जब भी इक्विटी मार्केट कमजोर होता है तो SIP पर शक करने वालों की संख्या बढ़ जाती है। या ज्यादा लोग SIP के खिलाफ तर्क देने लगते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान SIP में निवेश करने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। तो इस पर शक करने वाले भी बढ़े हैं। उम्मीद है कि समय के साथ म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले ज्यादातर लोगों की SIP को लेकर समझ बेहतर होगी और वे इसे स्वीकार कर लेंगे। SIP कैसे काम करती है यह समझना बहुत आसान है लेकिन इसके बावजूद SIP के जरिए निवेश के तरीके को लेकर लोगों के दिमाग में ऐसी बाते हैं जो सच नहीं हैं।
मौके का फायदा उठाने का माइंडसेट
वैल्यू रिसर्च में मेरे पास निवेशकों के SIP से जुड़े तमाम सवाल आते हैं। इन सवाल से पता चलता है कि निवेशकों के दिमाग में SIP को लेकर कितनी गलतफहमी है। जैसे एक निवेशक का सवाल था कि उम्मीद है कि बाजार अभी कमजोर बना रहेगा। ऐसे में क्या मुझे तब तक के लिए SIP रोक देनी चाहिए। यह एक उदाहरण है। ऐसे लोग जो जुआ खेलने के माइंडसेट से निवेश करते हैं वे बाजार गिरने पर SIP की किश्त बंद करने का प्रयास करते हैं या ऐसे समय निवेश करने का प्रयास करते हैं जब बाजार निचले स्तर पर हो, जिससे बाजार में तेजी आने पर इसका फायदा उठा सकें।
2010 में इक्विटी में किया गया निवेश बड़ी गिरावट से उबर ही रहा था तभी निवेशकों ने दावा करना शुरू कर दिया कि SIP किसी काम की नहीं है और इससे कुछ खास रिटर्न नहीं मिला है। हालांकि यह सच नहीं था। सच यह है कि 2008 में बाजार में बड़ी गिरावट के बाद बहुत से लोगों ने SIP बंद कर दी थी और 2009 में बाजार की रिकवरी के बाद फिर से SIP शुरू की। ऐसे लोगों को अच्छा रिटर्न नहीं मिला।
आम तौर पर इक्विटी मार्केट में गिरावट होने पर ऐसा ही होता है। SIP की जरूरत इसलिए है कि आम तौर पर इक्विटी मार्केट बढ़त की ओर होता है। लेकिन इसके उतार- चढ़ाव का सही अनुमान लगाना संभव नहीं है। आपको निवेश के लिए सही समय का इंतजार करने के बजाए नियमित तौर पर एक तय रकम निवेश करनी चाहिए। समय के साथ NAV और बाजार की कीमत में उतार-चढ़ाव आता है। कीमत कम होने पर आप ज्यादा शेयर या यूनिट खरीद पाएंगे।
और जब आप अपना निवेश बेचना चाहोगे तो सभी यूनिट की कीमतें समान होंगी। इस तरह से गिरावट वजह से कीमत कम होने पर आपने ज्यादा यूनिट खरीदीं थी ऐसे में आपका रिटर्न ज्यादा होगा। अगर आप या बाजार में गिरावट के समय निवेश बंद कर देते हैं तो ज्यादा रिटर्न हासिल करने का मौका गंवा देते हैं।
SIP इसी तरह से काम करती है। किसी भी निवेशक को SIP के मूल विचार के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। SIP तभी सही तरीके से काम कर पाएगी जब आप गिरावट के समय निवेश जारी रखेंगे और बाजार में निवेश का सही समय आने का इंतजार नहीं करेंगे।
इक्विटी में गिरावट यानी संकट
किसी भी बचत करने वाले के लिए बड़ी समस्या यह नहीं है कि निवेश कहां करें। समस्या यह है कि लोग अचानक निवेश शुरू करते हैं और इक्विटी मार्केट गिरने पर निवेश बंद कर देते हैं। लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि इक्विटी की गिरती कीमतों को मीडिया में संकट की तरह पेश किया जाता है। जब आप कुछ खरीदने जाते हैं तो आप अपनी पसंदीदा चीज कम से कम कीमत में खरीदना चाहते हैं। तो आपको इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए भी यही रवैया अपनाना चाहिए।
SIP में निवेश के दो लक्ष्य हैं। पहला यह सुनिश्चित करना कि निवेश नियमित तौर पर हो। और दूसरा, बाजार में गिरावट आने पर निवेश बंद न हो। शानदार रिटर्न हासिल करने के लिए ये दोनों लक्ष्य हासिल करना आपके लिए जरूरी है।