सुमित (45) का इक्विटी पोर्टफ़ोलियो ₹40 लाख का है। मार्केट क्रैश के डर से, वो पिछले एक साल में मार्केट के ऊपर जाने से कमाए पैसों को संभावित गिरावट से बचाना चाहते हैं। सुमित ये भी नहीं चाहते कि मार्केट के बढ़ते रहने पर वो इस मौक़े को गंवा दें।
उन्हें अपनी बेटी की उच्च-शिक्षा के लिए तीन साल के भीतर अपने कॉर्पस में क़रीब ₹20 लाख की ज़रूरत होगी। सुमित का प्लान है कि बाक़ी का कॉर्पस वो अपने रिटायरमेंट के लिए रख दें। वो चाहते हैं कि हम उन्हें इसका कोई रास्ता सुझाएं।
इक्विटी से बाहर निकलने की जल्दबाज़ी कभी मत करें
इक्विटी, काफ़ी उतार-चढ़ाव वाला निवेश होता है इसीलिए सुमित को, अपनी बेटी की उच्च शिक्षा के लिए पैसों का इंतज़ार आख़िरी वक़्त तक नहीं करना चाहिए। आख़िर ये ऐसा गोल है, जिसे वो टाल नहीं सकते हैं। उन्हें इसके लिए ज़रूरी पैसों को मासिक किश्तों में, सिस्टमिक विथड्रॉल प्लान या SWP के ज़रिए निकालना शुरु कर देना चाहिए। याद रखिए, इक्विटी से धीरे-धीरे बाहर निकलना उतना ही ज़रूरी है, जितना धीरे-धीरे SIP के ज़रिए इक्विटी में निवेश करना।
जब आप SWP सेटअप करते हैं, तो आपकी इकठ्ठा की हुई रक़म, आपके बैंक अकाउंट में या चुने हुए फ़िक्स इन्कम फ़ंड में एक अर्से के दौरान ट्रांसफ़र हो जाती है। ठीक वैसे ही, जैसे SIP आपकी निवेश की लागत को औसत स्तर पर ला देती है, SWP से रक़म को निकालने से ऐसा ही होता है। इससे ये पक्का हो जाता है, कि आप बहुत कम रेट पर ही अपने निवेश को बेच कर बाहर नहीं निकल रहे हैं। मगर हां, इसका ये मतलब भी है कि आप इसे बहुत ऊंचे स्तर पर भी नहीं बेच रहे हैं। अगर सुमित अपने पूरे ₹20 लाख को एक ही बार में फ़िक्स इन्कम में डाल देते हैं और अगर, अगले तीन साल मार्केट ऊपर जाता रहता है, तो वो इस पैसे पर ऊंचा रिटर्न पाने से चूक जाएंगे।
सुमित को इस बात का भी ठीक से पता कर लेना चाहिए कि उन्हें इसके लिए कितने फ़ंड की और कब-कब ज़रूरत होगी। हो सकता है, उन्हें पूरे ₹20 लाख की ज़रूरत एक साथ न हो। और ये भी हो सकता है कि ये ज़रूरत एक लंबे समय के दौरान पड़ने वाली हो, शायद तीन या चार साल के दौरान। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी बेटी कौन सा कोर्स चुनती है और ये कोर्स कितने समय का है। तो, पैसों को निकालना भी ज़रूरत के मुताबिक़ हो सकता है। अगर सुमित बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफ़र करने के बजाए, उसे फ़िक्स इन्कम फ़ंड में डालते हैं, तो उन्हें बेहतर टैक्स रेट के मुताबिक़ ज़्यादा रिटर्न मिल सकेगा।
फ़ंड के एसेट-एलोकेश प्लान के मुताबिक़ चलें
