कुछ दिनों पहले मैं एक न्यूज चैनल के डिबेट शो में शामिल हुआ। किसी तरह से डिबेट का टॉपिक यह हो गया कि इक्विटी निवेशकों को छोटे बच्चों की तरह ट्रीट करना चाहिए या नहीं। जाहिर तौर पर यह चॉकलेट या आइसक्रीम के बारे में नहीं था इसके बजाए यह इस बारे में था कि क्या इक्विटी निवेशकों को उनके कदमों के नतीजों से पैदा होने वाले जोखिम से बचाए जाने की जरूरत है।
सेबी ने कुछ नए कदमों का ऐलान किया है। इससे इक्विटी मार्केट के कैश सेगमेंट में मार्जिन ट्रेडिंग खत्म हो जाएगी। हालांकि पांरपरिक ब्रोकरेज इंडस्ट्री ने सेबी ने इस कदम की आलोचना की है। इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि इससे खुदरा निवेशकों की ट्रेडिंग घट जाएगी और यह प्राइस डिस्कवरी और लिक्विडिटी को भी प्रभावित करेगी। इसका सीधा असर ऑफलाइन ब्रोकर्स के बिजनेस वॉल्यूम पर भी पड़ेगा।
बहुत संभव है कि यह सब बातें सच हों। लेकिन यह सबसे अहम फैक्टर नहीं है जिसके आधार पर कोई फैसला लिया जाए। अहम बात यह है कि हाल के कुछ महीनों में खुदरा निवेशकों की इक्विटी ट्रेडिंग में बड़ा उछाल आया है। और इस बात ने सेबी का ध्यान भी आकर्षित किया है। इसमें नए और पुराने दोनों तरह के निवेशक शामिल हैं। कुछ सप्ताह पहले मैंने सेबी चेयरमैन के एक साक्षात्कार का उल्लेख किया था। इस साक्षात्कार में सेबी चेयरमैन ने इक्विटी मार्केट में खुदरा निवेशकों की गतिविधियों में आई तेजी पर चिंता जाहिर की थी। तो मार्जिन ट्रेडिंग खत्म करने के लिए हाल में उठाया गया कदम इक्विटी मार्केट के इसी ट्रेंड के जवाब में है। और कुछ समय से इस पर काम चल रहा था।
व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि यहां पर दो अलग-अलग मुद्दे हैं। एक है इकिवटी निवेश और इक्विटी ट्रेडिंग और दूसरा है लेवरेज। पिछले 25 सालों से निवेशकों से बातचीत करते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि जो लोग सीधे ट्रेडिंग या इक्विटी में निवेश करके रकम बनाने का प्रयास कर रहे हैं उनमें से ज्यादातर लोगों के लिए बुरे अनुभव से सीखने का कोई विकल्प नहीं है। ध्यान देने की बात यह है कि मैं खुद को भी इसी कैटैगरी में रखता हूं।
आप कितनी ही थ्यौरी सीख लें लेकिन जब तक आप आप कुछ बुरे फैसले नहीं लेते और इसकी वजह से नुकसान नहीं उठाते तब तक आप निवेश से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात जान नहीं पाते। जैसे बच्चे खुद से खेलते हैं और घायल होते हैं तभी वे जान पाते हैं कि उनको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। और जब माता पिता बच्चों को जरूरत से ज्यादा ही इन खतरों से बचाने की कोशिश करते हैं तो एक तरह से वे बच्चों का नुकसान करते हैं क्योंकि बच्चे कठिन हालात का सामना किए बिना ही बड़े होते हैं। और इसका नतीजा यह होता है कि ये बच्चे जब बड़े होकर खुद को मुश्किल हालात में पाते हैं तो वे इस तरह के हालात का सामना करने के लिए खुद को तैयार नहीं पाते हैं।
अगर निवेश के लिहाज से देखें तो इसका मतलब है कि आपको कम अवधि में बाजार के उतार चढ़ाव और नुकसान का अनुभव होना चाहिए। लेकिन यह इतना भी नहीं होना चाहिए आप बरबाद हो जाएं और निवेश से तौबा कर लें।
इसका मतलब है कि बहुत ज्यादा नियम कानून और नाकाफी नियम कानून के बीच एक संतुलन की जरूरत है। खुदरा निवेशक जो लेवरेज ले सकते है उस पर अंकुश लगाना सही तरीका है। ब्रोकर्स से रकम उधार लेकर मुनाफा बढ़ाना नए निवेशकों को अपनी ओर खींचने का शानदार तरीका है। बड़ा बनने के लिए कौन मुनाफा नहीं चाहता है ? इस सवाल का जवाब है कि जो इस बात को समझते हैं कि कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है और लेवरेज्ड ट्रेडर्स की सारी रकम गायब हो सकती है। और जो लेवरेज्ड ट्रेडर्स नहीं हैं उनको भी नुकसान होता है लेकिन ज्यादा नहीं। यह उनको सबक देने के लिए काफी होता है लेकिन सबक इतना महंगा भी न हो कि वे निवेश की दुनिया से बाहर हो जाएं।
यह बताता है कि नियम कानून का लक्ष्य क्या होना चाहिए। लगभग हर कोई जो इक्विटी मार्केट में निवेश की शुरूआत करता है उसकी शुरूआत कम अवधि के ट्रेडर के तौर पर होती है। इसके बाद कुछ गलत फैसलों का नुकसान उठाते हुए और सीखते हुए वह निवेश के बेहतर तौर तरीकों को जान पाता है।