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निवेश में क्या सही है क्या नहीं

सरल निवेश के सवालों के जवाब सरल हैं, लेकिन फिर भी उन्हें समझने की ज़रूरत है

निवेश में क्या सही है क्या नहींAI-generated image

कुछ दिन पहले, एक जानी-मानी सवाल-जवाब की वेबसाइट पर, मुझे निवेश को लेकर एक ऐसा सवाल मिला जिसे शायद शुरुआत करने वालों का सबसे अच्छा सवाल कहा जाएगा है. एक युवा जिसने कुछ साल पहले कमाना शुरू किया है, उसे लग रहा है कि उसके पास बचत करने लायक़ काफ़ी पैसा है लेकिन उसे पता नहीं है कि शुरुआत कहां से करनी चाहिए. एक निष्क्रिय बचत करने वाले के विपरीत, जो किसी के आने और कुछ बेचने के इंतज़ार में रहता है, इस युवक ने अपना बुनियादी होमवर्क किया है.

वो जानता है कि वो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहता है. वो जानता है कि लंबी अवधि का मतलब दस से पंद्रह साल है, न कि वो एक साल जो टैक्स क़ानून कहता है. वो जानता है कि इक्विटी वो एसेट क्लास है जिसमें उसके पैसे लगने चाहिए - उसे ऐसा कोई भ्रम नहीं है कि फ़िक्स्ड इनकम से ऐसे रिटर्न मिल सकते हैं कि महंगाई को मात देने की चर्चा हो सके. उसने ये जानने के लिए अच्छी रिसर्च की है कि इस तरह के निवेश के लिए उसके पास क्या विकल्प हैं.

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उनके विकल्पों की लिस्ट में एक्टिव तरीक़े से मैनेज किए जाने वाले इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड हैं, पैसिव पोर्टफ़ोलियो वालो इक्विटी फ़ंड हैं जैसे इंडेक्स फ़ंड और ETF और इक्विटी में सीधा निवेश करना शामिल है, जिसके लिए वो ख़ुद रिसर्च करेगा और स्टॉक का चुनाव करेगा. हालांकि, उन्हें यक़ीन नहीं है कि इनमें से कौन सा उसके उद्देश्य के लिए सबसे सही होगा, और यही बात वो वेबसाइट पर लोगों से पूछ रहा है. जैसा कि इंटरनेट पर चर्चाओं में आम है, बहुत से ऐसे जवाब हैं जो हर तरह के हैं, कुछ गंभीर, कुछ टरकाने वाले, कुछ अक्लमंदी भरे और कुछ नासमझी वाले.

जो जवाब दिए गए हैं उनमें हर तरह के जवाब मिल जाएंगे. उन सबके बीच, ऐसे गंभीर, तर्कसंगत जवाब भी मिल जाएंगे जो लिस्ट में मौजूद सभी जवाबों की सामूहिक रूप से वकालत करते नज़र आएंगे. लोगों ने एक्टिव म्यूचुअल फ़ंड, ETF, इंडेक्स फ़ंड और इक्विटी के पक्ष में तर्कसंगत जवाब दिए हैं. असल में, ये बात ठीक वैसी ही है जैसे इंटरनेट से पूछना कि कौन सा फ़ोन, कार या कैमरा ख़रीदा जाए.

तो इस युवा (और उसके जैसे अनगिनत अन्य लोगों) को क्या करना चाहिए? कौन सा निवेश विकल्प सबसे अच्छा है? इसका जवाब ये है कि पूछा गया सवाल ही ग़लत है. इनमें से हरेक एसेट क्लास एक उद्देश्य को पूरा कर सकती है. इसका चुनाव इस आधार पर किया जाना चाहिए कि निवेशक कौन है और क्या है, न कि इस आधार पर कि किसी एक एसेट क्लास की दूसरी के मुक़ाबले ख़ूबियां क्या हैं.

क्या वो ख़ुद रिसर्च करके और सीधे इक्विटी में निवेश करके वो रिटर्न पा सकता है जो वो चाहता है? निश्चित रूप से, ऐसे बहुत से लोग हैं जो ऐसा करते हैं. लेकिन इसका मतलब है कि सीखने में काफ़ी वक़्त लगेगा, स्टॉक पर रिसर्च करने में ख़र्च किया गया समय और पैसा, और एक ऐसा स्वभाव जो अस्थिरता के दौर में अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए लगातार निगरानी रख सकता हो.

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जहां तक ETF और इंडेक्स फ़ंड की बात है, वे ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे सही हैं जो इस बात से संतुष्ट है कि वे उतना ही कमाएंगे जितना इक्विटी मार्केट मोटे तौर पर कमाएगा. वे इंडेक्स से ज़्यादा कमाने की होड़ में शामिल नहीं होना चाहते, और ऐसा करने की कोशिश नहीं करना चाहते और कम कमाने का जोख़िम भी नहीं उठाना चाहते. जो कोई भी इक्विटी से रिटर्न चाहता है, वो आम तौर पर 'बस इतना और इससे ज़्यादा नहीं' वाला रवैया नहीं अपनाएगा, जो पैसिव फ़ंड दिखाते हैं, जो निवेश के लिए संस्थागत नज़रिए के लिए ज़्यादा सही है.

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इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड मार्केट से बेहतर प्रदर्शन करने का मौक़ा देते हैं और इस तरह ETF और इंडेक्स फ़ंड से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. ये अक्सर दोहराया जाने वाला विश्वास है कि इंडेक्स फंड और ETF आम तौर पर एक्टिव फ़ंड्स से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. मैंने जो अध्ययन देखे हैं, उनसे पता चलता है कि ये आम तौर पर अमेरिका में सच है, जो इस विश्वास का स्रोत भी है. हालांकि, भारत में, जहां मैं और वैल्यू रिसर्च में मेरी टीम दो दशकों से लगातार इस मुद्दे पर नज़र रख रहे हैं, ये बिल्कुल सच नहीं है. बाज़ारों की अवधि और चरण के आधार पर, लंबी अवधि में, एक्टिव तरीक़े से प्रबंधित इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स का बहुमत - कभी बड़े और कभी छोटे - मार्केट से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. अगर कोई निवेशक एक्टिव तरीक़े से मैनेज किए जाने वाले फ़ंड चुनने में थोड़ी सावधानी बरतता है, तो उसका पैसा बहुत ज़्यादा कमाई कर सकता है.

इसलिए हम देखते हैं कि ऐसा सवाल असल में हाथी और अंधे आदमी की कहानी का एक रूपांतर है. हरेक सवाल पर केवल एक संकीर्ण हां/नहीं कहने के बजाय, अलग-अलग विकल्पों का असल में क्या रोल है, इस पर व्यापक नज़रिया रखना ज़रूरी है. एक विकल्प - या कॉम्बिनेशन - चुनने के लिए, हमें उन विकल्पों के बारे में भी उतना ही समझना होगा जो सही नहीं हैं, जितना कि उन विकल्पों के बारे में जो सही हैं.

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