मैं 2020 में रिटायर हुआ हूं और अब भी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ में निवेश कर रहा हूं। मैं पूरी रकम म्युचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहता हूं। ऐसे में मैं सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम में निवेश करने के बाद हर साल जितनी रकम निवेश कर सकता हूं उतनी रकम पीपीएफ में निवेश कर रहा हूं। क्या मैं सही कर रहा हूं ?
तापोश मुखर्जी
यह अच्छी बात है कि आपने हमेशा निवेश किया है और अब भी निवेश कर पा रहे हैं। इसका मतलब है कि आपके पास इनकम का और भी जरिया है। लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी आप इतना कमा रहे हैं और 80 सी की लिमिट के लायक निवेश करने के साथ अपना खर्च भी चला रहे हैं। इसका मतलब है कि आप अपने निवेश के साथ किसी तरह का जोखिम नहीं ले रहे हैं। आप अपनी रकम के साथ किसी तरह का कोई जोखिम नहीं ले रहे हैं।
सीनियर सिटीजंस सेविंग स्क्ीम और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के साथ आपकी रकम सॉवरेन गारंटी के साथ सुरक्षित है। ये निवेश तभी फेल हो सकते हैं जब भारत देश फेल हो जाए। जब तक भारत काम कर रहा है तब तक से स्कीम काम करेंगी। पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम भी इसी कैटेगरी में है।
अगर आप का कोई उत्तराधिकारी है और आप उसके लिए विरासत में बड़ी रकम छोड़ कर जाना चाहते हैं तो आपको अपने निवेश के साथ थोड़ा जोखिम लेना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर निवेशक यह नहीं समझते हैं कि जोखिम कम अवधि के निवेश के साथ होता है। अगर आप तीन माह या तीन साल के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्विटी में बहुत अधिक जोखिम है। हालांकि, अगर आप इक्विटी में 10-20 साल के लिए निवेश कर रहे हैं तो रकम गंवाने की संभावना शून्य है। अगर कोई सेंसेक्स में उस समय निवेश करता है जब बाजार अपने उच्चतम स्तर पर है और 10 साल के बाद उस समय निवेश भुनाता है जब बाजार में तेज गिरावट है तब भी उसको रकम का नुकसान होने की संभावना शून्य है।
अगर आप लंबे समय तक निवेश बनाए रखने वाले है तो आप अपनी रकम इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। इक्विटी में लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर जोखिम कम होता जाता है। ऐसे में आप एक अच्छी रकम म्युचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर सकते हैं।