शिवम एक घर खरीदने की योजना बना रहे हैं। जो घर उनको पसंद आया है उसकी वजह से उनका बजट कुछ लाख रुपए बढ़ गया है। वे अपने पसंद के घर पर कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं क्योंकि इसकी खरीदारी जीवन भर के लिए है। लेकिन रकम की कमी को पूरा करने के लिए उनके पास फंड नहीं है। शिवम ने नेशनल पेंशन सिस्टम एनपीएस टियर 1 अकाउंट में निवेश किया है और वे सोच रहे हैं क्या वे इस निवेश का इस्तेमाल कर सकते हैं। आखिरकार यह उनकी रकम है।
पेंशन स्कीम होने की वजह से एनपीएस टियर 1 अकाउंट तभी मैच्योर होता है जब सब्सक्राइबर की उम्र 60 साल हो जाती है। और उस समय भी 60 फीसदी कॉर्पस ही टैक्स फ्री के तौर पर एकमुश्त निकाला जा सकता है। और अगर कुल कॉर्पस की वैल्यू 5 लाख रुपए से कम है तो बाकी 40 फीसदी रकम से एन्युटी प्लान खरीदना जरूरी है। हालांकि सब्सक्राइबर के पास मैच्योरिटी को 75 साल की उम्र तक टालने का ऑप्शन है लेकिन वह सारी रकम 60 साल की उम्र से पहले नहीं टाल सकता।
कुल बाकी 40 फीसदी रकम से एन्युटी प्लान खरीदना जरूरी है। अगर वे समय से पहले अकाउंट बंद करते हैं तो उनको कॉर्पस की कम से कम 80 फीसदी रकम से एन्युटी प्लान खरीदना होगा। ऐसे में शिवम के पास सिर्फ आंशिक निकासी का विकल्प बचता है।
आंशिक निकासी के लिए जरूरी शर्ते
एनपीएस टियर 1 अकाउंट सब्सक्राइबर के 60 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले आंशिक निकासी की अनुमति देता है। लेकिन इसके साथ कुछ शर्ते जुड़ी हैं।
-सब्सक्राइबर ने कम से कम तीन साल की अवधि पूरी की हो।
-स्क्ीम की पूरी अवधि में आंशिक निकासी सिर्फ तीन बार की जा सकती है।
- रकम का इस्तेमाल सिर्फ नीचे दिए गए मकसद के लिए ही किया जा सकता है
-बच्चों की हायर एजुकेशन या उनकी शादी
-रहने के लिए घर खरीदना या घर का निर्माण। सब्सक्राइबर के नाम पर पहले से कोई आवास नहीं होना चाहिए।
-कौशल विकास या खुद को अपडेट करने से जुड़ी गतिविधियों पर खर्च
-अपना वेंचर या स्टार्ट अप स्थापित करना
-सब्सक्राइबर के अपंग या अक्षम हो जाने से मेडिकल या दूसरे खर्च
-कैंसर, किडनी खराब होना, हाइपरटेंशन, मल्टीपल सिरोसिस, किसी अंग का प्रत्यारोपण, हार्ट सर्जर , स्ट्रोकस्ट्रोक, कोमा, पूरी तरह से आंख की रोशनी चली जाना, कोविड- 19 लिसिस और कोई गंभीर या जीवन के लिए खतरनाक दुर्घटना के मामलों में खुद के, पत्नी के, बच्चों या निर्भर माता पिता के इलाज के लिए।
- दो आंशिक निकासी के बीच कम से कम पांच साल का अंतर होना चाहिए। अगर रकम किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए चाहिए तो इस शर्त को हटाया जा सकता है।
- सब्सक्राइर अपने कंट्रीब्यूशन का 25 फीसदी से अधिक रकम नहीं निकाल सकता है।
