कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस पढ़ना सीख लेने के बाद अब बारी है कि निवेशक कैश फ्लो स्टेटमेंट के दूसरे भाग को समझें। यह है कैश फ्लो फ्रॉम स्टेटमेंट्स यानी CFI । यह भाग कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस और कैश फ्लो फ्रॉम फाइनेंसिंग के बीच में मौजूद है।
यह है क्या
कैश फ्लो फ्रॉम स्टेटमेंट्स एक सरल स्टेटमेंट है जो पाठक को यह बताता है कि कंपनी ने निवेश से जुड़ी गतिविधियों के लिए कैश संसाधनों का इस्तेमाल कैसे किया है। कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टिंग के लिहाज से बात करें तो इन्वेस्टिंग एक्िविटीज लॉंग-टर्म असेट जैसे फैक्ट्रीज, इक्विपमेंट, शेयर और फिक्स्ड डिपॉजिट की खरीदारी और बिक्री को कहा जाता है। किसी मान्यता प्राप्त असेट की बैलेंस शीट में होने वाला ट्रांजैक्शन ही इन्वेस्टिंग एक्टिविटीज में आता है। इन्वेस्टिंग से आने वाले ग्रॉस कैश फ्लो का योग रीडर को इन्वेस्टिंग से नेट कैश देता है, जो या तो पॉजिटिव नंबर हो सकता या नेगेटिव नंबर। जहां पॉजिटिव वैल्यू कैश इन्फ्लो दिखाता है वहीं नेगेटिव वैल्यू कैश आउटफ्लो दिखाता है। गौर करने वाली अहम बात यह है कि कंपनी द्वारा निवेश की गई कोई भी रकम इन्वेस्टिंग एक्टिविटीज को दिखाती है और कंपनी में निवेश की गई कोई रकम फाइनेंशियल एक्टिविटी के दायरे में आती है।
एक काल्पनिक कंपनी का कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट्स का इलस्ट्रेशन कुछ इस तरह से दिखेगा।
यह अहम क्यों है
एक कंपनी को उपकरणों, बिल्डिंग, जमीन आदि पर रकम खर्च करने की जरूरत होती है जिससे वह अपने बिजनेस को बनाए रख सके या बढ़ा सके। और बिजनेस करते हुए कंपनी इन असेट्स को बेच सकती है और नए असेट्स में निवेश जारी रख सकती है। रीडर्स को कंपनी द्वारा विभिन्न असेट क्लॉस में किए गए निवेश की मात्रा और प्रकृति के बारे में बेहतर समझ मुहैया कराने के बाद कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट्स कंपनी के ऑपरेशंस और और बदलाव को लेकर भविष्य की संभावनाओं का आंकलन करने में उपयोगी है।
उदाहरण के लिए, एक मैच्योर कंपनी शायद नए असेट्स में निवेश न करे। इसके विपरीत एक युवा कंपनी अपनी क्षमता बढ़ाने या नए बाजारों में विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर सकती है। यह सूचना निवेशकों को एक तार्किक उम्मीद दे सकती है कि युवा कंपनी का राजस्व भविष्य में बढ़ सकता है वहीं इस बात की अच्छी संभावना है कि एक मैच्योर कंपनी का राजस्व उसी स्तर के आस-पास बना रहे।
अपवाद
कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस के विपरीत कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्ट्मेंट्स तैयार करने के सिर्फ तरीके के बावजूद कुछ मुश्किल बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस को दो तरीके से जैसे डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से तैयार किया जा सकता है।
पहली बात, ट्रेडिंग के मकसद के लिए रखे गए या कैश ‘इक्वैलेंट माने जाने वाले सभी निवेश कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट में शामिल नहीं किए जाते हैं। ये इंस्ट्रूमेंट निवेश के लिए गिने जाते हैं क्योंकि कैश इक्वैलेंट प्रमुख तौर पर कम अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए रखे जाते हैं और ट्रेडिंग को आम तौर पर ऑपरेटिंग एक्टिविटी माना जाता है।
दूसरी बात, ब्याज और डिवीडेंड पेमेंट का क्लासीफिकेशन कंपनी के बिजनेस की प्रकृति पर निर्भर करेगा। कंपनी एक वित्तीय संस्थान है तो ऐसे ट्रांजैक्शन को कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेशंस में गिना जाएगा, लेकिन दूसरी कंपनियों के लिए ये ट्रांजैक्शंस निवेश की गतिविधियों से कैश फ्लो का भाग माने जाएंगे।
तीसरी बात, अगर निवेशक विदेशी कंपनी की ओर देख रहे हैं तो उनको इंटरनेशनल अकाउंटिंग नियमों और घरेलू अकाउंटिंग नियमों के बीच अंतर का ध्यान रखना होगा।
निष्कर्ष
इन्वेस्टमेंट्स फ्रॉम कैश फ्लो कई मकसद के लिए फायदेमंद है। आप इसका इस्तेमाल इन्वेस्टमेंट कैश फ्लो के सोर्स को जानने, बिजनेस की लंबी अवधि की निवेश जरूरतों को समझने, और भविष्य के कैश फ्लो का अनुमान लगाने में कर सकते हैं। कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट्स इंट्रेस्ट इनकम और डिवीडेंड इनकम के बारे में भी सूचनाएं मुहैया कराता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल अनलिस्टेड सब्सिडियरीज और अन्य इन्वेस्टी कंपनियों के प्रदर्शन का आंकलन करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
और जब इसका इस्तेमाल प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट ओर ऑपरेटिंग कैश फ्लो के साथ किया जाता है तो कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट्स निवेशकों की कंपनी के वित्तीय मामले बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है। और इसके लिए निवेशकों को हमेशा यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वे निवेश के बारे में कोई फैसला लेने से पहले कैश फ्लो फ्रॉम इन्वेस्टमेंट्स पर सावधानी से गौर करें। प्रत्येक डोमेस्टिक लिस्टेड कंपनी का कैश फ्लो स्टेटमेंट वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन पर फ्री में एक्सेस किया जा सकता है। इसकी डिटेल्स ‘फाइनेंशियल्स’ टैब के तहत उपलब्ध हैं।