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Sentio Citizens Savings Scheme (SCSS) की अधिकतम सीमा ₹15 लाख से बढ़ाकर ₹30 लाख कर दी गई है. ये बदलाव इसी साल किया गया है. यही वजह है, 78 साल के वेंकटेश धनवंतरी पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें अब अपना पैसा डेट फ़ंड से निकाल कर SCSS में निवेश कर देना चाहिए.
श्री धनवंतरी और तमाम दूसरे वरिष्ठ नागरिकों को हमारा सुझाव कुछ इस तरह है:
- गारंटी के साथ नियमित आय (fixed income) पाने के लिए है सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम (SCSS). इसमें अधिकतम ₹30 लाख निवेश किया जा सकता है.
- तरलता (liquidity) और निवेश को रीबैलेंस करने के लिए पैसों का कुछ हिस्सा डेट फ़ंड (debt fund) में होना चाहिए.
- कम से कम एक तिहाई पैसा इक्विटी (equity) में निवेश किया जाना अच्छा है. इससे आप ये पक्का कर पाएंगे कि आपका रिटायरमेंट फ़ंड तेज़ी से ख़त्म न हो जाए.
आइए समझते हैं, SCSS क्यों पहली पसंद होनी चाहिए.
सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम (SCSS) के फ़ायदे (Benefits of SCSS)
- ऊंचा रिटर्न (High Return): SCSS हर साल 8.2 फ़ीसदी देता है, जो ₹30 लाख के निवेश पर सालाना ₹2.46 लाख होता है.
- सुरक्षा (Safety): ये सबसे सुरक्षित निश्चित आय (fixed income) के तरीक़ों में से एक है.
- टैक्स के फ़ायदे (tax benefits): इसमें निवेश से धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती (deduction) मिल सकती है, और सीनियर सिटीज़न, सालाना ₹50,000 तक के ब्याज पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं.
हालांकि SCSS की अपनी सीमाएं भी हैं:
a) SCSS ब्याज को टैक्स लायक़ आमदनी में जोड़ा जाता है, जो ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आने वालों का शुद्ध मुनाफ़ा (net return) कम कर सकता है.
b) इसकी अवधि पांच साल है (3-3 साल के ब्लॉक में बढ़ा सकते हैं). समय से पहले पैसे निकालने पर मूलधन (principal amount) के 1.5 प्रतिशत तक का जुर्माना लगता है.
डेट फंड (Debt Fund)
- यहीं पर डेट फ़ंड काम आते हैं. SCSS के उलट, आप डेट फ़ंड से जब चाहे पैसे निकाल सकते हैं.
- आपको किसी भी वक़्त पैसे निकालने की सहूलियत के अलावा, डेट फ़ंड से प्रॉफ़िट पर तभी टैक्स लगाया जाता है जब आप पैसे निकालते हैं, जिससे आपका इनकम टैक्स की देनदारी बाद में होती है.
- इसके अलावा, डेट फ़ंड आपके पोर्टफ़ोलियो को हर साल बैलेंस करने में मदद करते हैं. मिसाल के तौर पर, अगर आपके इक्विटी पोर्टफ़ोलियो में गिरावट होती है, तो आप डेट फ़ंड से पैसे निकाल सकते हैं और अपना इक्विटी एलोकेशन वापस बहाल कर सकते हैं.
लेकिन ध्यान रखें, SCSS के उलट, डेट फ़ंड रिटर्न की गारंटी नहीं देते. ये ब्याज दर में उतार-चढ़ाव जैसी बातों पर निर्भर करते हैं.
इसके अलावा, डेट फ़ंड से मिला प्रॉफ़िट अब पूरी तरह से टैक्स के दायरे में आता है, जो पहले के नियमों के मुक़ाबले उन्हें कम आकर्षक बनाता है.
इक्विटी (Equity)
एक संतुलित और अच्छी रफ़्तार से बढ़ने वाले रिटायरमेंट पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी निवेश शामिल होना ही चाहिए. लंबे समय में महंगाई दर को मात देने वाले रिटर्न इक्विटी निवेश से ही मिल सकते हैं, और इसी तरह आप अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो को रिटायरमेंट के बाद की जीवनशैली बनाए रखने के लिए मददगार पाएंगे.
कुल मिला कर SCSS, डेट फ़ंड और इक्विटी फ़ंड, ये तीन निवेश के तरीक़े हैं जिनके बारे में रिटायर्ड लोगों को सोचना चाहिए ताकि उन्हें स्थिरता (stability), तरलता (liquidity) और महंगाई दर (inflation) को मात देने वाली ग्रोथ मिल सके.
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