जहां हर कोई यही चाहता है कि वो मार्केट में तभी निवेश करे, जब मार्केट एकदम नीचे हो और मार्केट के सबसे ऊंचाई पर पहुंचने पर-गिरने से ठीक पहले-अपना निवेश निकाल ले। मगर ऐसा लगातार कर पाना असंभव सी बात है। इस मुश्किल से डील करने का एक ही सही तरीक़ा है, और वो है, अपने निवेश को सही तरीक़े से अलग-अलग फ़ंड में बांटा जाए और इस एसेट एलोकेशन प्लान के मुताबिक़ ही निवेश किया जाए। इससे, जब मार्केट बढ़ रहा होगा तो आपको अपने आप ही फ़ायदा पाने में मदद मिलेगी और जब मार्केट नीचे जा रहा होगा, तो निवेश करने में मदद मिलेगी।
सुमित के रिटायरमेंट में अभी 15 साल बाक़ी हैं। वो अपने बचे हुए क़ॉर्पस के लिए इस एलोकेशन प्लान को फ़ॉलो कर सकते हैं - 75 (इक्विटी): 25 (फ़िक्स इन्कम)। हालांकि, उन्हें अपने पोर्टफ़ोलियो को बहुत जल्दी-जल्दी री-बैलेंस नहीं करना चाहिए। री-बैलेंसिंग, या तो साल में एक बार की जानी चाहिए या फिर तब, जब एसेट अपने एलोकेशन से 10 प्रतिशत से ज़्यादा दूर हो जाए।
रिटायरमेंट प्लान सोच-समझ कर बनाएं
रिटायरमेंट एक अहम गोल है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। 12 प्रतिशत के सालाना रिटर्न पर, ₹20 लाख से, अगले 15 साल में सुमित ₹1 करोड़ से ज़्यादा पा सकते हैं। अक्सर हम सोचते हैं, ₹1 करोड़ जैसी बड़ी रक़म हमारे रिटायरमेंट के बाद काफ़ी होगी। मगर हो सकता है ये अंदाज़ा सही नहीं हो।
अपने रिटायरमेंट के साल आराम से बिताने के लिए आपको कितना पैसा चाहिए, ये आपके हर महीने के ख़र्च पर निर्भर करेगा। इसे महंगाई दर के हिसाब से एडजस्ट करने की ज़रूरत होगी। अगर ज़रूरत पड़े, तो सुमित अपनी बेटी को, पढ़ाई के ख़र्च के छोटे हिस्से पर लोन लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इससे बेटी में फ़ाइनेंशियल डिसिप्लिन भी आएगा।
शोर नज़रअंदाज़ कर, शांत रहें और अपने निवेश प्लान पर बने रहें
महामारी की वजह से, मार्केट और अर्थव्यवस्था में पिछले डेढ़ साल से माहौल अनिशिचित रहा है। सुमित को अपना फ़ोकस बनाए रखना चाहिए और अपने निवेश के प्लान पर क़ायम रहना चाहिए।
मार्केट के शोर और हाईप के आधार पर निवेश से जुड़े फ़ैसले लेने से हमेशा बचना चाहिए। रोज़ की ख़बरों के चलते कोई भी निर्णय लेने से बचें। न्यूज़ को देखने का मक़सद सिर्फ़ जानकारी पाना होना चाहिए। कम ख़बरें देखने-सुनने से भी निवेश के ऐसे फ़ैसलों से बचा जा सकता है, जो हम जल्दबाज़ी में कर बैठते हैं।
इसे पर भी ध्यान दें
· अपने छः महीने के ख़र्च के बराबर का फ़ंड किसी अनजान ख़र्च के लिए रखना चाहिए। इसे आप स्वीप-इन डिपॉज़िट और लीक्विड फ़ंड के तौर पर रख सकते हैं।
· अपने ऊपर आर्थिक रूप पर निर्भर लोगों के लिए, एक अच्छे अमाउंट का प्योर-टर्म-प्लान भी बहुत ज़रूरी है। इस टर्म-प्लान में आपके मौजूदा लोन को कवर करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
· अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त हेल्थ-कवर भी आपके पास होना चाहिए। मौजूदा पैनडैमिक और जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों के चलते, ये बात और भी महत्वपूर्ण हो गई है।