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अपनी बचत और निवेश को एक बड़ी रक़म के तौर पर देखना भविष्य के लिए तैयारी करने का कोई अच्छा तरीक़ा नहीं

How to make a financial SMART goal: वित्तीय लक्ष्य कैसे तय किए जाते हैं

ऐसे लोगों को ढूंढना मुश्किल नहीं जिन्होंने काफ़ी बचत और निवेश किया है, लेकिन फिर भी अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अक्सर, इसका कारण ये होता है कि वे वास्तव में निवेश नहीं कर रहे थे, बल्कि बस किसी न किसी चीज़ में पैसा लगा रहे थे. ये दुनिया की सबसे स्पष्ट सीधी बात लग सकती है, लेकिन निवेश का असली उद्देश्य निवेश करना नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल करना है.

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मुश्किल ये है कि जब तक निवेश का लक्ष्य सही तरीक़े से तय नहीं होता, तब तक किसी भी व्यवस्थित तरीक़े से निवेश करना मुश्किल होगा. ऐसा करने के लिए आपको भविष्य का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होने की ज़रूरत नहीं . आपको बस अपने जीवन के स्पष्ट वित्तीय लक्ष्यों के बारे में सही अनुमान लगाना होगा.

तो, आपके निवेश के वित्तीय लक्ष्य असल में क्या हैं? ये 'बहुत सारा पैसा कमाना' जैसा कुछ ढीला-ढाला नहीं है. ये कुछ ज़्यादा सटीक होना चाहिए. इसमें ख़ास चीज़ें शामिल हैं जिन्हें आप भविष्य में करना चाहते हैं और हरेक के लिए वित्तीय योजना बनाते हैं. तभी हम इस बारे में सवालों के जवाब दे सकते हैं कि हमें किस तरह के निवेश की ज़रूरत है. यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं: आपको छह साल बाद अपनी बेटी की उच्च शिक्षा के लिए पैसे की ज़रूरत होगी. आप अब से लगभग 10 साल बाद एक घर ख़रीदना चाहेंगे. आप चाहेंगे कि आपके पास हमेशा इमरजेंसी के लिए ₹5 लाख मौजूद रहें. आप 18 साल में रिटायर हो जाएंगे और आप उसके बाद अपनी जीवनशैली को क़ायम रखना चाहेंगे.

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ज़रूरतों के इस तरह के साफ़ और स्पष्ट विवरण के बिना, निवेश के अच्छे विकल्प चुनना मुश्किल है. कोई व्यक्ति बेतरतीब ढंग से ये कह सकता है, "मुझे पांच साल बाद ₹1 करोड़ चाहिए." मान लीजिए कि आप पांच साल में उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए ज़रूरी रकम का निवेश नहीं कर सकते. सटीक लक्ष्य के बिना, आप हमेशा पीछे हट सकते हैं. क्या ₹90 लाख ठीक रहेंगे? पांच साल के बजाय सात साल? अभी के बजाय अगले साल शुरू करने के बारे में क्या ख़याल है? सब कुछ भूलकर नया iPhone ख़रीदने के बारे में क्या?

लेकिन, एक सटीक लक्ष्य के साथ, ऐसा विकल्प स्पष्ट होता है. अगर आप किसी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो ये आम तौर पर स्पष्ट है कि आप नहीं पहुंच सकते हैं और आपको क्या करने की ज़रूरत है. जब लक्ष्य बहुत सटीक होते हैं, तो आपको जो रिटर्न चाहिए और आप हरेक में जो बदलाव कर सकते हैं, वो स्पष्ट हो जाता है.

सबसे महत्वपूर्ण बात, ये भी स्पष्ट हो जाता है कि इनमें से हरेक लक्ष्य के लिए निवेश का एक सेट होना चाहिए जो इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ख़ासतौर पर चुना गया हो. दूसरे शब्दों में, हमारे पास अलग-अलग लक्ष्यों के लिए अलग-अलग पोर्टफ़ोलियो होने चाहिए. आजकल, हम आमतौर पर इस शब्द 'पोर्टफ़ोलियो' का इस्तेमाल उन सभी निवेशों और परिसंपत्तियों के लिए करते हैं जो किसी व्यक्ति या परिवार के पास होती हैं. ये एक समस्या वाली बात है. अलग-अलग लक्ष्यों के लिए अलग-अलग पोर्टफ़ोलियो रखना कहीं ज़्यादा उपयोगी है यानी निवेशों का एक सेट जो एक ख़ास वित्तीय लक्ष्य के लिए होता है. अगर आपको लगता है कि इसे ट्रैक करना मुश्किल है, तो वैल्यू रिसर्च धनक पर मुफ़्त पोर्टफ़ोलियो मैनेजर एक बेहतरीन टूल है.

अलग-अलग पोर्टफ़ोलियो बनाने का ये तरीक़ा असल में काफ़ी हद तक वैसा ही है जैसा कई गृहिणियां हमेशा करती आई हैं. मेरी एक रिश्तेदार थीं, एक बुज़ुर्ग महिला, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अपने परिवार का पैसा इसी तरह संभाला और चलाया. उनके पास हाथ से सिले हुए कपड़े के कई बैग थे, जिनके गले में पायजामे जैसी एक डोरी बंधी होती थी. हर बैग एक अलग 'बजटीय हेड' था. जब उनका पति वेतन घर लाता, तो वो सब्ज़ी की थैली, दूध की थैली, नौकरों की थैली, धोबी की थैली वगैरह में गिन कर सही मात्रा में पैसे रख देतीं. ये तरीक़ा बहुत कारगर रहा.

मैं आपसे अपनी बचत और निवेश के साथ बस इतना ही करने के लिए कह रहा हूं. हर लक्ष्य के लिए एक अलग वित्तीय योजना की ज़रूरत होती है. बैग को व्यवस्थित करने के लिए केवल तीन इनपुट की ज़रूरत है. एक है रक़म, दूसरा है कब इसकी ज़रूरत है और तीसरा है कि क्या उस लक्ष्य की तारीख़ या लक्ष्य की रक़म में कोई छूट ली जा सकती है. आपातकालीन बैग की तत्काल वाली अवधि की श्रेणी से लेकर, रिटायरमेंट फ़ंड के लिए 20 या 30 साल तक की अवधि हो सकती है. समय के साथ उतार-चढ़ाव बनाम संभावित रिटर्न का एक सरल स्लाइडिंग स्केल है. मोटे तौर पर, कोई व्यक्ति समय के पैमाने को तत्काल के एक साल, फिर एक साल से लेकर पांच साल, और उसके बाद पांच से ज़्यादा के निवेशों में बांट सकता है. हरेक के लिए एक अलग नज़रिया, अलग निवेश का प्रकार और निवेश को मिलाजुला कर करने की ज़रूरत होती है. मोटे तौर पर, निवेश की अवधि जितनी छोटी होगी, उतना ही ऐसे एसेट टाइप की ओर झुकाव होगा जिनमें उतार-चढ़ाव कम हों, लेकिन ऐसा कम रिटर्न की क़ीमत पर होगा. लंबी अवधि के लिए, ये ठीक उलटा होगा.

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नोटः ये लेख सबसे पहले 9 मई 2018 को वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन पर पब्लिश हुआ था.


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