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म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें – रिवर्स गियर को मत भूलिए

ये हमारी 7-पार्ट की सीरीज़ का पांचवा पार्ट है जिसमें हम आपसे वो सबकुछ शेयर कर रहे हैं जो आपके म्यूचुअल फ़ंड निवेश को फ़ायदे का सौदा बनाने के लिए ज़रूरी।

म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें – रिवर्स गियर को मत भूलिए


पिछले कुछ साल में, म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में निवेश की कहानी का बड़ा हिस्सा सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का रहा है। भारतीय बाज़ार में ग्रोथ की संभावनाओं और एक बड़ी जनसंख्या, जो इक्विटी निवेश से पैसा बनाने की संभावनाओं के इंतज़ार में है, इन दोनों बातों को देखते हुए ये स्वाभाविक ही लगता है। हालांकि, 2008 और मार्च 2020 जैसे मार्केट क्रैश दिखाता है कि पैसों की ज़रूरत के वक़्त, मार्केट अचानक गिर सकता है, इस गिरावट और नुकसान से बचने के लिए और निवेश से बाहर निकले का प्लान भी आपके पास होना चाहिए।

सिस्टमिक विथड्रॉल प्लान या SWP, निवेश में संतुलन रखने का एक और तरीक़ा है। ये SIP का ठीक उलटा है जो आपको इक्विटी से एक सिस्टमैटिक तरीक़े से बाहर निकलने में मदद करता है। इसका तरीक़ा सरल है - जब आप SWP सेट-अप करते हैं, तो आपकी इकठ्ठा की हुई रक़म का एक हिस्सा हर महीने आपके बैंक में ट्रांसफ़र हो जाता है। इसमें, आप इक्विटी से एक ही बार में बाहर नहीं निकलते, बल्कि एक लंबे समय में ऐसा करते हैं। जैसे SIP आपके निवेश के ख़र्च को औसत स्तर पर लाने में मदद करता है, SWP आपके विनिवेश या बाहर निकलने को औसत स्तर पर ला देता है। इससे ये पक्का हो जाता है कि आपको अपने निवेश से बाहर निकलने के लिए इसे बहुत कम दामों पर नहीं बेचना पड़ता। मगर हां, इसका ये मतलब भी है कि आप बहुत ऊंचे दामों पर भी नहीं बेचते हैं। मगर, हम आने वाले समय में क्या होगा इसका अनुमान नहीं लगा सकते, तो कौन कह सकता है कि मार्केट कब सबसे ऊंचाई पर है?
इसके विकल्प के रूप में आप सिस्टमिक ट्रांसफ़र प्लान (STP) के ज़रिए अपना पैसा दूसरे, ज़्यादा कंज़र्वेटिव निवेश में डाल सकते हैं, जैसे - कम-अवधि के डेट फ़ंड जो आपको अपने गोल हासिल करने में मदद करेगा।
तो, अपनी तय तारीख़ से एक या ड़ेढ़ साल पहले SWP सेटअप कीजिए। ये ऐसे गोल के लिए होती है जिसे आप टाल नहीं सकते, जैसे - बच्चों की पढ़ाई। मार्केट काफ़ी बेक़ाबू हो सकता है और पैसे निकालने का एक अच्छा प्लान आपके गोल को सेफ़ करने में काफ़ी मदद कर सकता है। इसके अलावा, अगर इक्विटी में कोई बहुत बड़ा उछाल आ भी जाता है और आप अपनी टार्गेट की हुई रक़म पहले ही पा जाते हैं, तो इतंज़ार मत कीजिए, अपने फ़ंड को तुरंत डेट स्कीम में शिफ़्ट कर लीजिए। ज़्यादा रिटर्न पाने के लालच में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। याद रखिए, आपका लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा रिटर्न पाना नहीं है (ऐसा कुछ होता ही नहीं!), पर जो गोल आपने तय किया है उस तक पहुंचना है। अगर आप चाहते हैं, तो अपनी बाक़ी की SIP को चलते रहने दें, मगर अपने निश्चित गोल के लिए तय की हुई राशि की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।

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