपनी का कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग कुछ ऐसा दिखेगा:

क्‍या है कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग

अपवाद
इन्‍वेस्टिंग सेक्‍शन से कैश फ्लो में जिस तरह के अपवाद पाए जाते हैं उसी तरह से कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग में कंपनी द्वारा चलाए जा रहे बिजनेस की प्रकृति पर आधारित अलग-अलग नियम हैं। अगर कंपनी फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूशन है (लोन देने के बिजनेस में है) तो ब्‍याज का भुगतान और हासिल किया गया डिवीडेंड आम तौर पर कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेंशंस की कैटेगरी में आता है। लेकिन नॉन-फाइनेंशियल एंटिटीज के लिए ये ट्रांजैक्‍शन कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग एक्टिविटीज की कैटेगरी में आते हैं क्‍योंकि ये पूंजी की लागत बताते हैं। दूसरे शब्‍दों में, ये ट्रांजैक्‍शन बिजनेस को चलाने के लिए वित्‍तीय संसाधन हासिल करने की कीमत बताते हैं, ऐसे में ये कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग एक्टिविटीज की कैटेगरी में आते हैं।
एक और बात ध्‍यान में रखने वाली है कि कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग सिर्फ डायरेक्‍ट बारोइंग ट्रांजैक्‍शंस का खुलासा करता है। इसका मतलब है कि कोई इनडायरेक्‍ट बॉरोइंग, जैसे अकाउंट्स पेबेल में ज्‍यादा यहां नहीं दिखेगा।

कैसे फायदेमंद है
कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस बिजनेस से पैदा होने वाले कैश फ्लो के बारे में जानकारी देता है और कैश फ्लो फ्रॉम इन्‍वेस्टिंग यह बताता है कि बिजनेस का अतिरिक्‍त कैश निवेश किया गया है। कैश फ्लो फ्रॉम इन्‍वेस्टिंग निवेशक को यह बताता है कि बिजनेस के लिए कैसे रकम रकम जुटाई गई है। बिजनेस किस परिप्रेक्ष्‍य में चलाया जा रहा है यह समझने के लिए हिस्‍टोरिकल कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग एक्टिविटीज का विश्‍लेषण उपयोगी है।
मैच्‍योर कंपनियों का कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग नेगेटिव होने की संभावना काफी अधिक है क्‍योंकि आम तौर पर इनको अतिरिक्‍त पूंजी की जरूरत नहीं होती है और इसलिए ये रकम पूंजी मुहैया कराने वाले को लौटा देती हैं। वहीं, दूसरी तरफ युवा कारोबार शुरू करने जा रही कंपनियों को काफी ज्‍यादा अ‍तिरिक्‍त पूंजी (इक्विटी और डेट दोनों) की जरूरत हो सकती है। मैच्‍योर कंपनियां भी जब बड़े पैमाने पर विस्‍तार करती है तो हो सकता है कि उनका कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग भी पॉजिटिव हो जाए क्‍योंकि ये आम तौर पर कारोबार के विस्‍तार के लिए एक्‍सटर्नल पूंजी जुटाती हैं।

केश-बेस्‍ड डिवीडेंड और नॉन कैश बेस्‍ड डिवीडेंड जैसे स्‍टॉक स्पिलिट्स, स्‍टॉक डिवीडेंड्स और बोनस इश्‍यू आदि में अंतर करना भी उपयोगी है। ये कैश फ्लो स्‍टेटमेंट में नहीं दिखते हैं। इनमें अकाउंटिंग में हेर- फेर किया जा सकता है।

निष्‍कर्ष
केश फ्लो स्‍टेटमेंट के सभी सेक्‍शन की सही तरी से जांच परख निवेश के हर फैसले में जरूरी है। कैश फ्लो स्‍टेटमेंट के तीनों सेक्‍शन को एक साथ लाने पर कंपनी में कैश ट्रांजैक्‍शंस की पूरी तस्‍वीर साफ हो जाती है। कंपनी का प्रॉफिट एंड लॉस स्‍टेटमेंट और बैलेंस शीट कितना भी आकर्षक क्‍यों न हो, निवेशक को यह देखना चाहिए कि क्‍या इसका केश फ्लो स्‍टेटमेंट के साथ मजबूत जुड़ाव है। सभी लिस्‍टेड कंपनियों का कैश फ्लो स्‍टेटमेंट वैल्‍यू रिसर्च की वेबसाइट पर उपलब्‍ध है। किसी भी कंपनी के स्‍टॉक पेज पर जाएं और 'फाइनेंशियल' टैब पर क्लिक करें। ये रीडर्स के अपने हित में है कि वे अपने फायदे के लिए इसका इस्‍तेमाल करें।


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