घर खरीद लिया ? या घर कब खरीद रह हो ? जल्द कैरियर शुरू करने वाले या शादी कर चुके युवाओं से यह सवाल अक्सर उनकी जान पहचान के लोग या रिश्तेदार पूछते रहते हैं। अपना घर खरीदना बहुत अच्छी बात है लेकिन निवेश के तौर पर घर खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है।
विकसित देशों में आप घर किराए पर देकर अच्छी आय हासिल कर सकते हैं। लेकिन भारत में आवासीय प्रॉपर्टी से रेंट के तौर पर बहुत कम आय होती है। यहां तक मेट्रो शहरों में भी रेंटल यील्ड आम तौर पर 2-3 फीसदी से ज्यादा नहीं होती है। घर की बाजार की कीमत और इससे मिलने वाले सालाना रेंट के अनुपात के आधार पर रेंटल यील्ड तय होता है। जैसे घर की कीमत 1 करोड़ रुपए है और आपको इस घर से किराए के तौर पर सालाना 3 लाख रुपए मिल रहे हैं। तो रेंटल यील्ड 3 फीसदी हुई। बहुत से लोगों को यह भ्रम है कि प्रॉपर्टी मार्केट में कीमतें बढ़ रही हैं। ऐसे में घर में निवेश करने से उनकी पूंजी काफी तेजी से बढ़ सकती है। ऐसे लोगों को किसी ने बताया होता है कि 50 साल में उनकी प्रॉपर्टी की कीमत गुना बढ़ गई। अगर आप इसे सालाना रिटर्न के हिसाब से कैलकुलेट करें तो पता चलेगा कि यह सालाना 7 फीसदी ही है। और अगर आप होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज को भी जोड़ लें तो यह रिटर्न नेगेटिव भी हो सकता है।
आवासीय प्रॉपर्टी यानी घर निवेश के लिहाज से उतना फायदेमंद भले ही न हो लेकिन रहने के लिए घर खरीदना एक अलग बात है। अगर आप होम लोन लेकर घर खरीदते हैं तो आपको टैक्स बेनेफिट मिलता है। इसके अलावा घर खरीद कर आप रेंट की रकम भी बचा सकते हैं। यानी रहने के लिए घर खरीदना कुल मिला कर अच्छा फैसला है। अगर आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको 5 प्वाइंट को ध्यान में रखना चाहिए। इससे आपका घर खरीदने का सफर और आगे की जिंदगी आसान हो जाएगी।
1-होम लोन उतना ही लें जितना आसानी से चुका सकें
होम लोन लेकर घर खरीदने का फैसला आपका सबसे बड़ा वित्तीय फैसला हो सकता है। ऐसे में आपको उतना ही होम लोन लेना चाहिए जितना आप आसानी से चुका सकें। इसका एक आसान उपाय है। आपकी होम लोन ईएमआई आपके मासिक आय का 30 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। आप जब यह तय करने बैठें कि आपको होम लोन के तौर पर कितनी रकम की जरूरत है तो आप इसमें स्टांप ड्यूटी, नगर निगम या नगरपालिक को किए जाने वाले भुगतान और इंटीरियर पर आने वाली लागत भी इसमें जोड़ना न भूलें। अगर आपके सपनों के घर की लागत आपके बजट से बाहर जा रही है तो अपने सपनों के घर की लागत को कम कर दें।
2- डाउनपेमेंट के लिए बनाएं प्लान
डाउनपेमेंट की रकम आम तौर पर प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 20 फीसदी होती है। लेकिन अक्सर घर खरीदने के लिए इस रकम का इंतजाम करना ही एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में अगर आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो कम से कम पांच साल पहले से इसके लिए निवेश करना शुरू कर दें। आपकी सेविंग इस तरह से होनी चाहिए कि आप कम से कम घर की कीमत के 25 फीसदी रकम का इंतजाम डाउनपेमेंट के तौर पर कर सकें। और अगर अगले पांच साल तक डाउनपेमेंट के लिए निवेश करना है तो पांच साल में घर की कीमत बढ़ने का भी हिसाब लगा लें।
