टैक्स बचाने के विकल्प

निवेश के साथ चुकाएं कम टैक्‍स

ऐसे कई निवेश हैं जो टैक्‍स देनदारी कम करने की सहूलियत देते हैं

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इनकम टैक्‍स एक कठिन विषय है। हमारा मकसद यहां पर आपको टैक्‍सेसन से जुड़े पहलू से परिचित कराना है। जैसे निवेश से आपको इनकम या लॉस हो सकता है और वे कौन से तरीके हैं जिससे आप निवेश का इस्‍तेमाल करते हुए अपनी टैक्‍स की देनदारी कम कर सकते हैं। हमारा सुझाव है कि आपको टैक्‍स से जुड़े नियमों की डिटेल के बारे में टैक्‍स एडवाइजर से सलाह लेनी चाहिए। अपना रिटर्न फाइल करने के लिए आपको इसकी जरूरत होगी।

निवेश पर टैक्‍स का भुगतान

यहां पर कई तरह के निवेश के बारे में बातचीत की जा रही है। इसमें से म्‍यूचुअल फंड और स्‍टॉक्‍स कैपिटल असेट हैं। और इनकी खरीद और बिक्री से होने वाला गेन कैपिटल गेन्‍स कहा जाता है। अगर इन असेट्स पर आपको रकम का नुकसान होता है तो इसे कैपिटल लॉसेस कहा जाता है। कैपिटल गेन्‍स और लॉसेस तभी होता है जब निवेश बेचा जाता है।

फंड या शेयरों द्वारा भुगतान किया गया डिवीडेंड डिवीडेंड इनकम है। वहीं बैंक, पोस्‍ट ऑफिस या दूसरी ऐसी डिपॉजिट से कमाया गया इंटरेस्‍ट इंटरेस्‍ट इनकम कहा जाता है।

हम यहां हर एक निवेश पर टैक्‍स किस तरह से लगता है इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।

म्‍यूचुअल फंड पर कैपिटल गेन टैक्‍स

नॉन इक्विटी फंड को अगर तीन साल से अधिक समय तक रखा जाता है तो इनको लॉग टर्म कैपिटल असेट माना जाता है। लॉंग टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स गेन्‍स पर इंडेक्‍सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी लगता है। वहीं नॉन इक्विटी फंड को अगर तीन साल तक रखा जाता है तो इससे होने वाले गेन्‍स को इनकम में जोड़ा जाता है और इस पर लागू स्‍लैब रेट के हिसाब से टैक्‍स लगता है।

इक्विटी फंड को अगर 1 साल से अधिक रखा जाता है तो इसे लॉंग टर्म कैपिटल असेट माना जाता है। लॉग टर्म गेन्‍स पर इंडेक्‍सेशन के बिना 10 फीसदी टैक्‍स लगता है। वहीं इक्विटी फंड से होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन्‍स पर 15 फीसदी टैक्‍स लगता है। डिवीडेंड इनकम हासिल करने वाले व्‍यक्ति की इनकम में जोड़ा जाता है और इस पर लागू स्‍लैब के हिसाब से टैक्‍स लगता है।

 निवेश के साथ चुकाएं कम टैक्‍स

उदाहरण के तौर पर, आपने साल 2002-03 में नॉन इक्विटी फंड में 1 लाख रुपए निवेश किया है और साल 2018-19 में 5 लाख रुपए में बेचा। तो आपका कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स इन्‍फ्लेशन एडजस्‍टमेंट फैक्‍टर के साथ एडजस्‍ट किया जाएगा। यानी 280 को 105 से भाग दिया जाएगा जो कि 2.67 है। इस तरीके से निवेश की लागत जो उस समय थी उससे 2.67 गुना अधिक आंकी जाएगी। और यह 2.67 लाख रुपए होगी। इस तरह आपका मुनाफा 2.33 लाख रुपए होगा और इस पर 46,600 रुपए टैक्‍स चुकाना होगा।

इंटरेस्‍ट इनकम

इंटरेस्‍ट इनकम आपकी इनकम में जोड़ी जाएगी और इस पर जिस टैक्‍स ब्रैकेट में आप आते हैं उसके हिसाब से टैक्‍स लगेगा।

सेक्‍शन 80 सी के जरिए टैक्‍स की बचत


सेक्‍शन 80 सी 1.50 लाख रुपए तक टैक्‍स छूट क्‍लेम करने के लिए निवेश के अवसरों की विंडो मुहैया कराता है। अगर आप 30 फीसदी उच्‍चतम टैक्‍स ब्रैकेट में हैं तो इस सेक्‍शन के तहत 1.5 लाख रुपए का निवेश हर वर्ष आपका 45,000 रुपए बचाएगा। इसके अलावा, सेक्‍शन80 सीसीडी के तहत एक वित्‍त वर्ष में अतिरिक्‍त 50,000 के लिए छूट भी क्‍लेम की जा सकती है। यह बेनेफिट सबके लिए उपलब्‍ध हैं चाहे उसकी इनकम कुछ भी हो। सेक्‍शन 80 सी के तहत टैक्‍स बेनेफिट नीचे दिए गए फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट में निवेश करके हासिल किए जा सकते हैं
· लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम पेमेंट
· होम लोन प्रिंसिपल का रीपेमेंट
· ईम्‍पलाइज प्रॉविडेंट फंड (EPF), ईपीएफ के तहत हर माह कर्मचारी की सैलरी का 12 फीसदी काटा जाता है और इसके बराबर रकम का योगदान नियोक्‍ता करता है। सिर्फ कर्मचारी के कंट्रीब्‍यूशन पर ही 80 सी के तहत टैक्‍स छूट क्‍लेम की जा सकती है। हालांकि, नियोक्‍ता का कंट्रीब्‍यूशन भी टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है और इसे ग्रॉस कुल इनकम में शामिल नहीं किया जाता है।
· दो बच्‍चों तक की ट्यूशन फीस पर टैक्‍स छूट क्‍लेम की जा सकती है। हालांकि संस्‍थान को डेवलपमेंट फीस या डोनेशन का भुगतान टैक्‍स छूट के दायरे से बाहर है।
· पब्लिक प्रॉविडेंट फंड का कंट्रीब्‍यूशन
· सीनियर सिटीजंस सेविंग स्‍कीम में निवेश
· न्‍यूनतम पांच वर्ष की अवधि के लिए शेड्यूल्‍ड बैंक में टर्म डिपॉजिट, पांच साल की लॉक इन अवधि के साथ पोस्‍ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट में सेविंग।
· नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, पांच वर्ष की सरकार समर्थित सेक्‍युरिटीज पोस्‍ट ऑफिस में उपलब्‍ध हैं।
· इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम में निवेश (ELSS)
· पेंशन प्‍लान में निवेश
· सुकन्‍या समृद्रधि स्‍कीम में निवेश


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