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फिक्‍स्ड इनकम में ज्‍यादा और इक्विटी में कम निवेश

संजय ने फिक्‍स्ड इनकम में बहुत ज्‍यादा निवेश किया है। उनको यहां से पैसा निकाल कर इक्विटी में निवेश करना चाहिए जिससे वे रिटायरमेंट के लिए जरूरी कॉर्पस बना सकें

फिक्‍स्ड इनकम में ज्‍यादा और इक्विटी में कम निवेश

संजय की उम्र 45 साल है और वे एक आईटी कंपनी में प्रोजेक्‍ट मैनेजर हैं। उनकी मंथली सैलरी 1.2 लाख रुपए है। वे अपने घर में पैरेंट्स के साथ रहते हैं। संजय के पैरेंट्स वित्‍तीय तौर पर आत्‍मनिर्भर हैं। संजय की वाइफ की उम्र 41 साल है और वे हाउस वाइफ हैं। संजय ने फिक्‍स्ड डिपॉजिट, पोस्‍ट ऑफिस मंथली इनकम स्‍कीम, पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी और म्‍युचुअल फंड में निवेश किया है। उनका एक बड़ा गोल रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लायक कॉर्पस तैयार करन है। हम संजय के लिए फाइनेंशियल प्‍लान पेश कर रहे हैं।

इमरजेंसी फंड
कम से कम छह माह के खर्च की रकम के बराबर इमरजेंसी फंड मेनटेन करना जरूरी है। यह मुश्किल समय में आपकी मदद करता है और अचानक रकम की जरूरत पड़ने आप इसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इमरजेंसी फंड रहने से आपकी बाकी सेविंग बची रहती है और आपके फाइनेंशियल प्‍लान पर कोई असर नहीं पड़ता है। संजय का मंथली खर्च 51,000 रुपए है। ऐसे में उनको कम से कम 3 लाख रुपए का इमरजेंसी फंड रखना चाहिए। वे यह रकम स्‍वीप इन एफडी और शार्ट ड्यूरेशन डेट फंड के कांबीनेशन में रख सकते हैं। इससे उनको लिक्विडिटी पर समझौता किए बिना ज्‍यादा रिटर्न हासिल करने में मदद मिलेगी। वे फिक्‍स्ड डिपॉजिट से थोड़ी रकम निकाल कर इमरजेंसी फंड बना सकते हैं।
क्‍या करें: 3 लाख रुपए का इमरजेंसी फंड बनाएं
हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस
हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस के लिए संजय कंपनी की ओर से मुहैया कराए गए 14 लाख रुपए के हेल्‍थ कवर पर निर्भर हैं। इस कवर में उनकी वाइफ और पैरेंट्स भी कवर हैं। कंपनी की ओर से मुहैया कराया गया हेल्‍थ कवर आपके रिजाइन करने पर प्रभावी नहीं रह जाता है। और प्राइवेट सेक्‍टर में लोग अक्‍सर बेहतर पैकेज और बेहतर संभावनाओं के लिए नौकरी बदलते रहते हैं। तो अगर कोई सिर्फ कंपनी के हेल्‍थ कवर पर ही निर्भर है तो वह एक नौकरी से रिजाइन करने और दूसरी नौकरी ज्‍वाइन करने के बीच एक तरह से बिना हेल्‍थ कवर के रह जाता है। अगर इस अवधि में उसे मेडिकल इमरजेंसी का सामना करना पड़ जाए तो उसे सारा खर्च खुद से उठाना पड़ेगा। इसके अलावा इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि नई कंपनी एम्‍पलाई को उसी तरह का हेल्‍थ कवर मुहैया कराएगी जैसा पुरानी कंपनी ने दिया था।
ऐसे में संजय को 3 से 5 लाख रुपए का एक अलग हेल्‍थ कवर लेना होगा। इस कवर में वे खुद और उनकी वाइफ कवर होंगी। 5 लाख रुपए के हेल्‍थ कवर के लिए संजय को सालाना 14,000 -16,000 रुपए तक प्रीमियम देना होगा। उनको अपने पैरेंट्स के लिए सीनियर सिटीजन हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान भी खरीदना चाहिए।
क्‍या करें: कंपनी के अलावा एक अलग हेल्‍थ कवर खरीदें
लाइफ इन्‍श्‍योरेंस
संजय के पास एलआईसी की तीन पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी हैं। ये तीन पॉलिसी अलग अलग समय यानी 2021, 2023 और 2031 में मैच्‍योर हो रही हैं। उनका अनुमान है कि 2031 में मैच्‍योर होने वाली पॉलिसी से बोनस के अलावा लगभग 24 लाख रुपए मिलेगा। इसके अलावा बाकी दोनों पॉलिसी से मैच्‍योरिटी पर 1-1 लाख रुपए मिलेगा। संजय ने ये पॉलिसी निवेश के तौर पर खरीदी हैं।
निवेश के लिए इन्‍श्‍योरेंस खरीदना कभी भी सही नहीं होता है। पांरपरिक जीवन बीमा प्‍लान हाइब्रिड प्रोडक्‍ट होते हैं। इनमें लाइफ इन्‍श्‍योरेंस और निवेश दोनों कंपोनेंट होते हैं। ऐसी पॉलिसी में लागत अधिक और इन्‍श्‍योरेंस बहुत कम होता है। इस तरह की पॉलिसी निवेश के लिहाज से भी अच्‍छी नहीं होती हैं क्‍योंकि ये बहुत कम रिटर्न देती हैं।

