जब निवेशक ये जानना चाहते हैं कि किस म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना है, तो वे स्वाभाविक सवाल पूछते हैं, 'मुझे किसमें निवेश करना चाहिए?' जवाब के तौर पर वे उस फ़ंड का नाम खोज रहे होते हैं जो 'सबसे अच्छा' है. लेकिन वास्तव में ये सवाल ही ग़लत है, या कम से कम निवेश शुरू करने के लिए तो ग़लत सवाल है. यदि आप उस सवाल से शुरू करते हैं और जवाब की उम्मीद करते हैं, तो व्यावहारिक रूप से सही उत्तर मिलने की कोई संभावना नहीं है.
इसके बजाय सही सवाल ये है कि 'मुझे किस तरह के फ़ंड में निवेश करना चाहिए'? म्यूचुअल फ़ंड चुनना बॉटम-अप एक्टिविटी नहीं बल्कि टॉप-डाउन एक्टिविटी है. दूसरे शब्दों में आपको वो फ़ंड चुनना चाहिए जो आपके सबसे उपयुक्त हो; जो आपके रिस्क प्रोफ़ाइल और समय सीमा से मेल खाता हो. जब आप उनके उत्तर जान लेंगे, तभी आप ये तय कर पाएंगे कि कौन-सा फ़ंड चुनना सही है.
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उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप अपनी मंथली इनकम से कुछ अमाउंट अपने रिटायरमेंट के लिए अलग रख रहे हैं, जो करीब 20 साल दूर है. ऐसे मामले में, इक्विटी फ़ंड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है. इक्विटी मार्केट की वॉलेटिलिटी को बैलेंस करने के लिए ये पीरियड काफ़ी लंबा है. इसके अलावा, आपको लंबे समय में इन्फ्लेशन को मात देने वाले रिटर्न मिलने की संभावना है.
इस बीच, एक निश्चित आय वाला फ़ंड सबसे अनुपयुक्त होगा. भारत जैसे हाई इन्फ्लेशन वाले माहौल में निश्चित आय वाले विकल्प शायद ही कभी इन्फ्लेशन को मात दे पाते हैं और आपका पैसा प्रभावी रूप से वर्षों में कम होता जाता है. इस तरह, आपका पैसा समय के साथ शायद ही बढ़ेगा.
इसके विपरीत, यदि आप केवल एक या दो साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो निश्चित आय वाले फ़ंड बेहतर विकल्प बन जाते हैं, क्योंकि उनका प्रमुख लक्ष्य आपके निवेश को सुरक्षित रखना होता है. दूसरी ओर, इक्विटी फ़ंड जोखिम भरा होगा क्योंकि इक्विटी में कम समय में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
संक्षेप में कहें तो 'सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फ़ंड' के पीछे मत भागिए. सबसे पहले अपने रिस्क प्रोफाइल और टाइम होरिजोन को सही से समझ लीजिए. उसके आधार पर, 'सही' फ़ंड की पहचान करें.
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