सबसे आखिरी शर्त निकासी की रकम को सब्सक्राइबर द्वारा किए गए कंट्रीब्यूशन के 25 फीसदी तक सीमित करती है। बहुत से लोग इसे सही तरह नहीं समझ पाते हैं। उनको लगता है कि वे अपने टियर 1 अकाउंट में कुल कॉर्पस की 25 फीसदी रकम निकाल सकते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। एनपीएस अकाउंट में आम तौर पर कंपनी और कर्मचारी दोनों की ओर से कंट्रीब्यूशन आता है। ऑल सिटीजन मॉडल के तहत खोले गए अकाउंट में ऐसा नहीं होता है। नियम के अनुसार आप सिर्फ अपने कंट्रीब्यूशन का 25 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं न कि कुल कॉर्पस का। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लेते हैं कि शिवम ने एनपीएस अकाउंट में 7.5 लाख रुपए जुटाया है। इसमें से उसका कंट्रीब्यूशन 3.75 लाख रुपए है। शिवम ने पिछले पांच साल मे 75,000 रुपए सालाना निवेश किया है। ऐसे में शिवम 3.75 लाख रुपए का सिर्फ 25 फीसदी यानी 93, 750 रुपए ही निकाल सकते हैं। आंशिक निकासी में से मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है।
आंशिक निकासी की प्रक्रिया
पहले, आंशिक निकासी के अनुरोध को नोडल ऑफीसर मंजूरी देते थे। यह मंजूरी बताए गए मकसद के समर्थन में दिए जाने वाले दस्तावेजों के वेरीफिकेशन के बाद दी जाती थी। हालांकि इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को घटाने के लिए और पूरी प्रक्रिया को अधिक सरल बनाने के लिए अब सिर्फ सेल्फ डिक्लेयरेशन के जरिए आंशिक निकासी की जा सकती है। इसके लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है। हम इस प्रक्रिया का स्टेप के आधार पर बता रहे हैं।
- अपने लॉगइन क्रेडेंशियल का इस्तेमाल करते हुए सीआरए वेबसाअट लॉगइन करें।
- ‘ट्रांजैक्ट’ पर जाएं और ‘पार्शियल विद्ड्रॉअल’ सेलेक्ट करें।
- रकम और निकासी की वजह सेलेक्ट करें।
- सेल्फ डिक्लेयरेशन फॉर्म तैयार करें और इस बात का उल्लेख करें कि रकम का इस्तेमाल घोषित की गई वजह के लिए ही किया जाएगा।
- अपना बैंक अकाउंट और कांटैक्ट डिटेल वेरीफाई करें।
- आपके मोबाइल / ईमेल पर भेजी गई ओटीपी का इस्तेमाल करते हुए इसे ऑथेंटिकेट करें।
- आपके द्वारा ऑनलाइन अनुरोध सबमिट करने के बाद पांचवे वर्किंग डे पर बैंक अकाउंट में रकम आ जाएगी।
क्या आपको आंशिक निकासी करनी चाहिए ?
शिवम के सामने जिस तरह के हालात हैं अक्सर लोग इस तरह के हालात का सामना करते हैं। ऐसे में मन करता है कि रिटायरमेंट के लिए की जा रही बचत से कुछ रकम निकाल ली जाए। हालांकि ऐसा तभी करना चाहिए जब आपके पास और कोई उपाय न हो और इस फंड का इस्तेमाल सिर्फ इमरजेंसी में करना चाहिए। रिटायरमेंट एक लंबा दौर होता है। यह दौर दो या तीन दशक तक चलता है। इस दौर में हमारी इनकम बंद हो जाती है और खर्चे व महंगाई बढ़ती रहती है। रिटायरमेंट के लिए की गई बचत को गैर जरूरी तौर पर इस्तेमाल करने से आप आज के सपने पूरे कर सकते हैं लेकिन जीवन के आखिरी दौर में आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर शिवम या किसी और को रिटायरमेंट के लिए की गई बचत का इस्तेमाल घर खरीदने के लिए करना पड़ता है तो इस्तेमाल की गई रकम को जितना जल्द हो सके दोबारा जमा कराया जाना चाहिए। हालांकि तब भी उसे नुकसान होगा क्योंकि कंपाउंडिंग का उतना फायदा नहीं मिल पाएगा जितना रकम न निकालने पर मिलता।