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म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें: नतीजे की समझ के साथ शुरुआत करें

ये 7-पार्ट की सीरीज़ का दूसरा पार्ट है जिसमें हम आपसे वो सबकुछ शेयर कर रहे हैं जो आपके म्यूचुअल फ़ंड निवेश को फ़ायदे का सौदा बनाने के लिए ज़रूरी।

म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें: नतीजे की समझ के साथ शुरुआत करें

मुबारक़ हो! रिस्क की अपनी क्षमता को पहचानने के बाद, आप अपने फ़ायनेंशियल गोल हासिल करने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में हैं। आप अपना पोर्टफ़ोलियो कैसे बनाएं ये बताने के लिए हमने 'फ़ाइनेंशियल रोड मैप' की टेबल में, आपके लिए कुछ गाइड-लाइन तय की हैं। निवेशकों के रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर ये टेबल दो हिस्सों में है। इसके बाद, गोल को हमने निवेश की अवधि के आधार पर अलग कैटेगरी में रखा है।

म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें: नतीजे की समझ के साथ शुरुआत करें

म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें: नतीजे की समझ के साथ शुरुआत करें
इससे पहले कि आप फ़ाइनेंशियल गोल पाने के लिए अपने निवेश की शुरुआत करें, आपके पास इमरजेंसी में आर्थिक सुरक्षा के लिए कुछ फ़ंड हमेशा रहना चाहिए। सेफ़्टी नेट बनाने के लिए आपको डबल तरीक़े से काम करना चाहिए - आपके पास अच्छी रक़म का इंश्योरेंस होना चाहिए (हेल्थ और लाइफ़ इंश्योरेंस दोनों) और एक ठीक-ठाक इमरजेंसी कॉर्पस होना चाहिए। ताकि इस पैसे का इस्तेमाल आप जीवन में अचानक आने वाली मुश्किलों के आने पर कर सकें। इससे पहले कि आप अपनी निवेश यात्रा शुरु करें, आपको ये दोनों बातें (इंश्योरेंस और इमरजेंसी कॉर्पस) पहले निपटा लेनी चाहिए।

इसके बाद बारी आती है पोर्टफ़ोलियो की। हालांकि ऊपर दिया गया टेबल आपको कुछ बेसिक आइडिया देगा, मगर आप अपने निवेश को, अपने आर्थिक गोल के हिसाब से तय करें। यानि किसी भी ऐसेट क्लास में कितना निवेश करना है ये आपके रिस्क लेने और सहजता से पैसे देने की क्षमता पर निर्भर करता है। साथ ही ये भी तय करना चाहिए कि आपका हर आर्थिक गोल आपके लिए कितनी अहमियत (इस बारे में विस्तार से बात बाद में) रखता है।

आर्थिक गोल की अवधि जितनी छोटी होगी, आपको उतने ही सुरक्षित निवेश का चुनाव करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर डेट फ़ंड सबसे कम उतार-चढ़ाव वाले होते हैं और निवेश फ़ंड में ये सबसे स्थिर और सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। अगर आपका निवेश एक से तीन साल के लिए है तो डेट फ़ंड ही सही रहेंगे।
ऐसे आर्थिक गोल जिनकी अवधि तीन साल बाद के हैं मगर सात साल से कम है, इनमें इक्विटी का अनुपात ज़्यादा रखने का मतलब बनता है, क्योंकि ये मंहगाई दर से बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं जबकि आपका ज़्यादातर पोर्टफ़ोलियो अभी भी डेट फ़ंड का ही है, जो आपको ज़रूरी स्थाइत्व देता है।
जो गोल के पूरा होने में लंबा वक़्त है, वो आपके पोर्टफ़ोलियो में बिना किसी शक़ के इक्विटी का हिस्सा होने चाहिए। हालांकि, इस बात पर ज़ोर दिया जाना चाहिए कि, आपको अपने पहले स्टेप - ख़ुद को जानो को कभी भूलना नहीं है।
'म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें' सीरीज़ के बारे में जानने के लिए ये भी पढ़ें:


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