3- म्युचुअल फंड में करें निवेश
अगर आपके पास घर खरीदने के लिए पांच साल से अधिक का समय है तो आप डाउनपेमेंट की रकम का इंतजाम करने के लिए मल्टी कैप फंड में निवेश कर सकते हैं। और अगर आपके पास पांच साल से कम समय है तो आप अग्रेसिव हाइब्रिड, कंजरवेटिव हाइब्रिड या इक्विटी सेविंग फंड में निवेश पर विचार कर सकते हैं। आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार इन कैटेगरीज में से कोई कैटेगरी चुन सकते हैं।
4- तय करें लोकेशन
आपको घर खरीदने से पहले यह तय करना होगा कि आप भविष्य में कहां रहेंगे। अगर आपका और आपके पार्टनर का कैरियर सेट है और आप यह तय कर चुके हैं कि आपको उसी शहर में रहना है जहां आप घर खरीद रहे हैं तो यह अच्छा कदम है। क्योंकि किसी और शहर में घर किराए पर लेना और होम लोन की ईएमआई भी चुकाना आपके लिए बहुत महंगा पड़ सकता है। हालांकि सिर्फ निवेश के लिए घर खरीदना खास फायदेमंद नहीं है। लेकिन आपको प्रॉपर्टी से कितना रिटर्न मिलेगा इसमें लोकेशन की सबसे अहम भूमिका होगी। चाहे रेंटल इनकम की बात हो, घर की कीमत बढ़ने की बात हो या जरूरत पड़ने पर खरीदार मिलने की बात हो। इन सब बातों में लोकेशन बहुत अहम हो जाती है।
5- होम लोन का कराएं बीमा
आपको होम लोन का बीमा जरूर कराना चाहिए। इसके लिए आप ऑलाइन टर्म प्लान ले सकते हैं। यह होम लोन लेने के साथ ही आपके बकाया होम लोन को कवर कर लेगा। किसी तरह की अनहोनी होने पर आपकी पत्नी या नॉमिनी को बकाया होम लोन की रकम के बराबर डेथ बेनेफिट मिलेगा। इस रकम से लोन चुका कर वे होम लोन ईएमआई के बोझ से मुक्त हो जाएंगे।
अपना घर खरीदने की चाहत ज्यादातर लोग रखते हैं। अपनी इस चाहत को पूरा करने की जल्दबाजी में एक गलती से हमेशा बचें। अगर आप अपने खरीदे जाने वाले घर में रहने नहीं जा रहे हैं और आपको किराए पर ही रहना है तो यह आपकी बड़ी गलती साबित हो सकती है। क्योंकि आप एक तरह तो किराया देंगे दूसूरी तरह आपको होम लोन ईएमआई भी चुकानी होगी। भारत का प्रॉपर्टी मार्केट कुछ ऐसा है कि वह आम तौर पर खरीदार के हितों के खिलाफ ही काम करता है। डेवलपर घर समय पर तैयार करके देने की बात हो, या कंस्ट्रक्शन की गुणवत्ता की बात हो या दूसरे मुद्दे डेवलपर को जवाबदेह ठहराना आसान नहीं होता है। इसके अलावा अपने चुने हुए समय और कीमत पर घर बेचना बहुत मुश्किल होता है। आर्थिक सुस्ती के दौर में आम तौर पर प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री बहुत कम हो जाती है। हाल में सरकार ने काले धन की रोक थाम के लिए कदम उठाएं हैं। इसके अलावा डेवलपर्स की मनमानी रोकने के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट भी लागू किया गया है। ऐसे में अब रियल एस्टेट में निवेश के जरिए बहुत ज्यादा रिटर्न अब बीते दिनों की बात हो गई है।