AI-generated image
मैं एक सीनियर सिटीज़न हूं और मेरी बैंक में फ़िक्स्ड डिपॉज़िट (FD) है. मेरी कुल इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है, लेकिन बैंक ब्याज को जमा करते समय TDS काटता है. क्या ऐसा कोई तरीक़ा है जिससे बैंक को इस फ़ाइनेंशियल ईयर में TDS न काटने के लिए कहा जा सके? - सब्सक्राइबर
हां, एक तरीक़ा है और ये ज़रूरी है कि आप फ़ाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में ही इस प्रोसेस पूरा कर लें. ताकि, अनावश्यक टैक्स कटने से बचा जा सके.
अगर आप किसी फ़ाइनेंशियल ईयर में फ़िक्स्ड डिपॉज़िट से ₹1 लाख से ज़्यादा ब्याज कमाते हैं, तो बैंक को TDS काटना ज़रूरी हो जाता है. नॉन-सीनियर सिटीज़न के लिए, ये लिमिट ₹50,000 है.
फ़ॉर्म 15H की अहमियत
अगर आपकी कुल टैक्सेबल इनकम एग्ज़म्प्शन लिमिट से कम है, तो आप किसी भी टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं और इसलिए, बैंक से अनुरोध कर सकते हैं कि वो TDS न काटे. इसके लिए आपको Form 15H जमा करना होगा. ये एक सेल्फ-डिक्लेयरेशन फ़ॉर्म होता है जिसमें आप ये बताते हैं कि आपकी कुल इनकम टैक्स लिमिट से कम है और आप पर किसी तरह का टैक्स नहीं बनता. ये फ़ॉर्म जमा करने के बाद बैंक आपकी ब्याज इनकम पर TDS नहीं काटेगा.
आपको ये फ़ॉर्म हर उस बैंक में जमा करना होगा, जहां आपकी FD है और इसे फ़ाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में अप्रैल में जमा करना सबसे सही रहता है. अगर आप इसे देर से जमा करते हैं, तो बैंक कुछ TDS काट सकता है. ज़्यादातर मामलों में, बैंक आपको अपने नेट बैंकिंग पोर्टल या मोबाइल ऐप के ज़रिए फ़ॉर्म 15H ऑनलाइन जमा करने की सुविधा देते हैं, जिससे ये प्रॉसेस आसान और पेपरलेस हो जाता है.
अगर आप फ़ॉर्म जमा करना भूल जाते हैं और TDS कट जाता है, तब भी आप इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करते समय रिफ़ंड क्लेम कर सकते हैं. लेकिन उस रिफ़ंड को आपके बैंक अकाउंट में आने में समय लग सकता है.
ये भी पढ़ें: नए इनकम टैक्स स्लैब और TDS लिमिट का आप पर क्या असर होगा?
ये लेख पहली बार अप्रैल 10, 2025 को पब्लिश हुआ.