संजय को पांरपरिक बीमा पॉलिसी को सरेंडर करके मिलने वाली रकम को म्‍युचुअल फंड में लगाने पर विचार करना चाहिए। म्‍युचुअल फंड से उनको बेहतर रिटर्न मिलेगा। एक इक्विटी फंड लंबी अवधि में सालाना 12 फीसदी रिटर्न दे सकता है। 2021 में मैच्‍योर हो रही पॉलिसी का सरेंडर चार्ज बहुत ज्‍यादा होगा क्‍योंकि इसके मैच्‍योर होने में सिर्फ तीन साल बचे हैं। संजय को इसके बारे में पता करना चाहिए और यह हिसाब लगाना चाहिए कि पॉलिसी को सरेंडर करना फायदेमंद होगा या नहीं।
संजय की वाइफ उन पर वित्‍तीय रूप से निर्भर हैं। ऐसे में संजय को लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कवर खरीदना चाहिए। संजय को कम से कम 50 लाख रुपए के सम एश्‍योर्ड वाला टर्म प्‍लान लेना चाहिए। पांरपरिक जीवन बीमा के विपरीत टर्म प्‍लान सिर्फ डेथ बेनेफिट देता है। इसमें कोई सरवाइवल बेनेफिट नहीं होता है। यानी अगर पॉलिसी होल्‍डर पॉलिसी की अवधि तक जीवित रहता है तो उसे कोई कुछ भी नहीं मिलता है। ऐसे में यह सस्‍ता पड़ता है। संजय को 50 लाख रुपए कवर वाला टर्म प्‍लान 9,000-11,000 रुपए सालाना प्रीमियम में मिल जाएगा।
क्‍या करें : पांरपरिक जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर को रकम म्‍युचुअल फंड में लगाएं
रिटायरमेंट
अगर महंगाई दर 8 फीसदी मान लें तो रिटायरमेंट तक संजय का मंथली खर्च बढ़ कर 1.62 लाख रुपए हो जाएगा। रिटायरमेंट के बाद के सालों के लिए भी अगर महंगाई दर 8 फीसदी मान लें और रिटर्न 9 फीसदी मान लें तो संजय को रिटायरमेंट के बाद मौजूदा लाइफस्‍टाइल को मेनटेन करन के लिए 4.96 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। 4.96 करोड़ रुपए का रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने में संजय को कोई दिक्‍कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसके लिए उनको अपने फाइनेंशियल प्‍लान में कुछ बदलाव करने होंगे।
सबसे पहले संजय को फिक्‍स्ड डिपॉजिट में जमा 36 लाख रुपए निकाल कर इक्विटी फंड में लगाना होगा। एफडी में कम रिटर्न मिलता है और यह टैक्‍स बचाने के लिहाज से भी अच्‍छा ऑप्‍शन नहीं है। इसी तरह से उनको पोस्‍ट ऑफिस मंथली इनकम स्‍कीम में जमा 3.5 लाख रुपए की रकम को निकाल कर इक्विटी फंड में लगाना होगा। इतनी बड़ी रकम फिक्‍स्ड इनकम में लगाने का कोई मतलब नहीं है खास कर तब जब आपको इस रकम की जरूरत 15 साल बाद होगी। इक्विटी से संजय को लंबी अवधि में ऊंचा रिटर्न हासिल करने में मदद मिलेगी।
लेकिन संजय को पूरी रकम एक बार में इक्विटी फंड में निवेश नहीं करना चाहिए। इसके बजाए उनको यह रकम सिस्‍टमेटिक ट्रांसफर प्‍लान के जरिए सिस्‍टमेटिक तरीके से दो या तीन साल में निवेश करनी चाहिए। सिस्‍टमेटिक तरीके से निवेश करने पर पूरी रकम बाजार के उच्‍चतम स्‍तर पर रहते हुए निवेश होने का खतरा कम हो जाता है। और सिस्‍टमेटिक ट्रांसफर प्‍लान के जरिए निवेश करते हुए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सोर्स फंड और टारगेट फंड एक ही फंड हाउस के होने चाहिए। सोर्स फंड शार्ट ड्यूरेशन फंड होगा और टारगेट फंड यानी जहां पैसा निवेश किया जाना है वह इक्विटी फंड होगा।
