मेरी निवेश यात्रा

अनुशासन अमीर होने का मंत्र है

विजय अठले की कहानी हमें दिखाती है कि हर सेटबैक एक मौका है कुछ सीखने का।

अनुशासन अमीर होने का मंत्र है

भोपाल के रहने वाले विजय अठले को एक साहसी निवेशक कहना गलत नहीं होगा। साहसी इसलिए क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कई मानसिक लड़ाइयां जीती हैं, जो अक्सर एक इंसान को तोड़ देती हैं। विजय ने वो दौर देखा जब उनके पिता के रिटायरमेंट का सारा पैसा इक्विटी में डूब गया। उनके लिए इससे भी मुश्किल वक्त वो था जब कई सौ शेयर सर्टिफ़िकेट रद्दी में बेचे गए। मगर कहते हैं कि भाग्य, साहसी का साथ देता है। 2013 में विजय के निजी पोर्टफ़ोलियो ने ₹ 1 करोड़ का आंकड़ा छू लिया। आज वो हर महीने ₹50,000 का सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) कर रहे हैं, और म्यूचुअल फ़ंड्स के ज़बर्दस्त अंबैसडर कहे जाएंगे।

मुश्किलों का दौर
विजय के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। विजय ने 1997 में पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, और ठीक इसके अपना पेस्ट-कंट्रोल का अपना बिज़नस शुरु कर दिया। उस वक्त को याद करते हुए विजय कहते हैं, “बचपने में, मुझे निवेश की या बचत की कोई समझ नहीं थी। हमारी पढ़ाई के खर्च की वजह से मेरे माता-पिता कोई बचत नहीं कर सके। मेरे पिता को बचत के तौर पर पैसा उनके जीवन में पहली बार, रिटायरमेंट बेनिफ़िट के तौर पर ही मिला। इस पैसे से उन्होंने उस वक्त के तकरीबन हर आईपीओ के लिए अप्लाई किया। बदकिस्मती से उन्होंने अपने रिटायरमेंट का सारा पैसा गंवा दिया, और बाद में उन्हें अपने कई सौ शेयर के सर्टिफ़िकेट रद्दी में ₹5 किलो के हिसाब से बेचने पड़े।”

ऐसा नहीं है कि विजय के पिता, के. एल. अठले को हमेशा ही खराब कंपनियों में अलॉटमेंट मिला। मगर एक अच्छी कंपनी को समझने के टूल्स, और जानकारी के माध्यमों की कमी के कारण वो अच्छी कंपनियों के शेयर ज़्यादा देर तक अपने पास नहीं रख सके। उन्हें इन्फ़ोसेस के ओरिजनल आईपीओ में अलॉटमेंट मिला था, मगर जैसे ही उनका प्राइस बढ़ा उन्होंने बेच दिया। इसी तरह विजय के भाई को टाटा इलेक्सी के शेयर अलॉट हुए, मगर उन्होंने एक कलर टीवी लेने के लिए इसे बेच दिया।

पहला निवेश और वैल्यू रिसर्च
शुरुआती दिनों में ही विजय ने बचत की अहमियत समझ ली। पेस्ट-कंट्रोल बिज़नस काफ़ी प्रतिस्पर्धा और अनिश्चितता से भरा है। इसी के चलते विजय ने ज़मीन का एक टुकड़ा भी खरीदा। वो कहते हैं, “मुझे ये एहसास हुआ कि अनिश्चितता से बचने के लिए, सिर्फ़ पैसा ही नहीं बचाना है, निवेश भी करना है। इसलिए शुरु से ही मेरा ज़ोर पैसे के निवेश पर रहा। और क्योंकि मैंने अपने पिता को इक्विटी में अपना पैसा गंवाते हुए देखा था, तो मेरे लिए जो दूसरा विकल्प बचता था, वो था रियल इस्टेट।”

वो 1990 का मध्य था, जब विजय ने इक्विटी से जुड़े दो निवेश किए। पहला निवेश था टैक्स-सेविंग स्कीम में, जो कोठारी पायोनियर म्यूचुअल फ़ंड की थी। इस निवेश ने उन्हें कई गुना फ़ायदा दिया। इसी दौरान उन्होंने एसीसी और स्टरलाईट इंडस्ट्रीज़ के सौ-सौ शेयर खरीदे, जिनकी कुल कीमत ₹1 लाख थी। लेकिन बदकिस्मती ये रही कि उन्होंने दोनों ही शेयर, कुछ साल बाद तकरीबन उसी प्राइस पर बेच दिए।

सन् 2004 में विजय को ये एहसास हुआ कि ज़मीन खरीदना अच्छा निवेश नहीं है, और उन्हें लगा कि अगर आपको कम समय में पैसा चाहिए तो आप इसपर भरोसा नहीं कर सकते। इसके अलावा, अगर आपको थोड़े पैसों की ही ज़रूरत है, तो आपको सारी ज़मीन ही बेचनी पड़ेगी। यही दौर था जब विजय ने म्यूचुअल फ़ंड में अपने निवेश को बढ़ाने का फ़ैसला किया। “कोठारी पायोनियर म्यूचुअल फ़ंड ईएलएसएस की सफलता मेरे दिमाग में थी तो मैंने 2004 में म्यूचुअल फ़ंड में नियमित निवेश शुरु कर दिया। शुरुआत में इसके लिए मैंने एक एडवाइज़र की मदद ली ताकि मुझे म्यूचुअल फ़ंड के बारे में जानकारी मिल सके, इसी दौरान मुझे पता चला कि www.valueresearchonline.com इसके लिए सबसे बढ़िया है।”


