हम लोगों का व्यक्तित्व हमारे बचपन और बड़े होने के अनुभवों से बनता है। मुझे इस मसले पर बहुत गहरी जानकारी नहीं है लेकिन एक्सपर्ट ऐसा कहते हैं और यह काफी वाजिब लगता है। दिलचस्प बात यह है कि बहुत से निवेशकों से बात करते हुए धीरे धीरे मुझे पता चला कि ऐसा ही कुछ हमारी निवेश से जुड़ी जिंगदी में भी होता है। जब हम निवेश की शुरूआत करते हैं तो पहले कुछ साल बाकी सालों के लिए हमारी सोच और नजरिया तय करते हैं। इन सब बातों को हम सामान्य मानते हैं।
क्या कभी इस बात में कोई बदलाव होता है ? जब मैं यह बात कह रहा हूं तो आप लोग शायद यह कहेंगे कि नहीं लोग कभी नहीं बदलते। हम में से ज्यादातर लोग अपने निवेश के शुरूआती सालों की सोच को अपना लेते हैं इसमें कोई खास बदलाव नहीं होता है। लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। वास्तव में यह एक निराशाजनक विचार है क्योंकि इसका मतलब है कि लोग सीखते नहीं है और अगर वे कुछ गलत कर रहे हैं तो वे जीवन भर यही करते रहेंगे।
यह सही नहीं है। कुछ लोग नहीं सीखते हैं लेकिन ज्यादातर लोग सीखते हैं। मेरा यह मतलब नहीं है कि यह जीवन का एक नियम है। सभी सफल निवेशक अपनी निवेश से जुड़ी जिंदगी की शुरूआत इस भरोसे के साथ करते हैं कि कोई चीज वास्तव में सही नहीं है। इनमें से कुछ चीजें इक्विटी मार्केट के किसी खास फेज में सही हो सकती है। आप निवेश की शुरूआत ऐसे समय में कर सकते हैं जब बहुत से स्टॉक्स पर और किसी भी इक्विटी फंड पर रकम बनाना आसान हो। निवेशक को यह बात सामान्य लगने लगती है।
साफ तौर पर ऐसा ही कुछ हम लोगों में से बहुत से लोगों के साथ पिछले तीन दशकों में हुआ है। कई बार ऐसा दौर आया जो सालों तक चला जब निवेश चुनन आसान था। यह जानते हुए भी कि अच्छा समय बहुत लंबा नहीं चल सकता आप इस पुरानी कहावत पर भरोसा करने लगते हैं कि इस बार कुछ अलग है। लेकिन जल्दी या देर से यही होता है। 1995 या 2001 या 2008 में यही हुआ। 2020-21 पर अभी फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में इसके बारे में कुछ नहीं कहूंगा। जब ऐसा होता है तो इस बदलाव को स्वीकार करने के लिए आपको मानसिक स्तर पर भी बदलाव करना पड़ता है। बदलाव सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी। आप हार मान कर छोड़ सकते हैं। आपके निवेश की वैल्यू में 5 या 10 फीसदी की गिरावट लगातार होती रहती है। यह इसलिए भी जरूरी है कि इससे निवेशक को बाजार के काम काज के तौर तरीकों को समझने में आसानी होती है। इसके अलावा अगर आप कुछ समय से निवेश कर रहे हैं तो आप अपने मुनाफे का एक हिस्सा गवां सकते हैं। यह कोई बड़ा मसला नहीं है।
इसके बाद बाजार में एक बड़ी गिरावट आती है और आपका आधा या इससे अधिक निवेश गायब हो जाता है। जब ऐसा होता है तो बहुत से निवेशक इक्विटी आधारित निवेश छोड़ कर निवेश से पल्ला झाड़ लेते हैं। मैंने यह चीज दशकों में बार बार देखी है। हालांकि कुछ लोग अपनी मानसिकता में बदलाव करते हैं। अगर आप समझते हैं कि क्या हो रहा है तो बाजार में गिरावट के छिपे हुए फायदों को जानना कठिन नहीं है। बाजार में तेज गिरावट का फायदा उठाना सरल और आसान है। इससे आप भविष्य के मुनाफे के लिए जमीन तैयार कर सकते हैं।
जब अगला बड़ा संकट आता है तो कुछ निवेशक इसका फायदा उठाने के लिए जरूरी कदम उठाते हैं। इससे उनको भविष्य में मोटा मुनाफा मिलता है। हर बार यह आसान और ज्यादा मुनाफे वाला होता जाता है। बाजार में गिरावट वह दौर है जब सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट यानी सबसे काबिल व्यक्ति जीतता है की बात लागू होती है। जो पहले झटके से नहीं उबर पाते वे पीछे छूट जाते हैं।