दीपक एक निवेशक हैं। 36 साल के दीपक के घर में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं। बेटों की उम्र 7 और 10 साल है। दीपक मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं और उनकी नेट सैलरी ₹85,000 है। EMI को मिला कर दीपक का हर महीने का ख़र्च ₹50,000 है। निवेश के लिए वो हर महीने ₹35,000 बचा पाते हैं। उन पर एक छोटा होम-लोन भी बाक़ी है। उनका कुछ पैसा हर महीने EPF, PPF और NPS के तौर पर जाता है और इसके अलावा उनके पास कुछ स्टॉक भी हैं। दीपक अपने रिटायरमेंट के अलावा बच्चों की एजुकेशन और उनकी शादी के लिए भी पैसे जोड़ना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि उन्हें अपनी इन ज़रूरतों के लिए कितने पैसे जोड़ने की ज़रूरत होगी। वो ये भी जानना चाहते हैं कि क्या उनकी लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए ठीक है या नहीं।
सबसे पहले बात इमरजेंसी कॉर्पस की
इस समय, दीपक के सेविंग बैंक अकाउंट में ₹1 लाख हैं। उनको 6 महीने का ख़र्च पूरा करने के लायक़ रक़म अपने पास रखनी चाहिए। इसका मतलब हुआ ₹3 लाख का इमरजेंसी कॉर्पस उनके पास होना चाहिए। ये कॉर्पस वो, स्वीप इन फ़िक्स्ड डिपॉजिट और लिक्विड फ़ंड के कांबीनेशन में रख सकते हैं। इससे उन्हें लिक्विडिटी से समझौता किए बिना ज़्यादा ब्याज पाने में मदद मिलेगी।
इमर्जेंसी कॉर्पस के लिए क्या करें: एक इमरजेंसी कॉर्पस बनाएं और स्वीप इन फिक्स्ड डिपॉजिट और लिक्विड फ़ंड में 3 महीने के ख़र्च के बराबर पैसे रखें।
अब बात लाइफ़ इंश्योरेंस की
दीपक ने ₹1.50 करोड़ का टर्म लाइफ़ कवर ख़रीदा है और उनकी कंपनी ने ₹12.5 लाख का लाइफ़ इन्श्योरेंस दिया हुआ है। इस तरह से उनका कुल लाइफ़ कवर ₹1.63 करोड़ का है जो उनकी ज़रूरत के लिए काफ़ी है। ये कवर उनकी इनकम के हिसाब से भी ठीक है।
लाइफ़ इंश्योरेंस के लिए क्या करें: मौजूदा इन्श्योरेंस कवर को बनाए रखें। लाइफ इन्श्योरेंस के लिए टर्म प्लान ही चुनना चाहिए। टर्म प्लान पारंपरिक जीवन बीमा की तुलना में बड़ा इन्श्योरेंस कवर मुहैया कराता है और ये सस्ता भी रहता है। इस सिद्धांत को मानना चाहिए कि आप अपने निवेश और इन्श्योरेंस की ज़रूरतों को अलग-अलग रखें। इन्श्योरेंस और इन्वेस्टमेंट के कॉम्बिनेशन वाले फ़ाइनेंशियल प्रॉडक्ट आमतौर पर न तो अच्छा रिटर्न देते और न ही ज़रूरत के लायक़ इन्श्योरेंस मुहैया करवा पाते हैं।
अब बात हेल्थ इन्श्योरेंस की
दीपक के पास ₹5 लाख का मेडिकल इन्श्योरेंस कवर है। इसके अलावा ₹2 लाख का कवर कंपनी की ओर से मिला हुआ है। दीपक ने ख़ुद के लिए और अपनी पत्नी के लिए ₹10-10 लाख का गंभीर बीमारी (critical illness) का कवर भी ले रखा है।
गंभीर बीमारी की पॉलिसी किसी ख़ास बीमारी, जैसे - कैंसर, किडनी फेल होना, हार्ट अटैक आदि का पता लगने पर एकमुश्त रक़म का भुगतान करती है। इस तरह की बीमारियों का इलाज काफ़ी महंगा होता है और ऐसी कोई भी बीमारी आपकी सेहत के साथ-साथ आपकी माली हालत पर भी ख़राब असर डाल सकती है।
दीपक को कंपनी से ₹25 लाख का पर्सनल एक्सीडेंट का कवर मिला हुआ है। दीपक कुछ महीने में इतनी ही रक़म का अतिरिक्त विकलांगता (disability cover) कवर लेने की सोच रहे हैं। पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी, एक्सीडेंट की स्थिति में या किसी अंग के आंशिक या पूरी तरह से ख़राब हो जाने पर एक तय रक़म मुहैया कराती है। ऐसे में क्रिटिकल इलनेस और पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी लेना समझदारी भरा फ़ैसला है। हालांकि उनको ये पक्का कर लेना चाहिए कि जो प्लान वो चुनें उसमें आंशिक और पूर्ण अपंगता दोनों का कवर हो।
हेल्थ इंश्योरेंस के लिए क्या करें: ये पक्का करें कि जो कवर आप चुन रहे हैं उसमें आंशिक और पूर्ण अपंगता दोनों कवर हों।