उन्होंने अपनी पहली एसआईपी 2005 में, एचडीएफ़सी इक्विटी में शुरु की। (अब ये एचडीएफ़सी फ्लेक्सी कैप फंड है)। विजय कहते हैं, “आपकी वेबसाइट पर लगातार आर्टिकल पढ़ने के बाद, मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि म्यूचुअल फ़ंड धन निवेश का सबसे बेहतर ज़रिया हैं, और एसआईपी के रूट को ही लेना चाहिए।”


निवेश की गलतियां
विजय ने अब तक कोई गोल नहीं सेट किया है, मगर वो जानते हैं कि अगर आप एक अच्छा कॉर्पस इकठ्ठा कर लेते हैं, तो जीवन की किसी भी परिस्थिति को आप अच्छे से संभाल सकते हैं। विजय स्वीकार करते हुए कहते हैं, “जब 2013 में मेरे पोर्टफ़ोलियो की वैल्यू ₹1 करोड़ पहुंची, तो मैंने ₹35, लाख उससे निकाल लिए। कुछ पैसा लोन ले कर, भोपाल में एक चार बेडरूम का फ़्लैट खरीदा। आज मैं सोचता हूं कि ये एक बेहद खराब फ़ैसला था। क्योंकि न तो मैं उस फ़्लैट में कभी रहा और न ही इससे मुझे किराए के तौर पर अच्छा रिटर्न मिला है। इस फ़्लैट की कीमत भी अब घट गई है। अगर यही पैसा म्यूचुअल फ़ंड में पड़ा रहता तो, मुझे कहीं बेहतर रिटर्न मिले होते।”


क्या हैं विजय के निवेश
विजय म्यूचुअल फ़ंड के डायरेक्ट प्लान में निवेश करते हैं। वो बताते हैं, “2013 तक मैं एक एडवाइज़र के ज़रिए निवेश कर रहा था। एक बार डायरेक्ट स्कीम शुरु हुई, तो मैंने अपने ज़्यादातर निवेश, और एसआईपी को डायरेक्ट प्लान में बदल लिया।”


आज विजय, ₹50,000 प्रति माह की एसआईपी के ज़रिए, नौ स्कीमों में निवेश करते हैं। एक बार जब वो एसआईपी शुरु करते हैं तो उसे रोकते नहीं हैं। उनके मौजूदा निवेश का सबसे बड़ा एलोकेशन एसआईपी, एचडीएफ़सी टॉप 200 (अब एचडीएफ़सी टॉप 100 फ़ंड) में लगा है, जैसे; एबीएसएल टैक्स रिलीफ़ 96, फ़्रैंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस (अब फ़्रैंकलिन इंडिया फ़्लैक्सी कैप फ़ंड), आईसीआईसीआई लॉंग टर्म इक्विटी। विजय ग्रोथ ऑप्शन में निवेश करते हैं, वो बताते हैं, “ये अब दूसरों की तरह पर्फॉर्म नहीं कर रहा है, मगर फिर भी मैंने इसमें निवेश जारी रखा है क्योंकि इसका लंबा रिकॉर्ड रहा है।” उनके मुताबिक वो ज़्यादा एक्सपेरिमेंट नहीं करते हैं, और लंबे समय में खरे उतरने वाले फ़ंड पर ही भरोसा करने को बेहतर समझते हैं।


2009 की ऐतिहासिक गिरावट के मुश्किल दौर को एक निवेशक के तौर पर याद करते हुए विजय कहते हैं कि, “तब काफ़ी शोर था एसआईपी रोक कर, सारा पैसा निकाल लेने का, मगर वैल्यू रिसर्च ने मुझे इस बात का एहसास दिलाया कि यही भविष्य के लिए ज़्यादा से ज़्यादा यूनिट को खरीदने का सबसे अच्छा वक्त है।”


विजय मार्केट का अंदाज़ा लगाने में विश्वास नहीं करते, वो कहते हैं, “जैसा कि कहा गया है, मार्केट का अंदाज़ा लगाना नहीं, मार्केट में रहना महत्वपूर्ण है। अगर मार्केट तेज़ी के दौर में है, तो आपका निवेश बढ़ रहा है, और अगर ये नीचे जा रहा है तो, आपको ज़्यादा यूनिट मिल रही हैं। आपका लक्ष्य लंबी अवधि का निवेश है तो एसआईपी के ज़रिए निवेश करने से, आप हमेशा ही एक बेहतर स्थिति में रहते हैं।”


विजय ने भावनाओं को अपने निवेश के आड़े कभी नहीं आने दिया है। उन्होंने गोल्ड बॉंड या इंश्योरेंस में कभी निवेश नहीं किया है। जब भी वो नया निवेश करने के बारे में सोचते हैं तो उनकी निगाह अलग-अलग कैटेगरी में निवेश के लिए वैल्यू रिसर्च के फ़ाइव-स्टार फ़ंड पर रहती है। विजय थीम पर आधारित, और डिविडेंड देने वाले फ़ंड से बचते हैं।


विजय के विचार इस बात को लेकर बड़ा साफ़ है कि निवेश से फ़ायदा पाने के लिए कुछ हद तक, और कैल्कुलेटेड रिस्क तो लेने ही पड़ते हैं। लगातार थोड़ा-थोड़ा धन निवेश करके ही उन्होंने आज एक करोड़ का फ़ायदा हासिल कर लिया है। विजय के मुताबिक, मिडिल-क्लास का कोई भी शख्स अपनी आने वाली पीढ़ी का जीवन स्तर बदल सकता है, अगर वो सधे हुए, और अनुशासित तरीके से निवेश करना जारी रखे।


ये स्टोरी पहली बार अक्टूबर 2018 में प्रकाशित हुई थी।
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