हम निवेश क्यों करते हैं? इसका जवाब बहुत सरल है: पैसा जुटाने के लिए. हममें से ज़्यादातर लोगों की आमदनी का एक ही ज़रिया होता है और ज़रूरतें बहुत सारी. ये ज़रूरतें तत्काल की हो सकती हैं, कुछ देर बाद वाली हो सकती हैं और लंबे वक़्त की भी होती हैं. अगर हम अपनी बचत के मामले में तत्काल वाली ज़रूरतों तक ही सीमित रहेंगे, तो अपने लंबे समय की ज़रूरत के लिए कुछ नहीं बचा पाएंगे. इसलिए पैसा बचाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका निवेश करना भी ज़रूरी है क्योंकि निवेश से ही लंबे समय के दौरान बड़ी पूंजी खड़ी करने में मदद मिलेगी. इसलिए इस बात पर कुछ निर्भर करता है कि आपने अपने निवेश की शुरुआत जल्दी की है या नहीं.
कहते हैं कि अगर सुबह का एक घंटा आपने गंवा दिया, तो आप दिन भर उसे खोजते रहेंगे. निवेश में देर से शुरुआत करने का मतलब है कि आप कई साल की कड़ी मेहनत से पूंजी जमा कर पाएंगे, जो जल्दी शुरुआत करने पर आसानी से बन जाएगी.
अगर आप अपना निवेश जल्दी से जल्दी शुरू कर सकते हैं, तो आप सुखद आश्चर्य में पड़ जाएंगे. और इसका श्रेय कंपाउंडिंग को जाता है. इसे इस मिसाल से समझते हैं, अगर एक व्यक्ति जिसका नाम A है, हर महीने ₹1,000 अपने रिटायरमेंट फ़ंड के लिए 30 साल तक 12 प्रतिशत की सालाना दर से जोड़ता है, तो उसके पास ₹35 लाख की अच्छी-ख़ासी रक़म हो जाएगी. और अगर कोई दूसरा B नाम का शख़्स, हर महीने ₹12,000 का निवेश करता है और 10 साल तक पहले वाली ब्याज दर पर ही निवेश करता है, तो उसके पास ₹27 लाख ही जमा हो पाएंगे. न सिर्फ़ B शख़्स ने A के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा पैसा का निवेश किया, बल्कि उसकी जोड़ी हुई रक़म A के मुक़ाबले 23 प्रतिशत कम ही जमा हो पाई. और हां, कम समय में ज़्यादा पैसा जोड़ने का तनाव और आर्थिक बोझ इसमें शामिल नहीं हैं, जो उसे अपने निवेश का स्तर बनाए रखने के लिए हुआ होगा. ज़ाहिर है, अनुशासन और लंबी अवधि, बिना चिंता के आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
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आमतौर पर हममें से ज़्यादातर लोगों की आमदनी का एक ही ज़रिया होता है मगर आर्थिक लक्ष्य कई होते हैं. पैसे को बैंक में ही रखने पर कम रिटर्न ही मिलता है. यही वजह है कि लंबी अवधि के लिए निवेश को प्लान करना बेहद ज़रूरी हो जाता है. इसीलिए निवेश की यात्रा आज ही शुरू करना एक बुद्धिमानी की बात है. इसके साथ ही आपको कुछ बातें याद रखनी चाहिए जिन्हें लेकर शुरुआती-निवेशक ग़लतियां करते हैं. नीचे जिन ग़लतियों के बारे में हम बता रहे हैं उनसे बचना आपके आर्थिक भविष्य के लिए ज़रूरी है:
परफ़ेक्ट प्लान का इंतज़ार: एक फ़ूल-प्रूफ़ निवेश प्लान का महीनों या बरसों इंतज़ार करना कोई अच्छा आइडिया नहीं है. इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आपका परफ़ेक्ट प्लान असल में परफ़ेक्ट ही होगा, और इस सोच-विचार के बीच आप अपने रिटर्न को गंवा रहे होते हैं. सरल निवेश से शुरुआत करें, मगर इंतज़ार करने के बजाए उसे जल्दी शुरू करें.
कम समय के लिए निवेश: आपको कुछ महीनों या चंद सालों के आगे की बात सोचनी चाहिए. साथ ही, छोटी अवधि के गोल को छोटी अवधि के निवेश के आधार पर किया जाना चाहिए. इसी तरह लंबी अवधि के गोल के लिए लंबी अवधि का निवेश प्लान बनाना चाहिए. एक अच्छा पैमाना हो सकता है कि तीन साल तक के गोल के लिए डेट फ़ंड का इस्तेमाल किया जाए, और पांच साल या उससे लंबी अवधि के लिए इक्विटी पर भरोसा किया जाए. संभव है, आपका ज़्यादातर निवेश लंबी अवधि का ही होगा.
ज़्यादा सुरक्षित तरीक़ों की तलाश: आप डेट स्कीमों में छोटी बचत से बड़ा कॉर्पस नहीं बना सकते. मंहगाई को पछाड़ने वाले अच्छे रिटर्न पाने के लिए, आपको इक्विटी पर ध्यान देना चाहिए. स्टॉक ही लंबी अवधि के बेहतर निवेश का तरीक़ा हो सकता है, तो इस एसेट क्लास के बारे में अपने फ़िज़ूल के डर निकाल दें.
टिप्स पर भरोसा: टिप्स के आधार पर तुरंत अमीर बनने में अपना वक़्त बर्बाद मत करें. ये पैसा गंवाने का पक्का तरीक़ा है. इसके बजाए इस पर विश्वास करें कि अंत में आपका प्लान ही आपको धन दिलाएगा.
ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग एक नहीं: निवेश से अंदर-बाहर होना, ख़ासतौर पर इक्विटी निवेश में, कोई बढ़िया आइडिया नहीं. इससे न सिर्फ़ आपके लंबी अवधि में शानदार रिटर्न पाने की संभावना से आप हाथ धो बैठते हैं, बल्कि टैक्स और लेन-देन का ख़र्च भी कहीं ज़्यादा हो जाता है.
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