रिटायरमेंट के लिए प्लान कैसे करें
दीपक हर महीने ₹35,000 ख़र्च करते हैं और उनको रिटायरमेंट के बाद अपने ख़र्च पूरे करने के लिए लगभग ₹4.84 करोड़ की ज़रूरत होगी। दीपक 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं।
दीपक की कंपनी उनके NPS अकाउंट में सैलरी का 10% योगदान कर रही है। इसके अलावा दीपक सेक्शन-80 CCD (1B) के तहत छूट लेने के लिए हर साल NPS में ₹50,000 निवेश कर रहे हैं। वो अपने NPS कॉर्पस का 50% इक्विटी में, 30% कॉरपोरेट बॉन्ड में और 20% गवर्मेंट सेक्योरिटीज़ में निवेश कर रहे हैं।
उनके एलोकेशन के आधार पर, और ये मान कर कि उनकी कंपनी का योगदान सालाना 10% बढ़ेगा, दीपक 24 साल में ₹2.65 करोड़ जमा कर लेंगे। इसके अलावा, उनके पास EPF, PPF और NPS में कुल मिला कर ₹ 12.25लाख हैं। उनके रिटायर होने तक ये राशि बढ़ कर ₹82.34 लाख हो जाएगी।
ये सभी निवेश उनको तक़रीबन ₹3.5 करोड़ की राशि देंगे। ये रक़म उस रिटायरमेंट कॉर्पस से कम है, जिसकी उनको ज़रूरत है। उनको जरूरत ₹4.84 करोड़ के रिटायरमेंट कॉर्पस की है। लगभग 10 साल में कुछ कमी तब पूरी होगी, जब दीपक अपना बक़ाया होमलोन चुका देंगे और फिर EMI की रक़म का इस्तेमाल SIP में निवेश के लिए करेंगे। उनको अपना NPS इन्वेस्टमेंट एक्टिव पोर्टफ़ोलियो में शिफ्ट करने पर विचार करना चाहिए, जहां वे 75% इक्विटी में निवेश कर सकते हैं।
निवेश में क्या बदलाव करने चाहिए: ज़्यादा रक़म इक्विटी में लगाने के लिए NPS इन्वेस्टमेंट एक्टिव पोर्टफ़ोलियेा में शिफ्ट करना चाहिए।
बच्चों की एजुकेशन और शादी के लिए क्या करें
दीपक अपने बच्चों की एजुकेशन और शादी के लिए ₹1 करोड़ बचाने की प्लानिंग कर रहे हैं। हालांकि इन लक्ष्यों को हासिल करने का समय 6-17 साल है, लेकिन दीपक ₹3,000 की मासिक SIP (सालाना 10% बढ़ाने पर भी) इतनी रक़म जुटाने में सक्षम नहीं होंगे। ऐसे में उनको अपने लक्ष्य को लेकर अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी और गोल की रक़म को भी कम करना होगा।
बच्चों की एजुकेशन और शादी के लिए बदलाव करें: लक्ष्यों की प्राथमिकताएं तय करें और अपनी अनुमानित रक़म घटाएं। ये पक्का करें कि SIP का योगदान हर साल 10% से ज़्यादा बढ़ता रहे।
फ़ंड्स में निवेश
दीपक ने कुछ समय पहले म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना शुरू किया है। वे फ़्लैक्सी कैप फ़ंड और टैक्स सेवर फ़ंड दोनों में से प्रत्येक में ₹5,000 की SIP कर रहे हैं। इसके अलावा वे हर महीने ₹10,000 लार्ज कैप, मिड कैप और अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड में निवेश कर रहे हैं। उनके फ़ंड अच्छी तरह से चुने गए हैं और फ़िलहाल उनमें किसी तरह के बदलाव की ज़रूरत नहीं है। हालांकि, उनको हरे लक्ष्य के पूरा होने से 2-3 साल पहले अपने पैसे को शार्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड में शिफ्ट करने पर ग़ौर करना चाहिए, और ऐसा सिस्टमैटिक विद्ड्रॉअल प्लान (SWP) के जरिए किया जाना चाहिए।
दीपक के पोर्टफ़ोलियेा में कुछ स्टॉक्स भी हैं। उनको सीधे इक्विटी में तभी निवेश करना चाहिए जब वे समझते हों कि कंपनियों को कैसे एनालाइज़ किया जाए। डायरेक्ट इक्विटी इन्वेस्टिंग में अपना निवेश लगातार ट्रैक करने की ज़रूरत होती है। अगर उनके पास समय या स्किल नहीं है, तो उनको खुद को इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड तक ही सीमित रखना चाहिए।
दीपक को क्या करना चाहिए: आर्थिक लक्ष्यों के करीब आने पर रक़म शार्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड में शिफ्ट करें। स्टॉक इन्वेस्टमेंट पर दोबारा ग़ौर करें।
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