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पूंजी को नुकसान से बचाने का नुस्‍खा कितना कारगर

डायवर्सीफिकेशन निवेश को जोखिम से एक हद तक बचाता है फिर भी ऐसा करने में आपका फायदा ही है

पूंजी को नुकसान से बचाने का नुस्‍खा कितना कारगर

अगर म्‍युचुअल फंड में निवेश और फायदों की बात करें। तो दिमाग में सबसे पहले डायवर्सीफिकेशन आता है। डायवर्सीफिकेशन की जरूरत को समझना मुश्किल नहीं है। एक सामान्‍य बात है कि आपके सभी निवेश एक साथ अच्‍छा प्रदर्शन नहीं कर सकते। कुछ निवेश अच्‍छा प्रदर्शन करते हैं और कुछ अच्‍छा प्रदर्शन नहीं करते हैं। यह भी हो सकता है कि कुछ निवेश किसी खास समय पर बहुत खराब प्रदर्शन करने लगें।

मान लेते हैं कि आपने किसी ऐसी जगह पर बड़ी रकम लगा दी जो कभी बहुत खराब प्रदर्शन करने लगे तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। क्‍योंकि आपने अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में रख दिए यानी आपने पूरी रकम एक ही जगह लगा दी। आपने अगर इस रकम को दो तीन जगह पर लगाया होता तो शायद आपको एक जगह से होने वाले वाले नुकसान की भरपाई दूसरी जगह से हो जाती। लेकिन आपने ऐसा किया ही नहीं। यानी आपने निवेश को डायवर्सीफाई नहीं किया।

अब मान लेते हैं कि आपने आपने डायवर्सीफिकेशन किया है। यानी अपनी रकम को दो तीन जगहों पर निवेश किया है और किसी एक जगह से आपको नुकसान हो रहा है तो यह आपको इस नुकसान से बचा सकता है। क्‍योंकि एक जगह से होने वाले नुकसान की भरपाई बाकी एक दो जगह से होने वाले मुनाफे से हो सकती है। अगर कोई कंपनी या सेक्‍टर खराब प्रदर्शन कर रहा तो इसमें थोड़ा निवेश होना आपके लिए अच्‍छा साबित होता है। सेक्‍टर के आधार पर डायवर्सीफिकेशन के अलावा कंपनियों की साइज के आधार पर भी डायवर्सीफिकेशन करना फायदेमंद होता है।


कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ छोटी या सिर्फ बड़ी कंपनियां ही अच्‍छा या खराब प्रदशर्न करती हैं। भौगोलिक आधार पर भी डायवर्सीफिकेशन होता है। इसके लिए लोग विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदते हैं। ऐसा वे इंटरनेशनल फंड के जरिए करते हैं।

यह तो हो गई थ्‍योरी की बात। लेकिन असलियत में म्‍युचुअल फंड में निवेश करने वाले यह नहीं सोचते हैं कि वे किस सेक्‍टर में या किस कंपनी में निवेश कर रहे हैं। उनका लेना देना तो फंड से होता है। अगर किसी ने एक फंड में निवेश किया है तो कहा जाता है कि उसने अपने निवेश को डायवर्सीफाई नहीं किया है। अगर दो फंड ले ले लिया तो थोड़ा डायवर्सीफाई हो गया और अगर 20 फंड ले लिया तो बहुत ज्‍यादा डायवर्सीफाई हो गया। फंड मैनेजर अपनी तरह से निवेशक के दिमाग में यह बात डालने की पूरी कोशिश करते हैं। यह उनके बिजनेस के लिए अच्‍छा है।

इसका नतीजा ऐसे पोर्टफोलियो के रूप में सामने आता है जिसमें 20 या 30 फंड होते हैं। निवेशक भी इस बात से खुश रहता है कि उसका पोर्टफोलियो बहुत अच्‍छी तरह से डायवर्सीफाई है। लेकिन यह सच नहीं है। ऐसा करने से निवेशको को फायदा नहीं होता है उल्‍टे नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि फंड को कई तरह के शेयर और बॉण्‍ड में निवेश किया जाता है।

ऐसे में एक सीमा से अधिक फंड खरीदने से आपके निवेश की सुरक्षा में कोई मदद नहीं मिलती है। इसके बजाए 20 से 30 फंड वाले पोर्टफोलियो को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। डायवर्सीफिकेशन अपने आप में कोई गोल नहीं है। आपको अपने निवेश को डायवर्सीफाइ करना है। यानी डायवर्सीफिकेशन का मिनिमम लेवल हासिल करना है। अब आप पूछ सक‍ते हैं कि डावर्सीफिकेशन का मिनिमम लेवल क्‍या है और आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि आपका निवेश सही मायने में डायवर्सीफाई हो।

जब आप डायवर्सीफिकेशन करते हैं तो आप इसके अलग अलग स्‍तर को हासिल करते हैं। यानी आपका निवेश थोड़ा कम डायवर्सीफाई हो सकता है इससे ज्‍यदा डायवर्सीफाई हो सकता है। लेकिन ऐसा पूरी तरह से संभव नहीं है कि आप डायवर्सीफिकेशन के जरिए अपने पोर्टफोलियो को जोखिम से पूरी तरह से बचा सकें। इसका कारण यह है कि अर्थव्‍यवस्‍था के सभी अंग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर बाजार में 2008 जैसा गहरा संकट आता है तो यह सभी सेक्‍टरों और कंपनियों को प्रभावित करेगा।

इसका यह मतलब नहीं है कि डायवर्सीफिकेशन का कोई मतलब नहीं है। डायवर्सीफिकेशन एक रक्षात्‍मक रणनीति है। यह कुछ हद तक और कुछ समय तक आपको नुकसान से बचा सकती है। लेकिन इसे खारिज मत करिए।


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