इसके अलावा संजय ने हाल में हर माह 32,000 रुपए इक्विटी फंड में निवेश करना शुरू किया है। उनको मंथली निवेश में सालाना 10 फीसदी इजाफा करना चाहिए। इन कदमों के साथ 12 फीसदी सालाना अनुमानित रिटर्न के साथ संजय अपने रिटायरमेंट के लिए 4.48 करोड़ रुपए का कॉर्पस बना सकते हैं। बाकी रकम वे ईपीएफ कंट्रीब्‍यूशन से जमा कर सकते हैं। इसके विकल्‍प के तौर पर वे इक्विटी फंड में अलग से 6,500 रुपए की एसआईपी शुरू कर सकते हैं और एसआईपी की रकम सालाना 10 फीसदी बढ़ाते रहें। एक अलग एसआईपी शुरू करने के लिए संजय के पास सरप्‍लस है।
क्‍या करें: फिक्‍स्ड डिपॉजिट से पैसा निकाल कर इक्विटी म्‍युचुअल फंड में लगाएं
फंड
संजय के म्‍युचुअल फंड पोर्टफोलियो में पांच इक्विटी स्‍कीम शामिल हैं। इसमें एक टैक्‍स सेवर स्‍कीम भी है। उनके सभी फंड उच्‍च गुणवत्‍ता वाले हैं। लेकिन उन्‍होंने ज्‍यादातर फंड लार्ज कैप के चुने हैं। संजय का रिटायरमेंट 15 साल दूर है। ऐसे में उनके लिए मल्‍टी कैप फंड में निवेश करना ज्‍यादा फायदेमंद होगा। ये फंड सभी आकार की कंपनियों के स्‍टॉक में निवेश करते हैं। ऐसे में किसी भी मार्केट सेगमेंट के अच्‍छे प्रदर्शन का फायदा इन फंडों को मिलता है। वहीं लार्ज फंड स्‍कीम वाले फंडों को कम से कम 80 फीसदी रकम लार्ज कैप स्‍टॉक्‍स में निवेश करना होता है।
क्‍या करे: मल्‍टी कैप फंडों में निवेश करें
इन बातों का रखें ध्‍यान
1- हमेशा इमरजेंसी फंड मेनटेन करें। इमरजेंसी फंड छह माह के खर्च के बराबर रकम का होना चाहिए।
2- इन्‍श्‍योरेंस और इन्‍वेस्‍टमेंट को मिक्‍स न करें।
3- लाइफ इन्‍श्‍योरेंस के लिए टर्म प्‍लान बेस्‍ट हैं। टर्म प्‍लान कम प्रीमियम में वित्‍तीय सुरक्षा की जरूरत पूरी करते हैं। पांरपरिक जीवन बीमा पॉलिसी और यूलिप्‍स प्‍लान से बचें।
4- कंपनी के हेल्‍थ कवर के अलावा अलग से हेल्‍थ कवर खरीदें।
5- लंबी अवधि के निवेश के लिए इक्विटी में निवेश करें। लंबी अवधि में फिक्‍स्ड इनकम में निवेश से रिटर्न का नुकसान उठाना पड़ेगा।
6- इक्विटी में एकमुश्‍त निवेश न करें। इसके बजाए सिस्‍टमेटिक ट्रासफर प्‍लान के जरिए एकमुश्‍त रकम को एक तय अवधि में ट्रांसफर करें। एसटीपी की अवधि इस बात से तय होनी चाहिए कि यह रकम आपके लिए कितनी अहम है। लेकिन यह अवधि तीन साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
7- इक्विटी फंडों में मल्‍टी कैप फंड बेस्‍ट ऑप्‍शन हैं। ये सभी तरह के मार्केट कैप में निवेश कर सकते हैं और छोटी बड़ी हर आकार की कंपनियों से फायदा उठा सकते हैं।


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