आम तौर पर टैक्स प्लानिंग कठिन काम माना जाता है और लोग आखिरी समय तक इसे टालने का प्रयास करते हैं। आपमें से कुछ लोग फाइनेंशियल ईयर के अखिरी दौर में टैक्स प्लानिंग पूरी करने की तैयारी कर रहे होंगे। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे पांच स्टेप में आप टैक्स प्लानिंग कर सकते हैं।
स्टेप-1
अगर कोई आप पर आर्थिक जरूरतों के लिए निर्भर है तो आपको सबसे पहले लाइफ इन्श्योरेंस कवर लेना चाहिए। और यह कवर आपके न रहने की सूरत में उस व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लायक होना चाहिए। जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान पर सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट मिलती है। जीवन बीमा कवर के लिए आपको हमेशा टर्म प्लान खरीदना चाहिए।
स्टेप-2
इसके बाद आपको खुद के लिए और परिवार के लिए हेल्थ इन्श्योरेंस कवर खरीदना चाहिए। सेक्शन 80 डी के तहत सालाना 25,000 रुपए के हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स छूट मिलती है। 60 साल से अधिक उम्र वालों के लिए यह सीमा 30,000 रुपए है।
स्टेप-3
आप यह पता कर सकते हैं कि इम्पलाईज प्रॉविडेंड फंड यानी EPF और नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS में मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में योगदान कितना है। EPS में आपके योगदान पर सेक्शन 80 सी के तहत और एनपीएस में आपके योगदान पर सेक्शन 80 सीसीडी (1) के तहत छूट मिलती है।
स्टेप-4
अब आपको पता करना है कि सेक्शन 80 सी के तहत आप और कितना टैक्स बचा सकते हैं। आप शायद जानते हों कि सेक्शन 80 सी के तहत आप 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर ही टैक्स छूट ले सकते हैं। आप लाइफ इन्श्योरें प्रीमियम और EPS व NPS योगदान को जोड़ कर पता कर सकते हैं कि आप पहले से कितना निवेश कर रहे हैं और सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट की 1.5 लाख की सीमा का पूरा फायदा उठाने के लिए आपको कितना और निवेश करने की जरूरत है। इसके अलावा आप सेक्शन 80 सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50,000 अतिरिक्त योगदान पर भी टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप NPS में योगदान कर रहे हैं तो आप 2 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट पा सकते हैं। आपको यह ध्यान रखना होगा कि सेक्शन 80 सी और सेक्शन 80 सीसीडी के तहत अधिकतम 2 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट पा सकते हैं। इससे अधिक राशि निवेश करने की जरूरत नहीं है।
स्टेप-5
बेस्ट टैक्स सेविंग विकल्प चुनना इतना आसान भी नहीं है। हम आपको इसका एक आसान तरीका बता रहे हैं। क्या आप जोखिम लेना चाहते हैं ? अगर जवाब हां है तो आपको इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम या टैक्स प्लानिंग म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करना चाहिए। इन स्कीमों में लॉक इन पीरियड तीन साल का है। अगर आप एकदम जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो आप 5 साल की टैक्स सेविंग बैंक फिक्सड डिपॉजिट में निवेश कर सकते हैं। लेकिन आपको याद रखना होगा कि इंटरेस्ट टैक्स फ्री नहीं है। जोखिम से परहेज करने वाले निवेशक लंबी अवधि के फाइनेंशियल गोल जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की एजुकेशन आदि के लिए नियमित तौर पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी PPF में निवेश शुरू कर सकते हैं। PPF का लॉक इन पीरियड 15 वर्ष है और मैच्योरिटी पर ब्याज और मूल धन टैक्स फ्री है।
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