भारत में ETF की लोकप्रियता बढ़ रही है। ETF निवेश का बड़ा हिस्सा संस्थागत निवेशकों का है लेकिन इंडीविजुअल निवेशकों ने भी इन पैसिव इन्वेस्टमेंट विकल्पों में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान, सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड अपने बेंचमार्क को पीछे छोड़ने में संघर्ष कर रहे हैं और निवेशकों को इन फंड पर ऊंची फंड-मैनेजमेंट फीस चुकानी पड़ रही है। ऐसे में निवेशकों को ETF की सरलता और कम लागत के फायदे काफी आकर्षित कर रहे हैं।
तो इस एक्टिव-पैसिव फंड में क्या ETF वाकई बेहतर हैं। इसका जवाब इतना सीधा है नहीं जितना लगता है। यह बात सही है कि एक्टिव फंड में निवेश की लागत काफी अधिक है लेकिन बेंचमार्क को पीछे छोड़ने की इनकी हिस्ट्री को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, खास तौर पर मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में ।
एक्टिव-पैसिव सवाल का जवाब आपको एक्सट्रीम में नहीं बल्कि कहीं बीच में मिलेगा। आपके पोर्टफोलियो में एक्टिव फंड और ETF दोनों का रोल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी जरूरत क्या है। यहां कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से आप दोनों के बीच असेट अलॉकेट कर सकते हैं।
प्रभावी मार्केट सेगमेंट के लिए अलॉकेशन
एक प्रभावी मार्केट सेगमेंट, जैसे लार्ज कैप में स्टॉक सेलेक्शन के जरिए बेंचमार्क को पीछे छोड़ना मुश्किल है। ऐसे में बेहतर है कि ETF के जरिए इंडेक्स खरीदा जाए और लागत पर बचत की जाए। हालांकि, मिड-और स्मॉल-कैप सेगमेंट में यह बेहतर फैसला होगा कि आप एक अच्छे सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड में निवेश करें, यहां पर बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न मिलने की अच्छी संभावना है। ‘बेंचमार्क को पीछे छोड़ा’ शीर्षक से चार्ट देखें।
टैक्टिकल अलॉकेशन
अगर आपके पोर्टफोलियो का कोर यानी सबसे अहम हिस्सा सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड से बना है, पोर्टफोलियो में टैक्टिकल अलॉकेशन हासिल करने के लिए ETF एक अच्छा तरीका हो सकता है। उदाहरण के लिए, थीम आधारित, सेक्टर आधारित और इंटरनेशनल फंड चुनने के लिए ETF एक अच्छा तरीका हो सकता है। इसका उलटा भी संभव है। अगर आप पोर्टफोलियो के कोर के तौर पर ब्रॉड बेस्ड ETF का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए कुछ सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड में निवेश पर विचार कर सकते हैं।
स्मार्ट-बीटा प्रोडक्ट
अभी उपलब्ध ज्यादातर ETF ब्रॉड बेस्ड सूचकांक को ट्रैक करते हैं, फंड कंपनियों स्मार्ट- बीटा ETF भी ला रही हैं। जैसे वैल्यू ETF, इक्वल-वेट ETF आदि। ये पहले से तय फार्मूले पर आधारित है और एक्टिव और पैसिव वैरिएंट के बीच हैं। आप अपने पोर्टफोलियो में एक और रंग भरने के लिए ETF के जरिए ऐसे इनोवेटिप प्रोडक्ट में निवेश कर सकते हैं।
तो इस तरह से हम देख सकते हैं, यह इस बारे में नहीं है कि आपको एक्टिव फंड या पैसिव ETF के साथ जाना चाहिए। यह वास्तव में आपकी जरूरतों के बारे में है। आपको इस बात का आकलन करना होगा कि किस टाइप का फंड आपकी जरूरतों के लिहाज से फिट बैठकता है और फिर इसके हिसाब से इन फंड में निवेश करें।