अब तक हमने म्यूचुअल फ़ंड निवेश के बारे में जो भी बातें की हैं वो इस निवेश का आसान हिस्सा था, क्योंकि उन सभी बातों में कुछ सोचने के लिए था, प्लान करने के लिए था और प्लान पर अमल करने के तरीक़ों के बारे में था। मगर फ़ाइनेंशियल प्लानिंग की आख़िरी, और शायद सबसे मुश्किल बात है ‘कुछ नहीं करना’। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। एक बार आपने अपनी रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर पोर्टफ़ोलियो बना लिया, तो उसे ज़रूरत पड़ने पर दोबारा बैलेंस करने के सिवा, आप को और कुछ नहीं करना है, बस निवेश को बनाए रखना है। ‘कुछ नहीं करना’ एक बड़ा काम है, जिसे आमतौर पर सफलता से नहीं जोड़ा जाता है। सच तो ये है कि इसे आलस और असफलता से जोड़ कर देखा जाता है। मगर हम ये बात मानते हैं, कि कुछ नहीं करना जीवन के दूसरे पहलुओं के लिए चाहे कुछ भी हो, निवेश के लिए ये बड़े काम की चीज़ हो सकती है।
ज़िंदगी में हमारा सामना कई तरह के प्रलोभनों से होता है और कई तरह के दबाव आते हैं जब लगता है कि कुछ किया जाना ज़रूरी है नहीं तो नुकसान हो जाएगा। कभी मार्केट ऊपर जाते हैं और कभी नीचे। ये किसी भी तरह की ब्रेकिंग न्यूज़ के चलते हो सकता है, चाहे भारत-चीन या भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति हो, या कोई महामारी। किसी भी घटना के कारण मार्केट पर असर पड़ सकता है और मार्केट के पंडित बड़ी-बड़ी भविष्यवाणियां करने लगते हैं। आपको ऐसा भी दिखाई देगा कि लोगों को निवेश के दूसरे नए प्रॉडक्ट पसंद आ रहे हैं, क्योंकि वो ब्लॉकबस्टर तरीक़े से रिटर्न दे रहे हैं, और म्यूचुअल फ़ंड उनके सामने क़मज़ोर दिख रहा है। इस सबके चलते आप कोई एक्शन लेने के बारे में सोच सकते हैं। अगर आप किसी लोभ में पड़ कर ग़लत निर्णय ले लेते हैं, तो आपके रिटर्न और आपके फाइनेंशियल गोल दोनों का ही बड़ा नुकसान हो सकता है।
कोई आश्चर्य नहीं होता, जब कई निवेशक शिकायत करते हैं कि उनके फ़ंड अच्छे से रिटर्न देते दिखाई देते हैं मगर असल में उन्हें उतने अच्छे रिटर्न नहीं मिल रहे होते। इस गड़बड़ के लिए ख़ुद उनका अपना व्यवहार ही ज़िम्मेदार होता है। अब तो ये सबको पता चल गया है कि आपको मार्केट का पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहिए। पर अपने रिटर्न को तेज़ी से बढ़ाने के लिए कई निवेशक यही करते हैं। जो करना चाहिए, वो उसका ठीक उलटा कर रहे होते हैं। जब मार्केट बिल्कुल पीक पर होता है वो ज़्यादा निवेश करते हैं, और जब मार्केट गिरता है तो पैसे निकाल रहे होते हैं। ये लालच और डर के बीच डोलते रहना ही निवेशकों के फ़ेल होने का बड़ा कारण होता है। ऐसा करना, निवेशकों को उनके रिटर्न के उस फ़ायदे को ख़त्म कर देता है, जो उन्हें फ़ंड से मिलने वाला होता है। जैसा कि किसी ने सही ही कहा है, निवेश से पहले अपनी आंखें खुली रखिए और निवेश के बाद आधी बंद। तो, एक निवेशक के लिए निवेश का सबसे बढ़िया तरीक़ा है कि वो सारे शोरगुल को नज़रअंदाज़ करे, और एकाग्रचित्त हो कर निवेश जारी रखे, बिल्कुल एक संत की तरह हो कर!
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